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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र – Daridra Dahan Shiv Stotra

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र के रचयित्रा महर्षि वसिष्ठ हैं। भगवान शिव को समर्पित यह बड़ा ही चमत्कारी स्तोत्र है जो दरिद्रता का नाश करने में सक्षम है। जो भक्त नित्यप्रति दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र (Daridra Dahan Shiv Stotra) का पाठ करता है उसके जीवन में कभी ग़रीबी नहीं आती है और घर में सदैव वैभव बना रहता है। यह स्तोत्र न केवल दरिद्रता से मुक्ति दिलाता है, बल्कि सभी रोगों से भी छुटकारा दिलाने में यह स्तुति सक्षम है। ऐसा कोई भौतिक ऐश्वर्य नहीं जो इस स्तोत्र के पाठ से न मिल सकता हो। हाँ, पाठ करने वाले का चित्त निर्मल होना चाहिए और उसे भगवान शंकर के चरणों में पूर्ण भक्तिभाव होना चाहिए। साथ ही मान्यता है कि इसे श्रद्धापूर्वक पढ़ने से संतान प्राप्ति भी होती है। पढ़ें दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित–

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का पाठ करें

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥१॥
सभी चर और अचर संसार के अधिपति विश्वेश्वर, नरक जैसे संसार सिंधु से छुटकारा दिलाने वाले, सुनने में अमृत जैसे नाम वाले, अपने मस्तक पर चन्द्र देव का आभूषण पहने हुए, कपूर की तरह श्वेत कांति संपन्न, जटाएँ धारण करने वाले और दरिद्रता के दुःख का दहन करने वाले शिव जी को प्रणाम है।

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥२॥
देवी पार्वती के परम प्रिय, चन्द्र-कलाओं को धारण करने वाले, काल का अन्त, सर्पों के राजा को माला की तरह पहने, अपने शीष पर माता गंगा को धारण किए हुए, गजराज का मर्दन करने वाले व दरिद्रता के कष्ट का दहन करने वाले भगवान शंकर को प्रणाम है।

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥३॥
भक्तिप्रिय, भवरोग नाशक, सृष्टि लय के समय उग्र रूप धारण करने वाले, कठिन संसार-सागर से पार कराने वाले, ज्योतिर्मय, स्वयं के गुण तथा नाम के अनुसार सौन्दर्यपूर्ण नृत्य करने वाले व दरिद्रता के दुःख को जलाने वाले भगवान सदाशिव को प्रणाम है।

चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥४॥
बाघ के चर्म को धारण किए हुए, शव की भस्म का लेपन करने वाले, माथे पर तीसरा नेत्र धारण किए हुए, मणि-कुण्डलों से मंडित, पैरों में नूपुर पहने जटाधारी व दरिद्रता के कष्ट को जला देने वाले भगवान भोलेनाथ को प्रणाम है।

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पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥५॥
पंचानन, सर्पराज रूपी गहने से विभूषित, स्वर्ण के समान वस्त्र वाले, त्रिलोक में पूजित, आनन्द की भूमि काशी को वरदान देने वाले, संसार संहार के लिए तमोगुण युक्त और दरिद्रता के दुःख को जलाने वाले भगवान आशुतोष को प्रणाम है।

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥६॥
भगवान भास्कर को बहुत प्रिय, संसार-सागर से पार लगाने वाले, काल का अन्त करने वाले, ब्रह्मा जी द्वारा पूजित, त्रिनेत्र धारण करने वाले, शुभ लक्षणों से लक्षित व दरिद्रता के दुःख को जलाने वाले भगवान शिव को प्रणाम है।

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥७॥
प्रभु श्री राम के प्रिय इष्ट, रघुकुल भूषण राम जी को वर देने वाले, नागों के बहुत प्रिय, संसार-सिंधु रूपी नरक से पार लगाने वाले, पुण्यवानों में सर्वाधिक परिपूर्ण पुण्य वाले, सभी देवों से पूजित व दरिद्रता के दुःख का दहन करने वाले श्री शिव को प्रणाम है।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥८॥
मुक्तात्माओं के स्वामि, सभी फलों का विधान करने वाले, गणों के ईश्वर, जिन्हें गीत प्रिय हैं व जिनका वाहन नन्दी है, हाथी के चर्म को वस्त्र के रूप में पहने, महेश्वर व दरिद्रता के दुःख को भस्म करने वाले भगवान शिव को प्रणाम है।

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम् सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥९॥
महर्षि वसिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र सभी रोगों का नाशक व शीघ्र ही सभी ऐश्वर्यों को देने वाला एवं पुत्र-पौत्रादि वंश परम्परा को बढ़ाने वाला है। जो भक्त इस स्तोत्र का सदैव तीनों कालों में पढ़ता है, उसे निश्चित ही अनुपम स्वर्ग लोक मिलता है।

॥ महर्षि वसिष्ठ द्वारा रचित दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र (Daridra Dahan Shiv Stotra) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र रोमन में–

Read Daridra Dahan Shiv Stotra

viśveśvarāya narakārṇavatāraṇāya karṇāmṛtāya śaśiśekharadhāraṇāya।
karpūrakāntidhavalāya jaṭādharāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥1॥

gaurīpriyāya rajanīśakalādharāya kālāntakāya bhujagādhipakaṅkaṇāya।
gaṅgādharāya gajarājavimardanāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥2॥

bhaktipriyāya bhavarogabhayāpahāya ugrāya durgabhavasāgaratāraṇāya।
jyotirmayāya guṇanāmasunṛtyakāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥3॥

carmāmbarāya śavabhasmavilepanāya bhālekṣaṇāya maṇikuṇḍalamaṇḍitāya।
mañjīrapādayugalāya jaṭādharāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥4॥

pañcānanāya phaṇirājavibhūṣaṇāya hemāṃśukāya bhuvanatrayamaṇḍitāya।
ānandabhūmivaradāya tamomayāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥5॥

bhānupriyāya bhavasāgaratāraṇāya kālāntakāya kamalāsanapūjitāya।
netratrayāya śubhalakṣaṇalakṣitāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥6॥

rāmapriyāya raghunāthavarapradāya nāgapriyāya narakārṇavatāraṇāya।
puṇyeṣu puṇyabharitāya surārcitāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥7॥

mukteśvarāya phaladāya gaṇeśvarāya gītapriyāya vṛṣabheśvaravāhanāya।
mātaṅgacarmavasanāya maheśvarāya dāridryaduḥkhadahanāya namaḥ śivāya ॥8॥

vasiṣṭhena kṛtaṃ stotraṃ sarvaroganivāraṇam sarvasampatkaraṃ śīghraṃ putrapautrādivardhanam।
trisandhyaṃ yaḥ paṭhennityaṃ sa hi svargamavāpnuyāt ॥9॥

॥ maharṣi vasiṣṭha dvārā racita dāridrya dahana śiva stotra sampūrṇa huā ॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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