चुप्पा सबसे भला – अकबर-बीरबल की कहानी
“चुप्पा सबसे भला” कहानी पिछली लघुकथा “सच्चे-झूठे का भेद“ से आगे शुरू होती है। इसमें बीरबल अकबर के सामने यह साबित करता है कि चुप रहना ही सबसे बेहतर रणनीति है। अन्य कहानियाँ पढ़ने के लिए कृपया यहाँ देखें – अकबर-बीरबल की कहानियां।
एक दिन अकबर को एक नई तरंग सूझी। उसने बीरबल को तुरंत आज्ञा दी, “बीरबल, एक ऐसा मनुष्य ढूँढ ला जो सब सयानों का सरताज हो?”
बीरबल किसी बात से भला कब हताश होने वाला था। उसने झट उत्तर दिया, “पृथिवीनाथ, शीघ्रातिशीघ्र ढूँढकर हाजिर करूंगा। परन्तु इस काम में दस हजार रुपयों की आवश्यकता है।”
अकबर की आज्ञा से बीरबल को तत्काल दस हजार रुपयों की थैली दी गई। बीरबल रुपयों को लेकर अपने घर चला गया। थैली घर पर रखकर ख़ुद “सौ सयाने का एक सयाना” की फिराक में शहर की गलियों को छानने लगा।
मशल मशहूर है, “जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ।” दैवात उसे एक अहीर मिला। उसको दिहाती चतुर देख बीरबल ने उसे अपने पास बुलाकर उसके कान में समझाया, “देखो, यदि तुम मेरे कहने के अनुसार करोगे, तो मैं तुझे एक सौ रुपया इनाम दूंगा?”
ग्वाला भला काहे का इन्कार करता। बिचारे ने इकही सौ रुपयों की गुल्ली आजन्म में नहीं देखी थी। उसको अपने अनुकूल समझकर बीरबल बोला, “देखो, मेरे साथ तुम्हें बादशाह अकबर के पास चलना होगा, यदि बादशाह तुमसे कुछ पूछे तो एकदम चुप रह जाना।” वह बोला, “बहुत अच्छा। ऐसा ही करूंगा।”
बीरबल उस अहीर को अच्छे-अच्छे वस्त्रों से सुसज्जित कर शाही दरबार में ले गया और अकबर के समक्ष खड़ाकर बोला, “पृथिवीनाथ! आपकी आज्ञानुसार सयाना मनुष्य हाजिर है। उसकी परीक्षा कर लें।”
अकबर ने उसे और समीप खड़ा करा यों प्रश्न करना प्रारम्भ किया, “तुम कहाँ रहते हो? तुम्हारे माता-पिता तुमको किस नाम से पुकारते हैं? कौन-सी बात विशेष जानते हो?” बादशाह ने बारी-बारी से इसी प्रकार अनेकों प्रश्न किये, परन्तु वह तो सोहबल्ले की तरह पहले से ही पढ़ाकर पक्का कर दिया गया था। उत्तर काहे को देता।
अब बीरबल को उसे सँभालने की बारी आई। वह बोला, “पृथिवीनाथ! आपके पूछने का इस आदमी ने यह अर्थ निकाला है कि न जाने बादशाह अकबर यह सब बातें पूछकर पीछे क्या करें। क्योंकि ऐसी कहावत उसे पहले ही से याद है–
राजा योगी अग्नि जल, इनकी उल्टी रीति।
डरते रहियो भाइयो थोड़ी पालें प्रीति॥
अर्थात राजा, योगी, आग और पानी से डरते रहना चाहिए और मेल-जोल कम रखना चाहिए। इसलिए इसने पदार्थ मौन धारण कर लिया है। आपने सुना होगा, “चुप्पा सबसे भला।”
बादशाह अकबर को बीरबल की शिक्षा से आनन्द प्राप्त हुआ और अहीर को घर जाने की छुट्टी मिल गई।
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