भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची – Bharat Ke Pradhanmantri in Hindi
भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची हिंदी में लेकर हम आपके सामने हाज़िर हैं। यूँ तो राष्ट्रपति गणराज्य का प्रधान होता है लेकिन व्यावहारिक तौर पर प्रधानमंत्री ही सारे निर्णय लेता है। प्रधानमंत्री भारतीय गणराज्य के सबसे उच्च नागरिक नेता के रूप में जाने जाते हैं जिनका महत्वपूर्ण योगदान हमारे देश के निर्माण और विकास में होता है।
भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची इन नेताओं के जीवन और कार्यक्षेत्र का एक महत्वपूर्ण अंश है, जो हमें यह सिखाती है कि हमारा देश किस तरह से विकसित हुआ है और उसका सफ़र कैसा रहा। इस लेख में हम आपको भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची के साथ उनके महत्वपूर्ण कार्यों का एक संक्षेप में विवरण देंगे।
1. पंडित जवाहरलाल नेहरू (1947-1964)
पंडित जवाहरलाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने देश का संचालन किया। उनके प्रधानमंत्री बनने के समय देश को एक प्रगति और स्थायित्व की आवश्यकता थी। राजनीतिक तौर पर देश को यही स्थायित्व उनसे प्राप्त हुआ। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे और अपने 17 वर्षीय कार्यकाल में देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण क़दम उठाए। जैसे कि इंडिया प्लान के माध्यम से आर्थिक विकास को प्राथमिकता देना और विज्ञान व प्रौद्योगिकी में निवेश करना। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक Discovery of India आप हिंदी में यहाँ पढ़ सकते हैं – भारत की खोज। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं–
- धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की स्थापना – नेहरू कट्टर धर्मनिरपेक्षतावादी थे और उनका मानना था कि भारत एक ऐसा देश होना चाहिए जहाँ सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जाए। उन्होंने एक ऐसा संविधान बनाने के लिए काम किया जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता हो व उन्होंने सहिष्णुता और समझ की संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश की।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा – उनका का मानना था कि भारत को अपने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण की आवश्यकता है। उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं सहित कई महत्वाकांक्षी आर्थिक कार्यक्रम शुरू किए, जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि की नींव रखने में मदद मिली।
- भारत की अंतर्राष्ट्रीय भूमिका को मजबूत करना – नेहरू गुटनिरपेक्षता के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने दुनिया भर के अन्य देशों के साथ भारत के संबंध बनाने के लिए काम किया। उन्होंने गुटनिरपेक्ष आंदोलन की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- कश्मीर विवाद – कश्मीर विवाद कश्मीर क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चला आ रहा संघर्ष है। नेहरू विवाद को सुलझाने में असमर्थ रहे थे, लेकिन उन्होंने उस समय दोनों देशों के बीच शांति क़ायम रखने में क़ामयाबी हासिल की थी। हालाँकि कश्मीर पर उनकी नीति हमेशा विवादित रही और उनकी इस नीति की आलोचना होती रही है।
- विभाजन की चुनौतियों का सामना – 1947 में भारत का विभाजन एक दर्दनाक घटना थी जिसके कारण लाखों लोगों की मृत्यु हुई। नेहरू के सामने देश के पुनर्निर्माण का कठिन कार्य था और उन्होंने अराजकता और हिंसा को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की।
2. गुलजारीलाल नंदा (1964, 1966)
पंडित नेहरू और लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद गुलजारीलाल नंदा ने तेरह-तेरह दिनों के लिए प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला था। प्रधान मंत्री के रूप में नंदा को बदलाव के समय में स्थिरता और निरंतरता बनाए रखने का काम सौंपा गया था। उन्होंने ग़रीबों और मज़दूर वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी क़दम उठाए। नंदा को 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 15 जनवरी, 1998 को 99 वर्ष की आयु में अहमदाबाद, गुजरात में उनका निधन हो गया। उनके मुख्य कार्य निम्नवत् हैं–
- स्थिरता एवं निरंतरता क़ायम करना – भारत के दो सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद परिवर्तन के समय में नंदा को स्थिरता और निरंतरता बनाए रखने का काम सौंपा गया था जिसे उन्होंने बख़ूबी किया।
- ग़रीबों और मज़दूर वर्ग के लिए कार्य – नंदा ने ग़रीबों और मज़दूर वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई क़दम उठाए जैसे न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाना और खाद्य सब्सिडी प्रदान करना आदि।
