धर्म

गजानन – Gajanan Maharaj (अष्टविनायक में गणेश जी का चतुर्थ रूप)

गजानन (Gajanan Maharaj) अवतार भगवान गणेश अष्टविनायक रूपों में चौथा अवतार है। यह अवतार लोभासुर के दमन के लिए हुआ था।

गजाननः स विज्ञेयः सांख्येभ्यः सिद्धिदायकः।
लोभासुरप्रहर्ता वै आखुगश्च प्रकीर्तितः ॥

भगवान् श्रीगणेश का गजानन (Shree Gajanan) नामक अवतार सांख्यब्रह्म का धारक है। उसको सांख्य योगियों के लिये सिद्धिदायक जानना चाहिये उसे लोभासुर का संहारक तथा मूषक-वाहन पर चलने वाला कहा गया है।

एक बार देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर कैलास पहुँचे वहाँ उन्होंने भगवान् शिव-पार्वती का दर्शन किया। कुबेर भगवती उमा के अनुपम सौन्दर्य को मुग्ध दृष्टि से एकटक निहारने लगे। भगवती पार्वती उन्हें अपनी ओर एकटक निहारते देखकर अत्यन्त क्रुद्ध हो गयीं। भगवती की कोपदृष्टि से कुबेर अत्यन्त भयभीत हो गये। उसी समय भयभीत कुबेर से लोभासुर उत्पन्न हुआवह अत्यन्त प्रतापी तथा बलवान् था।

लोभासुर दैत्यगुरु शुक्राचार्य के पास गया। उसने शुक्राचार्य के चरणों में प्रणाम कर उनसे शिष्य बनाने का निवेदन किया। आचार्य ने उसे पञ्चाक्षरी मन्त्र ( ॐ नमः शिवाय) की दीक्षा देकर तपस्या करने के लिये वन भेज दिया।

निर्जन वन में जाकर उस प्रबल असुर ने स्नान किया फिर भस्म धारण कर वह भगवान् शिव का ध्यान करते हुए पंचाक्षरी मन्त्र का जप करने लगा। वह अन्न-जल का त्याग कर भगवान् शंकर की प्रसन्नता के लिये घोर तप करने लगा। उसने दिव्य सहस्र वर्ष तक अखण्ड तप किया। उसकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव भगवान् प्रकट हुए।

लोभासुर देवाधिदेव भगवान् शिव के चरणों में प्रणाम कर उनकी स्तुति करने लगा। औढरदानी भगवान् शंकर जी ने वर देकर उसे तीनों लोकों में निर्भय कर दिया।

भगवान् शिव के अमोघ वर से निर्भय लोभासुर ने दैत्यों की विशाल सेना एकत्र की। उन असुरों के सहयोग से लोभासुर ने पहले पृथ्वी के समस्त राजाओं को जीत लिया। फिर उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया इन्द्र को पराजित कर उसने अमरावती पर अधिकार कर लिया पराजित होकर इन्द्र भगवान् विष्णु के पास गये तथा उनसे अपनी व्यथा सुनायी। भगवान् विष्णु असुरों का संहार करने के लिये अपने गरुड़ वाहन पर चढ़कर आये। भयानक संग्राम हुआ। भगवान् शंकर के वर से अजेय लोभासुर के सामने उनको भी पराजय का मुँह देखना पड़ा। 

विष्णु तथा अन्य देवताओं के रक्षक महादेव हैं-यह सोचकर लोभासुर ने अपना दूत शिव के पास भेजा दूत ने उनसे कहा—’आप परम पराक्रमी लोभासुर से युद्ध कीजिये या पराजय स्वीकार कर कैलास को खाली कर दीजिये भगवान् शंकर ने अपने द्वारा दिये वरदान को स्मरण कर कैलास को छोड़ दिया। लोभासुर के आनन्द की सीमा न रही उसके राज्यमें समस्त धर्म-कर्म समाप्त हो गये; पापों का नग्न नृत्य होने लगा। ब्राह्मण और ऋषि-मुनि यातना सहने लगे।’

 रैभ्य मुनि के कहने पर देवताओं ने गणेश-उपासना की। प्रसन्न होकर गजानन ने लोभासुर के अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाने का वचन दिया।

गजानन (Gajanan) ने भगवान् शिव को लोभासुर के समीप भेजा वहाँ शिव ने लोभासुर से साफ शब्दों में गजानन का सन्देश सुनाया। तुम गजानन की शरण-ग्रहण कर शान्तिपूर्ण जीवन बिताओ, अन्यथा युद्ध के लिये तैयार हो जाओ। उसके गुरु शुक्राचार्य ने भी भगवान् गजानन की महिमा बताकर गजानन की शरण लेना कल्याण कर बतलाया। लोभासुर ने गणेश-तत्त्व को समझ लिया फिर तो वह महाप्रभु के चरणों की वन्दना करने लगा। शरणागतवत्सल गजानन ने उसे क्षमा कर पाताल भेज दिया देवता और मुनि सुखी होकर गजानन का गुणगान करने लगे।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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