अहिल्याबाई आरती
अहिल्याबाई आरती का हर शब्द श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण है। काशी विश्वनाथ समेत अनेकानेक प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार करने वालीं अहिल्याबाई होल्कर का यश संपूर्ण भारतवर्ष में व्याप्त है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ही धर्म के लिए समर्पित कर दिया। अहिल्याबाई आरती उसी धर्म-निष्ठा की गूंज है। जन-जन का दुःख दूर कर उन्होंने सबके कष्टों का हरण किया और सबकी सहायता की। कलयुग की देवी के नाम से प्रसिद्ध अहिल्याबाई होळकर का स्मरण और अहिल्याबाई आरती का गायन सभी के हृदय में वही निष्ठा, साहस, वीरता और निःस्वार्थता भर देता है। पढ़ें यह आरती–
जय अहिल्या बाई ! माँ,जय अहिल्या बाई !!
दया धर्म की मूरत , शिव की अनुयायी ॥
जन्म मानको के घर, चौंडी में पाया।
ससुर मल्हार होल्कर,पति खंडे राया ॥
सहे निजी जीवन में , तुमने दुख भारी।
बनीं लोक माता तुम, जन-जन दुख हारी ॥
तीस वर्ष मालव पर , तुमने राज किया।
हर प्राणी संरक्षित, सुख के साथ जिया ॥
तुमने राघोवा के , दर्प हरे सारे।
समर भूमि में तुमसे ,चन्द्रावत हारे ॥
हत्या लूट जहाँ थी , पेशे गत जारी।
वश में किये शक्ति से,तुमने पिंडारी ॥
मुख पर दिव्य अलौकिक,शोभा कल्याणी।
धनगर वंश शिरोमणि , जनप्रिय महारानी ॥
यश-प्रताप परहित का,जब जग में छाया।
महा विरुद जीते जी , ”पुण्यश्लोक”पाया ॥
ग्रंथ कार करते हैं , शब्दों से पूजा।
प्रजा परायण तुम-सा, हुआ नहीं दूजा॥
तुम-सा शासक कोई , भारत फिर पावे।
रोज़ी-रोटी छत हो , मन का डर ,जावे ॥
माँ तेरी यश गाथा , कवि ‘दीपक’ गाए।
कलयुग की देवी को ,जग शीश झुकाए॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर अहिल्याबाई आरती को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें अहिल्याबाई आरती रोमन में–
jaya ahilyā bāī ! mā~,jaya ahilyā bāī।
dayā dharma kī mūrata , śiva kī anuyāyī ॥
janma mānako ke ghara, cauṃḍī meṃ pāyā।
sasura malhāra holkara,pati khaṃḍe rāyā ॥
sahe nijī jīvana meṃ , tumane dukha bhārī।
banīṃ loka mātā tuma, jana-jana dukha hārī ॥
tīsa varṣa mālava para , tumane rāja kiyā।
hara prāṇī saṃrakṣita, sukha ke sātha jiyā ॥
tumane rāghovā ke , darpa hare sāre।
samara bhūmi meṃ tumase ,candrāvata hāre ॥
hatyā lūṭa jahā~ thī , peśe gata jārī।
vaśa meṃ kiye śakti se,tumane piṃḍārī ॥
mukha para divya alaukika,śobhā kalyāṇī।
dhanagara vaṃśa śiromaṇi , janapriya mahārānī ॥
yaśa-pratāpa parahita kā,jaba jaga meṃ chāyā।
mahā viruda jīte jī , ”puṇyaśloka”pāyā ॥
graṃtha kāra karate haiṃ , śabdoṃ se pūjā।
prajā parāyaṇa tuma-sā, huā nahīṃ dūjā॥
tuma-sā śāsaka koī , bhārata phira pāve।
roज़ī-roṭī chata ho , mana kā ḍara ,jāve ॥
mā~ terī yaśa gāthā , kavi ‘dīpaka’ gāe।
kalayuga kī devī ko ,jaga śīśa jhukāe ॥