- कश्मीर विवाद के समाधान का प्रयत्न – नंदा ने कश्मीर विवाद को सुलझाने की कोशिश की। कश्मीर क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा था। हालाँकि, इसमें वे असफल रहे।
- भारत-चीन युद्ध की चुनौतियों का सामना – नंदा को 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद पैदा हुई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने भारत की सुरक्षा को मज़बूत करने और चीन के साथ शांति समझौते पर बातचीत करने के लिए काम किया।
3. लाल बहादुर शास्त्री (1964-1966)
भारतीय संघ के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे। उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय बहुत सूझ-बूझ का परिचय दिखाया और भारतीय सेनाओं ने उनके नेतृत्व में पाकिस्तान को परास्त कर विजय का ध्वज फहराया। उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का प्रसिद्ध नारा दिया। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष के बावजूद वे केवल 19 महीनों के लिए प्रधानमंत्री रहे थे, लेकिन उनके कार्यों का प्रभाव आज भी हमारे देश पर बहुत अधिक है। शास्त्री जी के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं–
- शांति को बढ़ावा देना – शास्त्री शांति के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने भारत के पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने के लिए काम किया। उन्होंने 1966 में पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के साथ ताशकंद घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिससे दूसरा भारत-पाकिस्तान युद्ध समाप्त हो गया।
- श्वेत क्रांति का शुभारंभ – शास्त्री ने दूध के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान “श्वेत क्रांति” शुरू की। इससे भारत के दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देना – लाल बहादुर शास्त्री ने बुनियादी ढांचे और कृषि में निवेश करके आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया। उन्होंने ग़रीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों की मदद के लिए कई सामाजिक कल्याण कार्यक्रम भी शुरू किए।
- द्वितीय भारत-पाकिस्तान युद्ध की चुनौतियों का सामना – शास्त्री को 1965 में हुए दूसरे भारत-पाकिस्तान युद्ध की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने युद्ध में भारत को जीत दिलाई और पाकिस्तान के साथ शांति समझौता करने में सफलता हासिल की।
4. इंदिरा गांधी (1966-1977, 1980-1984)
इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। वे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की पुत्री थीं। उनके पहले कार्यकाल में उन्होंने ग़रीबों के लिए व ग़रीबी हटाने के लिए कई सामाजिक कार्यक्रम शुरू किए जैसे कि ग़रीबी हटाओ अभियान और चिकित्सकीय सेवाओं का विकास आदि। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पाकिस्तान को एक बार फिर हार का मुँह देखना पड़ा। बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए भी उनका योगदान महत्वपूर्ण था। वे 1980 में फिर से प्रधानमंत्री बनीं। उनके प्रमुख कार्य निम्नवत् हैं–
- बैंकों और बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण – 1969 में इंदिरा गांधी ने 14 प्रमुख बैंकों और 4 बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया। यह एक विवादास्पद क़दम था, लेकिन इसे एक ऐसे क़दम के रूप में देखा गया कि जिसके ज़रिए ग़रीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों को लाभ प्राप्त होगा।
- हरित क्रांति की शुरूआत – हरित क्रांति एक प्रमुख कृषि पहल थी जो 1960 के दशक में शुरू की गई थी। इसमें फसलों की नई उच्च उपज वाली किस्मों की शुरूआत के साथ-साथ उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग भी शामिल था। हरित क्रांति ने भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा में सुधार करने में मदद की।
- बांग्लादेश मुक्ति संग्राम – 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता में इंदिरा गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने बंगाली प्रतिरोध आंदोलन “मुक्ति वाहिनी” को सैन्य और वित्तीय सहायता प्रदान की और पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता को सुरक्षित करने में मदद की।
- आपातकाल का काला अध्याय – 1975 में इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी। यह एक अत्यन्त विवादास्पद क़दम था जिसे कई लोगों ने असहमति को दबाने और अपनी शक्ति को मज़बूत करने के तरीक़े के रूप में देखा। स्वतंत्र भारत में यह लोकतंत्र के लिए सबसे चुनौती भरा समय था। 1977 में आपातकाल हटा लिया गया और उसके बाद हुए चुनावों में इंदिरा गांधी हार गईं।
