महावीर भगवान की आरती – Mahaveer Bhagwan Ki Aarti
महावीर भगवान की आरती गाने से सारे कष्ट नष्ट हो जाते हैं। जो व्यक्ति रात-दिन भगवान का स्मरण करता है, उसके लिए इहलोक और परलोक में कुछ असम्भव नहीं रहता है। भगवान महावीर भक्तों का मंगल करने वाले हैं। वे उन्हें हर मुसीबत से उबारने वाले हैं। ऐसे में महावीर भगवान की आरती (Mahaveer Bhagwan Ki Aarti) नित्य गाना अमृतपान की तरह है, जो सुख किसी-किसी भाग्यशाली को ही मिलता है। पढ़ें महावीर भगवान की आरती–
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।
जगनायक सुखदायक, अति गम्भीर प्रभो॥
ॐ जय महावीर प्रभो…
कुण्डलपुर में जन्में, त्रिशला के जाये।
पिता सिद्धार्थ राजा, सुर नर हर्षाए॥
ॐ जय महावीर प्रभो…
दीनानाथ दयानिधि, हैं मंगलकारी।
जगहित संयम धारा, प्रभु परउपकारी॥
ॐ जय महावीर प्रभो…
पापाचार मिटाया, सत्पथ दिखलाया।
दयाधर्म का झण्डा, जग में लहराया॥
ॐ जय महावीर प्रभो…
अर्जुनमाली गौतम, श्री चन्दनबाला।
पार जगत से बेड़ा, इनका कर डाला॥
ॐ जय महावीर प्रभो…
पावन नाम तुम्हारा, जगतारणहारा।
निसिदिन जो नर ध्यावे, कष्ट मिटे सारा॥
ॐ जय महावीर प्रभो…
करुणासागर तेरी महिमा है न्यारी।
ज्ञानमुनि गुण गावे, चरणन बलिहारी॥
ॐ जय महावीर प्रभो…
शास्त्रीय नियम के अनुसार पूजन की समाप्ति पर आरती गायन का विधान है। ऐसा करने के पीछे का कारण भी गहन है। वस्तुतः पूजा करते समय प्रमादवश या अन्य किसी कारण से कोई त्रुटि होना संभव है। अन्ततः आरती गाने से उन त्रुटियों से उत्पन्न हुए दोषों का परिहार सहज ही हो जाता है। विद्वानों का ऐसा ही मत है। साथ ही अपने आराध्य की प्रसन्नता के लिए भी आरती का गायन होता है।