धर्म

चामुंडा देवी चालीसा – Chamunda Devi Chalisa

चामुंडा देवी चालीसा का पाठ बाधाओं को विनष्ट कर देता है।

जो भक्त सच्चे हृदय से इस चामुंडा देवी चालीसा को पढ़ता है उसकी सारी समस्याएँ तिनके की तरह उसके सामने से उड़ जाती हैं। माँ काली के प्रचण्ड रूप के आगे विश्व की सारी कठिनाइयाँ भी टिक नहीं सकतीं। माँ की सच्चे दिल से की गई उपासना भव-सागर से भी पार लगा देती है, तो सांसारिक बाधाएँ क्या चीज़ हैं। चामुंडा देवी की चालीसा (Chamunda Devi Chalisa) के प्रत्येक शब्द में शक्ति सन्निहित है। श्रद्धा द्वारा किया गया इसका पाठ इस अन्तर्निहित शक्ति को जागृत कर देता है। एक बार ऐसा होने पर माँ की अहैतुकी कृपा प्राप्त होना निश्चित ही है। पढ़ें चामुंडा देवी चालीसा हिंदी में–

॥ दोहा ॥
नीलवरण माँ  कालिका, रहती सदा प्रचंड।
दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुष्ट को दंड॥

मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत।
मेरी भी पीड़ा  हरो हो जो कर्म पुनीत॥

॥ चौपाई ॥
नमस्कार चामुंडा माता,
तीनो लोक मई मई विख्याता॥
हिमाल्या मई पवितरा धाम है,
महाशक्ति तुमको प्रणाम  है॥1॥

मार्कंडिए ऋषि ने धीयया,
कैसे प्रगती भेद बताया॥
सूभ निसुभ दो डेतिए बलसाली,
तीनो लोक जो कर दिए खाली॥2॥

वायु अग्नि याँ कुबेर संग,
सूर्या चंद्रा वरुण हुए तंग॥
अपमानित चर्नो मई आए,
गिरिराज हिमआलये को लाए॥3॥

भद्रा-रॉंद्र्रा निट्टया धीयया,
चेतन शक्ति करके बुलाया॥
क्रोधित होकर काली आई,
जिसने अपनी लीला दिखाई॥4॥

चंदड़ मूंदड़ ओर सुंभ पतए,
कामुक वेरी लड़ने आए॥
पहले सुग्गृीव दूत को मारा,
भगा चंदड़ भी मारा मार॥5॥

अरबो सैनिक लेकर आया,
द्रहूँ लॉकंगन क्रोध दिखाया॥
जैसे ही दुस्त ललकारा,
हा उ सबद्ड गुंजा के मारा॥6॥

सेना ने मचाई भगदड़,
फादा सिंग ने आया जो बाद॥
हत्टिया करने चंदड़-मूंदड़ आए,
मदिरा पीकेर के घुर्रई॥7॥

चतुरंगी सेना संग लाए,
उचे उचे सीविएर गिराई॥
तुमने क्रोधित रूप निकाला,
प्रगती डाल गले मूंद माला॥8॥

चर्म की सॅडी चीते वाली,
हड्डी ढ़ाचा था बलसाली॥
विकराल मुखी आँखे दिखलाई,
जिसे देख सृिस्टी घबराई॥9॥

चंदड़ मूंदड़ ने चकरा चलाया,
ले तलवार हू साबद गूंजाया॥
पपियो का कर दिया निस्तरा,
चंदड़ मूंदड़ दोनो को मारा॥10॥

हाथ मई मस्तक ले मुस्काई,
पापी सेना फिर घबराई॥
सरस्वती मा तुम्हे पुकारा,
पड़ा चामुंडा नाम तिहरा॥11॥ 

चंदड़ मूंदड़ की मिरतट्यु सुनकर,
कालक मौर्या आए रात पर ॥
अरब खराब युध के पाठ पर,
झोक दिए सब चामुंडा पर॥12॥

उगर्र चंडिका प्रगती आकर,
गीडदीयो की वाडी भरकर॥
काली ख़टवांग घुसो से मारा,
ब्रह्माड्ड ने फेकि जल धारा॥13॥

माहेश्वरी ने त्रिशूल चलाया,
मा वेश्दवी कक्करा घुमाया॥
कार्तिके के शक्ति आई,
नार्सिंघई दित्तियो पे छाई॥14॥

चुन चुन सिंग सभी को खाया,
हर दानव घायल घबराया॥
रक्टतबीज माया फेलाई,
शक्ति उसने नई दिखाई॥15॥

रक्त्त गिरा जब धरती उपर,
नया डेतिए प्रगता था वही पर ॥
चाँदी मा अब शूल घुमाया,
मारा उसको लहू चूसाया ॥16॥

सूभ निसुभ अब डोडे आए,
सततर सेना भरकर लाए॥
वाज्ररपात संग सूल चलाया,
सभी देवता कुछ घबराई॥17॥

ललकारा फिर घुसा मारा,
ले त्रिसूल किया निस्तरा॥
सूभ निसुभ धरती पर सोए,
डेतिए सभी देखकर रोए॥18॥

कहमुंडा मा ध्ृम बचाया,
अपना सूभ मंदिर बनवाया॥
सभी देवता आके मानते,
हनुमत भेराव चवर दुलते॥19॥