5. मोरारजी देसाई (1977-1979)
मोरारजी देसाई एक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 1977 और 1979 के बीच जनता पार्टी द्वारा गठित सरकार का नेतृत्व करते हुए भारत के चौथे प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक कट्टर शाकाहारी थे और शराब के ख़िलाफ़ थे। मोरारजी अपनी साधारण जीवनशैली और सार्वजनिक सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। देसाई इंदिरा गांधी की नीतियों के कड़े आलोचक थे और उन्होंने 1969 में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। वे 1977 में जनता पार्टी में शामिल हो गए और उस वर्ष आम चुनावों में पार्टी को जीत दिलाई। उनके मुख्य काम निम्नलिखित हैं–
- आर्थिक सुधार – देसाई ने कई आर्थिक सुधार लागू किए, जिनमें रुपये का अवमूल्यन और आयात नियंत्रण हटाना शामिल थे। उन्होंने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और सरकार की दक्षता में सुधार करने का भी प्रयास किया।
- काले धन पर लगाम – देसाई ने उच्च मूल्य वाले मुद्रा नोटों का विमुद्रीकरण करके भारत में काले धन के प्रसार पर अंकुश लगाने की कोशिश की।
- राजनीतिक बंदियों की रिहाई – मोरारजी देसाई ने कई राजनीतिक क़ैदियों को रिहा कर दिया, जिन्हें इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान हिरासत में लिया गया था।
- पाकिस्तान के साथ संबंधों में सुधार – देसाई ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की और उन्होंने 1978 में पाकिस्तानी प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो से मुलाक़ात की।
- प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र – जनता पार्टी में अपने सहयोगियों के साथ मतभेद के कारण 1979 में देसाई ने इस्तीफा दे दिया।
6. चौधरी चरण सिंह (1979-1980)
चौधरी चरण सिंह का प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल बहुत छोटा और अस्थायी रहा। वे एक राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक भारत के पाँचवें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारतीय लोक दल (बीएलडी) के नेता और किसानों के मसीहा माने जाते थे। उनके मुख्य कार्य निम्नवत् हैं–
- ग़रीबों और किसानों की बेहतरी – सिंह ने ग़रीबों और किसानों के जीवन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने इन समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए कई नीतियां पेश कीं, जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और भूमि सुधार अधिनियम।
- राजे-रजवाड़ों को भत्ते की पुनः शुरुआत – आज़ादी के पहले के राजे-रजवाड़ों को उन्होंने ख़र्चा और भत्ता देने की फिर शुरुआत की। यह एक विवादास्पद क़दम था, क्योंकि इसे कई लोगों द्वारा ग़रीबों और किसानों के साथ विश्वासघात के रूप में देखा गया।
- पद से त्यागपत्र – चौधरी चरण सिंह ने 1980 में बीएलडी में अपने सहयोगियों के साथ मतभेद के कारण इस्तीफ़ा दे दिया। उनकी जगह इंदिरा गांधी ने ली।
7. राजीव गांधी (1984-1989)
राजीव गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने 1984 से 1989 तक कार्यभार संभाला। वे 40 वर्ष की आयु में पद संभालने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। राजीव इंदिरा गांधी के पुत्र थे, जिनकी 1984 में हत्या कर दी गई थी। वे 1980 में संसद पहुँचे और अपनी माँ की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री बने। 1991 में तमिल टाइगर्स से जुड़े आत्मघाती हमलावर द्वारा राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उनके मुख्य काम निम्नलिखित हैं–
- आधुनिकीकरण – राजीव गांधी की सरकार ने आधुनिकीकरण पर जोर दिया, विशेषकर प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में।
- सिख विरोधी दंगे – राजीव गांधी को सिख विरोधी दंगों के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। सन् 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जो दंगे भड़के, उनमें बहुत-से सिखों को बर्बरता का सामना करना पड़ा। कई लोगों का आरोप है कि राजीव गांधी के कथन “जब बड़ा पेड़ गिरता है तो ज़मीन हिलती ही है” ने इन दंगों में आग में घी का काम किया।
- सामाजिक कल्याण – उनकी सरकार ने कई सामाजिक कल्याण कार्यक्रम भी शुरू किए, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा में सुधार के लिए “ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड” कार्यक्रम, बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए “एकीकृत बाल विकास सेवाएँ” और नौकरियाँ पैदा करने के लिए रोजगार योजना कार्यक्रम आदि।
