धर्म

बर्बरीक से खाटूश्याम – Barbarika Se Khatushyam – Shlovij ft. Ekansh Mamgai

पढ़ें “बर्बरीक से खाटूश्याम” लिरिक्स

कुरुक्षेत्र की भूमि नाम बर्बरीक क्यों सबको याद नहीं
काट शीश धरा कृष्ण चरण करी उफ्फ तलक भी आवाज नहीं
श्याम नाम संग पहुंचे लेके कलियुग में सहारे हारे के
तीन बाण के धारी श्याम खाटू कहलाते आज वही।

आओ शुरू करे कहानी उस काल की
छिड़ी थी लड़ाई जब भाई और भाई की
एक तरफ धर्म दूसरी तरफ अधर्म
एक तरफ भीम पौत्र कसम जिसने खाई थी
दादी हिडिंबा को दिया था वचन
बनूं हारे का सहारा माता देना आशीर्वाद
लेके निकल पड़े युद्ध भूमि ओर थाम तरकश को भुजा में तीन बाण लेके साथ
बीच राह में बन साधु पहुंचे माधव जिन्हें भलीं भांति था योद्धा के वचन का एहसास
बोले वत्स इतनी शीघ्रता में क्यों हो कहां जाते हो कहो क्या है प्रयोजन इतना खास
देख साधु बर्बरीक बोले ब्राह्मण देव पथ मेरा दो छोड़ नहीं करनी है विलम्ब
हूं मैं अग्रसर एक युद्ध की ओर बनना हारे का सहारा तीन बाणों की सौगंध
ब्राह्मण वेश में मुस्काए माधव बोले तीन बाणों से हे वीर युद्ध कैसे जीत पाओगे
बर्बरीक बोले आम ना ये बाण लक्ष्य भेदने के बाद मेरे तरकश में ही पाओगे।।

बोले भेष ब्राह्मण का बनाए कृष्ण मुझको विश्वास नहीं,
ऐसे बाण भी होते हैं क्या दिखलाओ मुझको साक्षात कहीं,
देख वृक्ष चुन सूखे पत्ते बना लक्ष्य छोड़ दो बाण कहीं,किंचित ना छूटे भेदन से एक भी पत्ता सुखा रहे याद यही।

चढ़ा प्रत्यंजा पे छोड़ दिया तीर एक एक करके सारे सूखे पत्ते दिए चीर
इसी बीच पत्ता एक नीचे पांव के दबा दिया माधव ने जो नीचे गया था गिर
बाद भेदने के सूखे पत्ते वृक्ष के पांव के ऊपर आके ब्राह्मण के रुका वो तीर
बोले बर्बरीक पांव को हटा लो पांव नीचे भी है लक्ष्य, भेद के ही रुके तीर
देख खेल असल भेष में प्रकट देख कृष्ण को समक्ष गिरा चरणों में था वीर
बोले माधव मुझको देखना था कौशल तेरी लेनी थी परीक्षा हे वीरों में परमवीर
किंतु बर्बरीक बाध्य तुम वचन के गर जो उतरोगे तुम युद्ध में करोगे सर्वनाश
बोले बर्बरीक कैसे रोकूं खुद को कैसे मोक्ष को मैं पाऊं हूं तो आपका ही दास।
बाल्यकाल से ही दादी से सुना था श्री कृष्ण के हाथों से मोक्ष हो जाता है प्राप्त
करूं शीषदान चरणों में प्रभु मगर है इच्छा चाहता देखना होता युद्ध समाप्त

कुरुक्षेत्र की भूमि नाम बर्बरीक क्यों सबको याद नहीं
काट शीश धरा कृष्ण चरण करी उफ्फ तलक भी आवाज नहीं
श्याम नाम संग पहुंचे लेके कलियुग में सहारे हारे के
तीन बाण के धारी श्याम खाटू कहलाते आज वही।

बर्बरीक की अंतिम इच्छा पूर्ण करते हुए श्री कृष्ण जी ने एक पर्वत पर उनके शीश को रखा जहां से उन्होंने पूरा युद्ध देखा।
युद्ध के अंत के पश्चात जब पांडव जीत का श्रेय अपने अपने ऊपर लेने लगे तब श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक से पूछा की इस युद्ध में पांडवों की विजय किसने कराई।

तब बर्बरीक बोले मुझे तो पूरे युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ही सबका अंत करते दिखाई दे रहे थे, वहीं असली विजय का कारण है। बर्बरीक का उत्तर सुनने के पश्चात श्री कृष्ण ने उनको वरदान दिया की कलियुग में उनको उनके श्याम नाम के साथ पूजा जाएगा और वे हारे का सहारा कहलाएंगे।।

जिस स्थान पर बर्बरीक के शीश को रखा गया था उस स्थान को चुलकाना धाम के नाम से जाना जाता है।।

जय श्री खाटू श्याम🙏

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम बर्बरीक से खाटूश्याम गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें बर्बरीक से खाटूश्याम गीत रोमन में-