आसवीं चेट नवराततरे अओ,
धवजा नारियल भेट चाड़ौ॥
वांडर नदी सनन करऔ,
चामुंडा मा तुमको पियौ॥20॥

॥ दोहा ॥
शरणागत को शक्ति दो हे जग की आधार ।
‘ओम’ ये नैया डोलती कर दो भाव से पार॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर चामुंडा देवी चालीसा ( Chamunda Devi Chalisa ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें चामुंडा देवी चालीसा रोमन में–

Read chamunda Devi Chalisa

dohā
nīlavaraṇa mā~ kālikā rahatī sadā pracaṃḍa।
dasa hātho maī sasatrā dhāra detī duṣṭa ko daṃḍa॥

madhu keṭabha saṃhāra kara karī dharma kī jīta।
merī bhī pīड़ā haro ho jo karma punīta॥

caupāī
namaskāra cāmuṃḍā mātā,
tīno loka maī maī vikhyātā॥
himālyā maī pavitarā dhāma hai,
mahāśakti tumako praṇāma hai॥1॥

mārkaṃḍie ṛṣi ne dhīyayā,
kaise pragatī bheda batāyā॥
sūbha nisubha do ḍetie balasālī,
tīno loka jo kara die khālī॥2॥

vāyu agni yā~ kubera saṃga,
sūryā caṃdrā varuṇa hue taṃga॥
apamānita carno maī āe,
girirāja himaālaye ko lāe॥3॥

bhadrā-raॉṃdrrā niṭṭayā dhīyayā,
cetana śakti karake bulāyā॥
krodhita hokara kālī āī,
jisane apanī līlā dikhāī॥4॥

caṃdaḍa़ mūṃdaḍa़ ora suṃbha patae,
kāmuka verī laḍa़ne āe॥
pahale suggṛīva dūta ko mārā,
bhagā caṃdaḍa़ bhī mārā mārā॥5॥

arabo sainika lekara āyā,
drahū~ laॉkaṃgana krodha dikhāyā॥
jaise hī dusta lalakārā,
hā u sabadḍa guṃjā ke mārā॥6॥

senā ne macāī bhagadaḍa़,
phādā siṃga ne āyā jo bāda॥
hatṭiyā karane caṃdaḍa़-mūṃdaḍa़ āe,
madirā pīkera ke ghurraī॥7॥

caturaṃgī senā saṃga lāe,
uce uce sīviera girāī॥
tumane krodhita rūpa nikālā,
pragatī ḍāla gale mūṃda mālā॥8॥

carma kī saॅḍī cīte vālī,
haḍḍī ḍha़ācā thā balasālī॥
|vikarāla mukhī ā~khe dikhalāī,
jise dekha sṛisṭī ghabarāī॥9॥

caṃdaḍa़ mūṃdaḍa़ ne cakarā calāyā,
le talavāra hū sābada gūṃjāyā॥
papiyo kā kara diyā nistarā,
caṃdaḍa़ mūṃdaḍa़ dono ko mārā॥10॥

hātha maī mastaka le muskāī,
pāpī senā phira ghabarāī॥
sarasvatī mā tumhe pukārā,
paḍa़ā cāmuṃḍā nāma tiharā॥11॥

caṃdaḍa़ mūṃdaḍa़ kī mirataṭyu sunakara,
kālaka mauryā āe rāta para॥
araba kharāba yudha ke pāṭha para,
jhoka die saba cāmuṃḍā para॥12॥

ugarra caṃḍikā pragatī ākara,
gīḍadīyo kī vāḍī bharakara॥
kālī kha़ṭavāṃga ghuso se mārā,
brahmāḍḍa ne pheki jala dhārā॥13॥

māheśvarī ne triśūla calāyā,
mā veśdavī kakkarā ghumāyā॥
kārtike ke śakti āī,
nārsiṃghaī dittiyo pe chāī॥14॥

cuna cuna siṃga sabhī ko khāyā,
hara dānava ghāyala ghabarāyā॥
rakṭatabīja māyā phelāī,
śakti usane naī dikhāī॥15॥

raktta girā jaba dharatī upara,
nayā ḍetie pragatā thā vahī para॥
cā~dī mā aba śūla ghumāyā,
mārā usako lahū cūsāyā॥16॥

sūbha nisubha aba ḍoḍe āe,
satatara senā bharakara lāe॥
vājrarapāta saṃga sūla calāyā,
sabhī devatā kucha ghabarāī॥17॥

lalakārā phira ghusā mārā,
le trisūla kiyā nistarā॥
sūbha nisubha dharatī para soe,
ḍetie sabhī dekhakara roe॥18॥

kahamuṃḍā mā dhṛma bacāyā,
apanā sūbha maṃdira banavāyā॥
sabhī devatā āke mānate,
hanumata bherāva cavara dulate॥19॥

āsavīṃ ceṭa navarātatare ao,
dhavajā nāriyala bheṭa cāḍa़au॥
vāṃḍara nadī sanana karaau,
cāmuṃḍā mā tumako piyau॥20॥

dohā
śaraṇāgata ko śakti do he jaga kī ādhāra।
‘oma’ ye naiyā ḍolatī kara do bhāva se pāra॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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