- श्रीलंकाई गृहयुद्ध – राजीव गांधी की सरकार ने तमिल टाइगर्स नामक एक विद्रोही समूह–जो श्रीलंका में एक अलग तमिल राज्य के लिए लड़ रहे थे–से निपटने में श्रीलंकाई सरकार की मदद के लिए भारतीय सैनिकों को भी श्रीलंका भेजा था। श्रीलंकाई गृहयुद्ध में भारतीय हस्तक्षेप भारत में अलोकप्रिय था, और अंततः यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल रहा।
8. वीपी सिंह (1989-1990)
विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के एकमात्र प्रधानमंत्री हैं जो पूर्व राजपरिवार के सदस्य रहे हैं। सिंह एक विवादास्पद व्यक्तित्व थे, लेकिन उन्हें भारतीय राजनीति की सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक माना जाता है। उन्हें मंडल आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन और आर्थिक सुधारों की शुरुआत सहित कई महत्वपूर्ण सुधार लाने का माध्यम माना जाता है। उनके प्रमुख कार्य निम्नवत् हैं–
- मंडल रिपोर्ट का क्रियान्वयन – मंडल आयोग की रिपोर्ट एक रिपोर्ट थी जिसमें सिफारिश की गई थी कि 27% सरकारी नौकरियाँ पिछड़े वर्ग के सदस्यों के लिए आरक्षित की जानी चाहिए। सिंह की सरकार ने इस रिपोर्ट को लागू किया।
- आर्थिक सुधारों की शुरुआत – राष्ट्रीय मोर्चा सरकार, जिसके वीपी सिंह प्रधानमंत्री थे, ने व्यापार और निवेश व्यवस्था के उदारीकरण सहित कई आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। इन सुधारों का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना था। बाद में नरसिम्हा राव की सरकार ने इस कार्य को पूर्ण किया।
- बोफोर्स घोटाला – जब बोफोर्स घोटाला सामने आया तब विश्वनाथ प्रताप सिंह (वी.पी. सिंह) रक्षा मंत्री थे। घोटाला उजागर होने के बाद उन्होंने मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया।
9. चंद्रशेखर (1990-1991)
चंद्र शेखर भारत के ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने नवंबर 1990 से जून 1991 तक 223 दिनों की छोटी अवधि के लिए कार्यकाल संभाला। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बाहरी समर्थन के साथ जनता दल पार्टी के एक टूटे हुए गुट की अल्पमत सरकार का नेतृत्व किया। दो पूर्व आईबी अधिकारियों द्वारा जासूसी के आरोपों के बाद राजीव गांधी द्वारा सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद उन्होंने जून 1991 में इस्तीफा दे दिया। उनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था और उनकी मृत्यु 2007 में नई दिल्ली में हुई थी। उनके प्रमुख कार्य निम्न हैं–
- चुनौतियों का सामना – उन्हें खाड़ी युद्ध, आर्थिक संकट, मंडल आयोग का विरोध और राम जन्मभूमि आंदोलन जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- नई नीतियों का कार्यान्वयन – उन्होंने अर्थव्यवस्था को उदार बनाने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नई आर्थिक नीति, नई औद्योगिक नीति और नई व्यापार नीति जैसे कई सुधार पेश किए।
- पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारने की कोशिश – उन्होंने कश्मीर में अलगाववादी समूहों के साथ बातचीत भी शुरू की और पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की।
10. पीवी नरसिम्हा राव (1991-1996)
पीवी नरसिम्हा राव एक भारतीय वकील और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 1991 से 1996 तक भारत के 9वें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वे दक्षिण भारत से थे और भारत के पहले ग़ैर-हिंदी भाषी प्रधान मंत्री थे। यद्यपि उन्हें अनेक भाषाओं का बहुत अच्छा ज्ञान था। राव 1991 में प्रधानमंत्री बनने के लिए एक अनोखे विकल्प थे। वे जनता के बीच उतने ज्ञात नहीं थे और उन्हें इस पद के लिए दावेदार नहीं माना जाता था। हालाँकि, उन्हें कांग्रेस पार्टी नेतृत्व द्वारा चुना गया था क्योंकि उन्हें सबके बीच सन्तुलन बिठाने वाले उदारवादी नेता के रूप में देखा जाता था। उनके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं–
- आर्थिक सुधार – राव ने कई आर्थिक सुधारों की शुरुआत की जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में मदद मिली। इन सुधारों में रुपये का अवमूल्यन, आयात शुल्क में कमी और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का निजीकरण शामिल था।
- सांप्रदायिक दंगों से जुड़ी आलोचना – बंबई में 1992 के सांप्रदायिक दंगों से निपटने के लिए राव की आलोचना की गई। दंगे उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित ढांचे (बाबरी मस्जिद) के विध्वंस से भड़के थे। राव पर हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाने और पीड़ितों को पर्याप्त राहत प्रदान करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया था।
- हवाला कांड का आरोप – नरसिम्हा राव पर हवाला कांड में शामिल होने का भी आरोप लगाया गया था। यह एक वित्तीय घोटाला था जिसमें अवैध रूप से धन का हस्तांतरण शामिल था। हालाँकि, उन पर कभी भी किसी अपराध का आरोप साबित नहीं हुआ।
