ब्रह्म, ईश्वर, माया व जीव के स्वरूप
ब्रह्म, ईश्वर, माया व जीव के स्वरूप – “अहं ब्रह्म” इस प्रकारज्ञान न होने पर मुक्ति नहीं होती – काम-कांचन-अवतार तत्त्व आदि।
Read Moreस्वामी विवेकानंद का संपूर्ण साहित्य
ब्रह्म, ईश्वर, माया व जीव के स्वरूप – “अहं ब्रह्म” इस प्रकारज्ञान न होने पर मुक्ति नहीं होती – काम-कांचन-अवतार तत्त्व आदि।
Read Moreविषय – स्वामी जी में अद्भुत शक्ति का विकास – स्वामीजी के दर्शनके निमित्त कलकत्ते के अन्तर्गत बड़े बाजार के
Read Moreविषय – स्वामीजी के साथ शिष्य का प्रथम परिचय – ‘मिरर’ सम्पादकश्रीयुत नरेन्द्रनाथ सेन के साथ वार्तालाप – इंग्लैण्ड और
Read Moreचेतना का लक्षण – जीवन संग्राम में पटुता -धर्म अनुभूति का विषय – मनष्यजाति की जीवनीशक्ति- देश में रजोगुण का उद्दीपन कराने का प्रयोजन आदि।
Read Moreउपसंहार अध्याय स्वामी विवेकानंद की पुस्तक भक्ति योग का अन्तिम अध्याय है। इसमें स्वामी जी बता रहे हैं कि प्रेम
Read More“प्रेममय भगवान स्वयं अपना प्रमाण हैं” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानन्द की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है।
Read More“प्रेम त्रिकोणात्मक” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध किताब भक्तियोग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी बता रहे
Read More“पराविद्या और पराभक्ति दोनों एक हैं” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद कृत भक्ति योग से लिया गया है। इसमें स्वामी
Read More“सार्वजनीन प्रेम” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की विख्यात पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी सार्वजनीन
Read More“भक्ति के अवस्थाभेद” नामक यह अध्याय स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्ध पुस्तक भक्ति योग से लिया गया है। इसमें स्वामी जी
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