धर्म

ब्रज में उड़ रहा रंग गुलाल – Braj Mei Udd Raha Rang Gulaal Lyrics

पढ़ें “ब्रज में उड़ रहा रंग गुलाल” लिरिक्स

ब्रज में उड़ रहा रंग गुलाल
मन रहा होली का त्योहार – 2
तैयार है गुवाल बाल नंदलाल
है रंग दिए ब्रज रानी के गाल
ब्रज में उड़ रहा रंग गुलाल
मन रहा होली का त्योहार

भर भर पिचकारी है मारे
कान्हा ऐसो खेल करे
रंगदिये ब्रज के जन सारे
सबसे ऐसा मेल करे
चारो ओर मचा है धमाल
मन रहा होली का त्योहार
तैयार है गुवाल बाल नंदलाल
है रंग दिए ब्रज रानी के गाल

रझ कर खेल रहे है होली
कान्हा पिचकारी है भरे
लाध रहे रंगो की झोली
ब्रज में सब हुढ़दंग करे
गुलाल से बादल होगये लाल
मन रहा होली का त्योहार
तैयार है गुवाल बाल नंदलाल
रंग दिए ब्रज रानी के गाल

चल पड़ी ब्रज धाम किशोरी
लट्ठ लेकर कान्हा की ओर
झूमे नाचे गावे लोग और
नाच रहे बगियाँ में मोर..
गूँज रही ढोलक की है ताल
मन रहा होली का त्योहार
तैयार है गुवाल बाल नंदलाल
है रंग दिए ब्रज रानी के गाल
ब्रज में उड़ रहा रंग गुलाल
मन रहा होली का त्योहार

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम इस भजन को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि यह भजन को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Braj Mei Udd Raha Rang Gulaal रोमन में-

Read Braj Mei Udd Raha Rang Gulaal Lyrics

braja meṃ uḍa़ rahā raṃga gulāla
mana rahā holī kā tyohāra – 2
taiyāra hai guvāla bāla naṃdalāla
hai raṃga die braja rānī ke gāla
braja meṃ uḍa़ rahā raṃga gulāla
mana rahā holī kā tyohāra

bhara bhara picakārī hai māre
kānhā aiso khela kare
raṃgadiye braja ke jana sāre
sabase aisā mela kare
cāro ora macā hai dhamāla
mana rahā holī kā tyohāra
taiyāra hai guvāla bāla naṃdalāla
hai raṃga die braja rānī ke gāla

rajha kara khela rahe hai holī
kānhā picakārī hai bhare
lādha rahe raṃgo kī jholī
braja meṃ saba huḍha़daṃga kare
gulāla se bādala hogaye lāla
mana rahā holī kā tyohāra
taiyāra hai guvāla bāla naṃdalāla
raṃga die braja rānī ke gāla

cala paḍa़ī braja dhāma kiśorī
laṭṭha lekara kānhā kī ora
jhūme nāce gāve loga aura
nāca rahe bagiyā~ meṃ mora..
gū~ja rahī ḍholaka kī hai tāla
mana rahā holī kā tyohāra
taiyāra hai guvāla bāla naṃdalāla
hai raṃga die braja rānī ke gāla
braja meṃ uḍa़ rahā raṃga gulāla
mana rahā holī kā tyohāra

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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