11. एचडी देवेगौड़ा (1996-1997)
देवगौड़ा ने जून 1996 से अप्रैल 1997 तक 324 दिनों की संक्षिप्त अवधि के लिए प्रधानमंत्री के तौर पर कार्य किया। वे 1994 से 1996 तक कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री भी थे। देवेगौड़ा संयुक्त मोर्चा गठबंधन का नेतृत्व करने के बाद प्रधानमंत्री बने। वे मई 1996 में 13 दिवसीय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के पतन के बाद सत्ता में आए थे। वे कर्नाटक के वोक्कालिगा समुदाय से थे। बजट और अन्य मुद्दों पर मतभेद के पश्चात् कांग्रेस द्वारा सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद उन्होंने अप्रैल 1997 में इस्तीफा दे दिया। एचडी देवेगौड़ा अभी भी जनता दल (सेक्युलर) पार्टी के अध्यक्ष के रूप में राजनीति में सक्रिय हैं। उनके प्रमुख कार्य ये हैं–
- नई योजनाओं का आरंभ – उन्होंने अपनी मुख्य प्राथमिकताओं के रूप में ग्रामीण विकास, कृषि और सिंचाई पर ध्यान केंद्रित किया और प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना और राष्ट्रीय कृषि प्रौद्योगिकी परियोजना जैसी कई योजनाएं शुरू कीं।
- आर्थिक सुधार – उन्होंने कुछ आर्थिक सुधारों की भी शुरुआत की जैसे स्वैच्छिक आय प्रकटीकरण योजना, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम आदि।
12. आईके गुजराल (1997-1998)
इंदर कुमार गुजराल भारत के 12वें प्रधान मंत्री थे जिन्होंने अप्रैल 1997 से मार्च 1998 तक 11 महीने की छोटी अवधि के लिए कार्यकाल सम्हाला। वे एक राजनयिक और एक कवि भी थे। वे कांग्रेस के बाहरी समर्थन से संयुक्त मोर्चा गठबंधन के नेता के रूप में देवेगौड़ा के बाद प्रधानमंत्री बने। कुछ क्षेत्रीय दलों को गठबंधन से बाहर करने के मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद उन्होंने मार्च 1998 में इस्तीफा दे दिया। इंद्र कुमार गुजराल 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान सूचना और प्रसारण मंत्री भी थे। उनके प्रमुख कार्य हैं–
- गुजराल सिद्धांत द्वारा संबंध सुधार – उन्होंने गुजराल सिद्धांत को लागू किया, जो एक विदेश नीति संबंधी पहल थी जिसका उद्देश्य एकतरफ़ा सहयोग की पेशकश करके भारत के पड़ोसियों, विशेष रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और मालदीव के साथ संबंधों में सुधार करना था।
- सीटीबीटी का विरोध – उन्होंने व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया, जो एक वैश्विक संधि थी जिसके चलते परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया जाता था। उनके इस प्रतिरोध के चलते अगली सरकार के लिए 1998 में पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- सामाजिक कल्याण की योजनाएँ – उन्होंने कुछ सामाजिक कल्याण योजनाएँ भी शुरू कीं जैसे राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, जो बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांगों को पेंशन प्रदान करता था, और सर्व शिक्षा अभियान, जिसका उद्देश्य सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना था।
13. अटल बिहारी वाजपेयी (1996, 1998-2004)
अटल बिहारी वाजपेयी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 1996 में 13 दिनों के कार्यकाल के लिए और फिर 1998 से 2004 तक भारत के 10वें और 13वें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वह कार्यालय में पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेस प्रधान मंत्री थे। वाजपेयी भारतीय राजनीति में एक लोकप्रिय व्यक्तित्व थे और वे अपनी वाक्पटुता और अपनी कुशाग्र बुद्धि के लिए जाने जाते थे। अटल बिहारी बाजपेयी एक कवि और लेखक भी थे। उनके महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं–
- आर्थिक सुधार – वाजपेयी ने कई आर्थिक सुधारों की पहल की। इन सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिली।
- परमाणु परीक्षण – अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन परीक्षणों ने भारत को परमाणु हथियार संपन्न राज्य बना दिया और देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बढ़ाने में मदद की।
- कारगिल युद्ध विजय – 1999 में पाकिस्तान ने कारगिल पर गुपचुप कब्ज़ा करने की कोशिश की। वाजपेयी के नेतृत्व ने भारत ने पाकिस्तान का मुँहतोड़ जवाब दिया और उसे नाकाम कर दिया।
- पाकिस्तान के साथ संबंध – वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के प्रयास किये। उन्होंने 1999 में पाकिस्तान का दौरा किया और पाकिस्तानी प्रधान मंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की। हालाँकि, दोनों देश कश्मीर विवाद को सुलझाने में असमर्थ रहे और उनके बीच संबंध तनावपूर्ण बने रहे। .
