चंद्रमा की आरती – Chandrama Ki Aarti
चंद्रमा की आरती करने से मन शक्तिशाली होता है। वेदों के अनुसार चंद्र देव मन और औषधियों के स्वामी हैं। यही कारण है कि चन्द्रमा की उपासना मन को सशक्त करती है और इच्छाशक्ति को बलवान बनाती है। चन्द्रमा सभी नक्षत्रों के भी स्वामी हैं, अतः इनक स्मरण हर व्यक्ति के भाग्य को उन्नत बनाता है। इस कारण चंद्रमा की आरती (Chandrama Ki Aarti) का पाठ ज्योतिषीय रूप से भी अति-उत्तम माना गया है। शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के दिन किसी ताम्र-पात्र में मधु-मिश्रित पकवान इन्हें अर्पित करने से और चंद्रमा की आरती गाने से चन्द्र देव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। पढ़ें यह आरती–
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ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय चंद्रमा देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय चंद्रमा देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
चंद्रमा की आरती मराठी में
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा।
आरती ओंवाळू पदिं ठेवुनि माथा॥ धृ.।।
उदयीं तुझ्या हृदयीं शीतळता उपजे।
हेलावुनि क्षीराब्धी आनंदे गर्जे।
विकसित कुमुदिनी देखुनि मनही बहु रंजे।
चकोर नृत्य करिती अदभुत सुख माजे॥
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..
विशेष महिमा तुझा न कळे कोणासी।
त्रिभुवनिं द्वादशीराशी व्यापुनि राहसी।
नवही ग्रहांमध्यें उत्तम आहेसी।
तुझे बळ वांछीती सकळहि कार्यासी॥
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..
शंकरगणनाथादिक भूषण मिरवीती।
भाळी मौळी तुजला संतोषे धरिती।
संकटनामचतुर्थीस रूपजन जे करिती।
संतत्ती संपत्ति अंती भवसागर तरती॥
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..
केवळ अमृतरूप अनुपम्य वळ्सी।
स्थावर जंगम यांचें जीवन आहेसी।
प्रकाश अवलोकितां मन हे उल्हासी।
प्रसन्न होउनि आतां लावी निजकांसी॥
जय देव जय देव श्रीशाशिनाथा …………..
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Read Chandrama Ki Aarti
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर चंद्रमा की आरती (Chandrama Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें चंद्रमा की आरती रोमन में–
oṃ jaya soma devā, svāmī jaya caṃdramā devā।
duḥkha haratā sukha karatā, jaya ānandakārī।
rajata siṃhāsana rājata, jyoti terī nyārī।
dīna dayāla dayānidhi, bhava bandhana hārī।
jo koī āratī terī, prema sahita gāve।
sakala manoratha dāyaka, nirguṇa sukharāśi।
yogījana hṛdaya meṃ, terā dhyāna dhareṃ।
brahmā viṣṇu sadāśiva, santa kareṃ sevā।
veda purāṇa bakhānata, bhaya pātaka hārī।
premabhāva se pūjeṃ, saba jaga ke nārī।
śaraṇāgata pratipālaka, bhaktana hitakārī।
dhana sampatti aura vaibhava, sahaje so pāve।
viśva carācara pālaka, īśvara avināśī।
saba jaga ke nara nārī, pūjā pāṭha kareṃ।
oṃ jaya soma devā, svāmī jaya caṃdramā devā।
duḥkha haratā sukha karatā, jaya ānandakārī।
caṃdramā kī āratī marāṭhī meṃ
jaya deva jaya deva śrīśāśināthā।
āratī oṃvāḻū padiṃ ṭhevuni māthā॥ dhṛ.।।
udayīṃ tujhyā hṛdayīṃ śītaḻatā upaje।
helāvuni kṣīrābdhī ānaṃde garje।
vikasita kumudinī dekhuni manahī bahu raṃje।
cakora nṛtya karitī adabhuta sukha māje॥
jaya deva jaya deva śrīśāśināthā …………
viśeṣa mahimā tujhā na kaḻe koṇāsī।
tribhuvaniṃ dvādaśīrāśī vyāpuni rāhasī।
navahī grahāṃmadhyeṃ uttama āhesī।
tujhe baḻa vāṃchītī sakaḻahi kāryāsī॥
jaya deva jaya deva śrīśāśināthā …………
śaṃkaragaṇanāthādika bhūṣaṇa miravītī।
bhāḻī mauḻī tujalā saṃtoṣe dharitī।
saṃkaṭanāmacaturthīsa rūpajana je karitī।
saṃtattī saṃpatti aṃtī bhavasāgara taratī॥
jaya deva jaya deva śrīśāśināthā …………
kevaḻa amṛtarūpa anupamya vaḻsī।
sthāvara jaṃgama yāṃceṃ jīvana āhesī।
prakāśa avalokitāṃ mana he ulhāsī।
prasanna houni ātāṃ lāvī nijakāṃsī॥
jaya deva jaya deva śrīśāśināthā …………
siṃdhūtanayā biṃdū iṃdū śrīyecā।
sukartidāyaka nāyaka uḍḍagaṇa yāṃcā।
kuraṃgavāhana caṃdra anucita he vācā।
gosāvīsuta vinavī vara de maja sācā॥
jaya deva jaya deva śrīśāśināthā …………