स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (18 फरवरी, 1902)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)
गोपाल लाल विला,
वाराणसी छावनी,
१८ फरवरी, १९०२
अभिन्नहृदय,
रुपये प्राप्ति के समाचार के साथ कल मैंने जो तुमको पत्र लिखा है, अब तक वह निश्चय ही तुमको मिल गया होगा। आज यह पत्र लिखने का मुख्य कारण है कि इस पत्र के देखते ही तुम उनसे मिल आना।… तदनन्तर क्या बीमारी है, कफ आदि किस प्रकार का है, यह देखना है; किसी अत्यन्त सुयोग्य चिकित्सक के द्वारा रोग का अच्छी तरह से निदान करा लेना। राम बाबू की बड़ी लड़की विष्णु-मोहिनी कहाँ है? – वह हाल ही में विधवा हुई है।…
रोग से चिन्ता कहीं अधिक है। दस-बीस रूपये जो कुछ आवश्यक हो दे देना। यदि इस संसाररूपी नरककुण्ड में एक दिन के लिए भी किसी व्यक्ति के चित्त में थोड़ा सा आनन्द एवं शान्ति प्रदान की जा सके, तो उतना ही सत्य है, आजन्म मैं तो यही देख रहा हूँ – बाकी सब कुछ व्यर्थ की कल्पनाएँ हैं।
अत्यन्त शीघ्र इस पत्र का जवाब देना। चाचा (Okakura या अक्रूर चाचा) तथा निरंजन ने ग्वालियर से पत्र लिखा है।…अब यहाँ पर दिनों दिन गर्मी बढ़ रही है। बोधगया से यहाँ पर ठण्ड अधिक थी।…निवेदिता के श्री सरस्वती पूजन सम्बन्धी धूम धाम के समाचार से बहुत ही ख़ुशी हुई। शीघ्र ही वह स्कूल खोलने की व्यवस्था करे।… जिससे सब कोई पाठ, पूजन तथा अध्ययन कर सकें, इसका प्रयास करना। तुम लोग मेरा स्नेह ग्रहण करना।
सस्नेह,
विवेकानन्द