Read Barbarika Se Khatushyam Lyrics

kurukṣetra kī bhūmi nāma barbarīka kyoṃ sabako yāda nahīṃ
kāṭa śīśa dharā kṛṣṇa caraṇa karī uphpha talaka bhī āvāja nahīṃ
śyāma nāma saṃga pahuṃce leke kaliyuga meṃ sahāre hāre ke
tīna bāṇa ke dhārī śyāma khāṭū kahalāte āja vahī।

āo śurū kare kahānī usa kāla kī
chiḍa़ī thī laḍa़āī jaba bhāī aura bhāī kī
eka tarapha dharma dūsarī tarapha adharma
eka tarapha bhīma pautra kasama jisane khāī thī
dādī hiḍiṃbā ko diyā thā vacana
banūṃ hāre kā sahārā mātā denā āśīrvāda
leke nikala paḍa़e yuddha bhūmi ora thāma tarakaśa ko bhujā meṃ tīna bāṇa leke sātha
bīca rāha meṃ bana sādhu pahuṃce mādhava jinheṃ bhalīṃ bhāṃti thā yoddhā ke vacana kā ehasāsa
bole vatsa itanī śīghratā meṃ kyoṃ ho kahāṃ jāte ho kaho kyā hai prayojana itanā khāsa
dekha sādhu barbarīka bole brāhmaṇa deva patha merā do choḍa़ nahīṃ karanī hai vilamba
hūṃ maiṃ agrasara eka yuddha kī ora bananā hāre kā sahārā tīna bāṇoṃ kī saugaṃdha
brāhmaṇa veśa meṃ muskāe mādhava bole tīna bāṇoṃ se he vīra yuddha kaise jīta pāoge
barbarīka bole āma nā ye bāṇa lakṣya bhedane ke bāda mere tarakaśa meṃ hī pāoge।।

bole bheṣa brāhmaṇa kā banāe kṛṣṇa mujhako viśvāsa nahīṃ,
aise bāṇa bhī hote haiṃ kyā dikhalāo mujhako sākṣāta kahīṃ,
dekha vṛkṣa cuna sūkhe patte banā lakṣya choḍa़ do bāṇa kahīṃ,kiṃcita nā chūṭe bhedana se eka bhī pattā sukhā rahe yāda yahī।

caḍha़ā pratyaṃjā pe choḍa़ diyā tīra eka eka karake sāre sūkhe patte die cīra
isī bīca pattā eka nīce pāṃva ke dabā diyā mādhava ne jo nīce gayā thā gira
bāda bhedane ke sūkhe patte vṛkṣa ke pāṃva ke ūpara āke brāhmaṇa ke rukā vo tīra
bole barbarīka pāṃva ko haṭā lo pāṃva nīce bhī hai lakṣya, bheda ke hī ruke tīra
dekha khela asala bheṣa meṃ prakaṭa dekha kṛṣṇa ko samakṣa girā caraṇoṃ meṃ thā vīra
bole mādhava mujhako dekhanā thā kauśala terī lenī thī parīkṣā he vīroṃ meṃ paramavīra
kiṃtu barbarīka bādhya tuma vacana ke gara jo utaroge tuma yuddha meṃ karoge sarvanāśa
bole barbarīka kaise rokūṃ khuda ko kaise mokṣa ko maiṃ pāūṃ hūṃ to āpakā hī dāsa।
bālyakāla se hī dādī se sunā thā śrī kṛṣṇa ke hāthoṃ se mokṣa ho jātā hai prāpta
karūṃ śīṣadāna caraṇoṃ meṃ prabhu magara hai icchā cāhatā dekhanā hotā yuddha samāpta

kurukṣetra kī bhūmi nāma barbarīka kyoṃ sabako yāda nahīṃ
kāṭa śīśa dharā kṛṣṇa caraṇa karī uphpha talaka bhī āvāja nahīṃ
śyāma nāma saṃga pahuṃce leke kaliyuga meṃ sahāre hāre ke
tīna bāṇa ke dhārī śyāma khāṭū kahalāte āja vahī।

barbarīka kī aṃtima icchā pūrṇa karate hue śrī kṛṣṇa jī ne eka parvata para unake śīśa ko rakhā jahāṃ se unhoṃne pūrā yuddha dekhā।
yuddha ke aṃta ke paścāta jaba pāṃḍava jīta kā śreya apane apane ūpara lene lage taba śrī kṛṣṇa jī ne barbarīka se pūchā kī isa yuddha meṃ pāṃḍavoṃ kī vijaya kisane karāī।

taba barbarīka bole mujhe to pūre yuddha ke daurāna śrī kṛṣṇa hī sabakā aṃta karate dikhāī de rahe the, vahīṃ asalī vijaya kā kāraṇa hai। barbarīka kā uttara sunane ke paścāta śrī kṛṣṇa ne unako varadāna diyā kī kaliyuga meṃ unako unake śyāma nāma ke sātha pūjā jāegā aura ve hāre kā sahārā kahalāeṃge।।

jisa sthāna para barbarīka ke śīśa ko rakhā gayā thā usa sthāna ko culakānā dhāma ke nāma se jānā jātā hai।।

jaya śrī khāṭū śyāma🙏

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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