धर्म

चंद्र कवच स्तोत्र – Chandra Kavach

चंद्र कवच स्तोत्र ब्रह्मयामल के अन्तर्गत आता है। इसके ऋषि गौतम हैं और छंद अनुष्टुप् है। वेदों के अनुसार चंद्र देव को मन का स्वामी माना गया है। जीवन में सफलता और समृद्धि के लिए मनोबल से बढ़कर कुछ नहीं है। चंद्र कवच स्तोत्र (Chandra Kavach) का नियमित पाठ मनोबल को बढ़ाता है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति प्रदान करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिसका चन्द्रमा जन्मकुण्डली में कमजोर हो, उसे जीवन में अनेक तरह की कठिनाइयों से दो-चार होते रहना पड़ता है। यह भी मान्यता है कि चन्द्र देव सत्ताईस नक्षत्रों के पति हैं। सोमवार का व्रत और भगवान शिव की आराधना से भी शंशांक देव तुष्ट होते हैं। फिर भी उनके खराब प्रभाव दूर करने और उन्हें प्रसन्न करने का सबसे अच्छा उपाय है चंद्र कवच स्तोत्र का पाठ।

चंद्र कवच स्तोत्र पढ़ें

श्रीचंद्रकवचस्तोत्रमंत्रस्य गौतम ऋषिः । अनुष्टुप् छंदः।
चंद्रो देवता । चन्द्रप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।

समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमुकुटोज्ज्वलम्।
वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम्॥१॥

एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम्।
शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः॥२॥

चक्षुषी चन्द्रमाः पातु श्रुती पातु निशापतिः।
प्राणं क्षपाकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः॥३॥

पातु कण्ठं च मे सोमः स्कंधौ जैवा तृकस्तथा।
करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः॥४॥

हृदयं पातु मे चंद्रो नाभिं शंकरभूषणः।
मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः॥५॥

ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा।
अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा॥६॥

सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः।
एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम्॥
यः पठेच्छरुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ॥७॥

॥इति श्रीब्रह्मयामले चंद्रकवचं संपूर्णम्॥
॥ब्रह्मयामल में चंद्र कवच स्तोत्र संपूर्ण हुआ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर चंद्र कवच स्तोत्र (Chandra Kavach) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें चंद्र कवच स्तोत्र रोमन में–

Read Chandra Kavacham

śrīcaṃdrakavacastotramaṃtrasya gautama ṛṣiḥ । anuṣṭup chaṃdaḥ।
caṃdro devatā । candraprītyarthaṃ jape viniyogaḥ।

samaṃ caturbhujaṃ vande keyūramukuṭojjvalam।
vāsudevasya nayanaṃ śaṃkarasya ca bhūṣaṇam॥1॥

evaṃ dhyātvā japennityaṃ śaśinaḥ kavacaṃ śubham।
śaśī pātu śirodeśaṃ bhālaṃ pātu kalānidhiḥ॥2॥

cakṣuṣī candramāḥ pātu śrutī pātu niśāpatiḥ।
prāṇaṃ kṣapākaraḥ pātu mukhaṃ kumudabāṃdhavaḥ॥3॥

pātu kaṇṭhaṃ ca me somaḥ skaṃdhau jaivā tṛkastathā।
karau sudhākaraḥ pātu vakṣaḥ pātu niśākaraḥ॥4॥

hṛdayaṃ pātu me caṃdro nābhiṃ śaṃkarabhūṣaṇaḥ।
madhyaṃ pātu suraśreṣṭhaḥ kaṭiṃ pātu sudhākaraḥ॥5॥

ūrū tārāpatiḥ pātu mṛgāṃko jānunī sadā ।
abdhijaḥ pātu me jaṃghe pātu pādau vidhuḥ sadā॥ 6 ॥

sarvāṇyanyāni cāṃgāni pātu candroSkhilaṃ vapuḥ।
etaddhi kavacaṃ divyaṃ bhukti mukti pradāyakam॥
yaḥ paṭheccharuṇuyādvāpi sarvatra vijayī bhavet॥7॥

॥ iti śrībrahmayāmale caṃdrakavacaṃ saṃpūrṇam ॥
॥ brahmayāmala meṃ caṃdra kavaca stotra saṃpūrṇa huā ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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