14. मनमोहन सिंह (2004-2014)
डॉ. मनमोहन सिंह एक भारतीय अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने 2004 से 2014 तक भारत के 13वें और 14वें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारत के प्रधान मंत्री का पद संभालने वाले पहले सिख थे। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद सिंह वित्त मंत्रालय के सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हो गए। उन्होंने 1991 से 1996 तक वित्त मंत्री सहित सरकार में कई मंत्री पद संभाले। उनके प्रमुख कार्य निम्न हैं–
- आर्थिक सुधार – सिंह ने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाना जारी रखा जो उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में शुरू किया था। इन सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिली।
- सूचना का अधिकार अधिनियम – मनमोहन सिंह की सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया, जिससे नागरिकों को सरकार से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिला। सरकार में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक बड़ा क़दम था।
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम – सिंह की सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भी पारित किया, जिसने भारत के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी। यह ग्रामीण भारत में ग़रीबी और बेरोजगारी को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम था।
- 2008 मुंबई हमले में आलोचना – डॉ. सिंह की सरकार को 2008 के मुंबई हमलों की चुनौती का सामना करना पड़ा, जो पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा किए गए थे। हमलों में 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक अन्य घायल हो गए। इसे लेकर उन्हें और उनकी सरकार की आलोचना हुई कि वे इससे बचाव करने में विफल रहे।
15. नरेंद्र मोदी (2014-वर्तमान)
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी दो बार पूर्ण बहुमत से चुनकर इस पद को प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने अपने प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही भारतीय संघ के विकास और सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं। इससे पहले वे 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला चुके हैं और वर्तमान में वाराणसी संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं। आइए, देखते हैं अब तक उनके प्रमुख कार्य क्या रहे हैं–
- आर्थिक सुधार – मोदी ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए में विमुद्रीकरण और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे कई आर्थिक सुधार लागू किए हैं। नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारत विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सफल रहा है।
- बुनियादी ढाँचे का विकास – मोदी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और सागरमाला परियोजना जैसी कई पहल शुरू करके बुनियादी ढाँचे के विकास को भी प्राथमिकता दी है। इन पहलों से भारत में कनेक्टिविटी और परिवहन को बेहतर बनाने में मदद मिली है।
- सामाजिक कल्याण – नरेंद्र मोदी ने कई सामाजिक कल्याण कार्यक्रम भी लागू किए हैं, जैसे प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) और प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) आदि। इन कार्यक्रमों ने ग़रीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों को कौशल प्रशिक्षण और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने में मदद की है।
- मुखर विदेश नीति – मोदी ने अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक मुखर विदेश नीति अपनाई है। अपने पड़ोसियों और अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ भारत के संबंधों को मज़बूत करने की कोशिश की है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और जी20 जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी अधिक सक्रिय भूमिका निभाई है।
- धारा 370 रद्द करना – धारा 370 से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिलता था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे हटाकर कश्मीर के लोगों को देश की मुख्यधारा में लाने का कार्य किया।
इस प्रकार, यह थी भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची और उनके महत्वपूर्ण कार्यों का एक संक्षेप विवरण। हमारे देश के प्रधानमंत्रियों का योगदान हमारे देश के समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण रूप से है, और उनकी सूची हमें हमारे राष्ट्रीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं का अवलोकन करने का मौक़ा देती है। भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची तथा कार्यों का विवरण आपको कैसा लगा, हमें टिप्पणी करके ज़रूर बताएँ।