कविता

चंद्रकांता – Chandrakanta Lyrics – Title Song

“चंद्रकांता” एक लोकप्रिय भारतीय प्रसिद्ध टेलीविजन धारावाहिक है जो पहली बार 1994 में प्रसारित हुआ था। यह देवकी नंदन खत्री द्वारा लिखित इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है। यह धारावाहिक विजयगढ़ के जादुई साम्राज्य में स्थापित राजकुमारी चंद्रकांता और राजकुमार वीरेंद्र सिंह के बीच प्रेम कहानी आधारित है।

यह धारावाहिक सुनील अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित किया गया था और इसमें शिखा स्वरूप चंद्रकांता और शाहबाज़ खान राजकुमार वीरेंद्र सिंह के रूप में थे। इसने अपनी आकर्षक कहानी, अनोखी वेशभूषा और दृश्य प्रभावों के लिए अपार लोकप्रियता हासिल की। “चंद्रकांता” का पुनर्निर्माण किया गया है और भारतीय टेलीविजन इतिहास में अपनी जगह को मजबूत करते हुए, वर्षों से विभिन्न संस्करणों में रूपांतरित किया गया है।

चंद्रकांता की कहानी
ये माना के पुरानी
ये पुरानी होकर भी
बड़ी लगती है सुहानी

नौगड़, बिजयगड़ में
थी तकरार
नौगड़ का था जो राजकुमार
चंद्रकांता से करता था प्यार
नौगड़ का था जो राजकुमार
चंद्रकांता से करता था प्यार

यहाँ चाहत, वहां नफ़रत
यहाँ साजिश, वहां हिम्मत
कहीं मिलती नहीं राहत
हर कदम पर क़यामत

ऐसे माहौल में राजकुमार
की याद में जल रही है
चंद्रकांता

ऐसे माहौल में राजकुमार
की याद में जल रही है
चंद्रकाता

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम चंद्रकांता गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें Chandrakanta Theme Song रोमन में-

Read Chandrakanta Lyrics

caṃdrakāṃtā kī kahānī
ye mānā ke purānī
ye purānī hokara bhī
baड़ī lagatī hai suhānī

naugaड़, bijayagaड़ meṃ
thī takarāra
naugaड़ kā thā jo rājakumāra
caṃdrakāṃtā se karatā thā pyāra
naugaड़ kā thā jo rājakumāra
caṃdrakāṃtā se karatā thā pyāra

yahā~ cāhata, vahāṃ naफ़rata
yahā~ sājiśa, vahāṃ himmata
kahīṃ milatī nahīṃ rāhata
hara kadama para क़yāmata

aise māhaula meṃ rājakumāra
kī yāda meṃ jala rahī hai
caṃdrakāṃtā

aise māhaula meṃ rājakumāra
kī yāda meṃ jala rahī hai
caṃdrakāṃtā

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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