धर्म

कृष्ण आरती – Krishna Aarti

कृष्ण आरती का गायन करने से भक्ति हृदय में उमड़ने-घुमड़ने लगती है। इससे कृष्ण की लीलाओं की ओर मन खिंचने लगता है। अन्तःकरण स्वतः ही पवित्र होता जाता है। मन की सारी इच्छाएँ शुद्ध होने लगती हैं और इच्छानुसार चीजें घटित होने लगती हैं।

कृष्ण आरती (Krishna Aarti) गाने से करुणानिधान भगवान श्रीकृष्ण स्वयं भक्त की ओर खिंचे चले आते हैं। पढ़ें कृष्ण आरती–

ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे
भक्तन के दुख सारे पल में दूर करे।

परमानन्द मुरारी मोहन गिरधारी,
जय रस रास बिहारी जय जय गिरधारी।

कर कंकन कटि सोहत कानन में बाला,
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला।

दीन सुदामा तारे दरिद्रों के दुख टारे,
गज के फन्द छुड़ाए भव सागर तारे।

हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रूप धरे,
पाहन से प्रभु प्रगटे जम के बीच परे।

केशी कंस विदारे नल कूबर तारे,
दामोदर छवि सुन्दर भगतन के प्यारे।

काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे,
फन-फन नाचा करते नागन मन मोहे।

राज्य उग्रसेन पाये माता शोक हरे,
द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे।

कृष्ण आरती नित्य गाने से सारे पाप स्वयमेव विनष्ट हो जाते हैं और निर्मल भक्ति की प्राप्ति होती है। जिसे भगवान कृष्ण के चरणों में प्रीति हो गई, उसके लिए इस दुनिया में सब कुछ सहज है।

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कृष्ण आरती (Krishna Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कृष्ण आरती रोमन में–

Read Krishna Aarti

oṃ jaya śrī kṛṣṇa hare, prabhu jaya śrī kṛṣṇa hare।
bhaktana ke dukha sāre pala meṃ dūra kare।

paramānanda murārī mohana giradhārī,
jaya rasa rāsa bihārī jaya jaya giradhārī।

kara kaṃkana kaṭi sohata kānana meṃ bālā,
mora mukuṭa pītāmbara sohe banamālā।

dīna sudāmā tāre daridroṃ ke dukha ṭāre,
gaja ke phanda chuḍa़āe bhava sāgara tāre।

hiraṇyakaśyapa saṃhāre narahari rūpa dhare,
pāhana se prabhu pragaṭe jama ke bīca pare।

keśī kaṃsa vidāre nala kūbara tāre,
dāmodara chavi sundara bhagatana ke pyāre।

kālī nāga nathaiyā naṭavara chavi sohe,
phana-phana nācā karate nāgana mana mohe।

rājya ugrasena pāye mātā śoka hare,
drupada sutā pata rākhī karuṇā lāja bhare। oṃ

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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