धर्म

आज शुक्रवार है – Aaj Shukrawar Hai

“आज शुक्रवार है माँ अंबे का वार है” (Aaj Shukrawar Hai) माता का विख्यात भजन है। माँ की भक्ति में सराबोर होकर जो यह भजन गाता है, अवश्य ही देवी का आशीर्वाद प्राप्त करता है। वेदांत के सिद्धांत के अनुसार ब्रह्म की ही अभिव्यक्ति ही शक्तिरूपिणी व मातृ-स्वरूपिणी है। इस दृष्टि से संपूर्ण चराचर माँ की ही लीला तो है। चाहे इस जगत् में सांसारिक उन्नति की बात हो या जन्म-मरण के चक्र के भेदन का विषय हो, सब माता की अनुकम्पा से सहज ही सम्भव है। प्रत्येक शुक्रवार को देवी-पूजन धार्मिक तौर पर बहुत आवश्यक है। आइए, इस सुंदर भजन “आज शुक्रवार है..” के बोल पढ़ें (Bhajan lyrics) और उनका गायन करें व आदि शक्ति का आशीष प्राप्त करें।

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आज शुक्रवार है माँ अम्बे का वार है, ये सच्चा दरबार है।
लाल चुनर ओढ़े है मैया सिंह पे सवार है॥

चण्ड मुंड ने स्वर्ग में आके जब उत्पात मचाया है,
देवों की विनती पे माँ ने रूप विराट बनाया है।
चण्ड मुण्ड पर वार है इनका फिर संहार है,
लाल चुनर ओढ़े है मैया सिंह पे सवार है॥
आज शुक्रवार है…

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शुम्ब निशुंभ को मारने वाले महिषासुर की घाती है,
महाकाल के संग विराजे महाकाली कहलाती है।
हाथों में तलवार है खप्पर भी ये धार है ,
लाल चुनर ओढ़े है मैया सिंह पे सवार है॥
आज शुक्रवार है…

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कोई कहता दुर्गा तुमको कोई कहता काली है,
पिंडी रूप में वैष्णो मैया दर्शन देने वाली है।
करती बेड़ा पार है करती माँ उद्धार है,
लाल चुनर ओढ़े है मैया सिंह पे सवार है॥
आज शुक्रवार है…

नवरातों में नौ रूपों में सबके घर माँ आती है,
कंजक रूप में हलवा चने का मैया भोग लगती है।

शक्ति का अवतार है होती जय जयकार है,
लाल चुनर ओढ़े है मैया सिंह पे सवार है॥

आज शुक्रवार है माँ अम्बे का वार है, ये सच्चा दरबार है।
लाल चुनर ओढ़े है मैया सिंह पे सवार है॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर आज शुक्रवार है माँ अंबे का वार है (Aaj Shukrawar Hai) भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें आज शुक्रवार है माँ अंबे का वार है भजन रोमन में–

Read Aaj Shukrawar Hai

āja śukravāra hai mā~ ambe kā vāra hai, ye saccā darabāra hai।
lāla cunara oढ़e hai maiyā siṃha pe savāra hai॥

caṇḍa muṃḍa ne svarga meṃ āke jaba utpāta macāyā hai,
devoṃ kī vinatī pe mā~ ne rūpa virāṭa banāyā hai।
caṇḍa muṇḍa para vāra hai inakā phira saṃhāra hai,
lāla cunara oढ़e hai maiyā siṃha pe savāra hai॥
āja śukravāra hai…

śumba niśuṃbha ko mārane vāle mahiṣāsura kī ghātī hai,
mahākāla ke saṃga virāje mahākālī kahalātī hai।
hāthoṃ meṃ talavāra hai khappara bhī ye dhāra hai ,
lāla cunara oढ़e hai maiyā siṃha pe savāra hai॥
āja śukravāra hai…

koī kahatā durgā tumako koī kahatā kālī hai,
piṃḍī rūpa meṃ vaiṣṇo maiyā darśana dene vālī hai।
karatī beड़ā pāra hai karatī mā~ uddhāra hai,
lāla cunara oढ़e hai maiyā siṃha pe savāra hai॥
āja śukravāra hai…

navarātoṃ meṃ nau rūpoṃ meṃ sabake ghara mā~ ātī hai,
kaṃjaka rūpa meṃ halavā cane kā maiyā bhoga lagatī hai।

śakti kā avatāra hai hotī jaya jayakāra hai,
lāla cunara oढ़e hai maiyā siṃha pe savāra hai॥

āja śukravāra hai mā~ ambe kā vāra hai, ye saccā darabāra hai।
lāla cunara oढ़e hai maiyā siṃha pe savāra hai॥

जैसा कि स्पष्ट है कि इसका गायन प्रत्येक शुक्रवार को किया जाता है, अतः इसे शुक्रवार आरती (Shukrawar Aarti) Friday Aarti भी कहा जाता है।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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