स्वास्थ्य

दालचीनी के फायदे – Dalchini Ke Fayde in Hindi

दालचीनी के फायदे इतने हैं कि आप जानकर हैरान रह जाएंगे। पढ़ें यह लेख और जानें दालचीनी के फायदे और नुकसान क्या हैं।

दालचीनी के पेड़ मूल रूप से श्रीलंका, इंडोनेशिया, वियतनाम व चीन में पाए जाते हैं। कहते हैं कि भारत में दालचीनी श्रीलंका से आई जिसे बाद में देश के दक्षिणी प्रांत केरल में बड़े पैमाने पर उगाया जाने लगा। प्राचीन दस्तावेजों में उल्लेख मिलता है कि भारत मसालों का एक बड़ा निर्यातक था जिसमें दालचीनी प्रमुख थी। स्वाद में मीठी और बेहद सुगंधित दालचीनी को प्राचीन समय से ही भोजन, दवाइयों व सौंदर्य प्रसाधनों में प्रयोग किया जाता रहा है।

भारतीय भोजन के अलावा विदेशों में भी दालचीनी का प्रयोग खूब किया जाता है और इसकी चाय के तो कहने की क्या? सर्दियों में दालचीनी की चाय शरीर को तुरंत गर्मी देती है। दालचीनी के पेड़ों के अंदर की छाल को सुखा कर दालचीनी प्राप्त की जाती है। वैसे तो साबुत दालचीनी का अधिक प्रचलन है परंतु बाज़ार में आपको दालचीनी का तेल, पावडर और गोली भी मिल जाएगी। तो आइए, दालचीनी के बारे में इस संक्षिप्त जानकारी के बाद हम आपको दालचीनी के बहु-उपयोगी गुणों की जानकारी देते हैं।

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दालचीनी के फायदे वज़न घटाने में 

जी हाँ, दालचीनी का प्रयोग शरीर की अतिरिक्त चर्बी हटाने में बेहद असरदार ढंग से काम करता है। बात अगर बढ़ते हुए वज़न को कम करने की हो तो दालचीनी से बढ़िया घरेलू उपचार और कुछ नहीं है। जो लोग दालचीनी नियमित रूप से खाते है, उनका वज़न नियन्त्रण में रहता है। तो अगर आप भी इसे आजमाना चाहते है तो निम्न उपाय करें–

  • एक चम्मच दालचीनी पावडर एक गिलास पानी में उबालें। आधा रह जाने पर छान कर इस पानी को पी जाएँ। यह उपाय आपको हर सुबह खाली पेट करना होगा। इसके साथ नियमित व्यायाम वग़ैरह करते रहें, कुछ ही दिनों में असर दिखाई देगा।
  • दालचीनी पावडर के साथ शहद एक चम्मच व कुटी हुई अदरक रोज़ सुबह खाने से शरीर छरहरा बनता है व ऑर्गन फैट भी घटता है।
  • गर्भावस्था के बाद शीघ्र वज़न घटाने के लिए भोजन में दालचीनी का पावडर डालकर खाएँ।

दालचीनी से बढ़ाए रोग-निरोधक क्षमता 

दालचीनी में पोलीफेनोल्स नामक एंटी-ओक्सिडेंट सबसे ज्यादा पाया जाता है इसलिए ये हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। यदि आप ऋतु परिवर्तन से होने वाले रोगों जैसे सर्दी-बुखार या वायरल ज्वर से बचना चाहते हैं तो रोजाना दालचीनी का सेवन अवश्य करें।

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मासिक धर्म की तकलीफ़ो में 

दालचीनी के फायदे आपको मासिक धर्म की तकलीफों से भी बचा सकते हैं। अक्सर स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान पेट व कमर दर्द की तकलीफ होती है। दालचीनी की चाय या दालचीनी के पानी से पेडू व कमर के दर्द से काफी राहत मिलती है। मासिक यदि रुक-रुक कर आता हो तो दालचीनी का कुनकुना पानी दिन-भर में पीते रहें।

स्त्रियों में होरमोंल डिसऑर्डर रोगों से बचाव

पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक तरह का होर्मोन्ल डिसऑर्डर रोग है। जब ओवरीज़ के अंदर छोटे-छोटे लम्प पैदा हो जाते हैं तो ओवरीज़ के आकार में अनावश्यक रूप से वृद्धि होने लगती है। ऐसे में दालचीनी के पानी को शहद के साथ लेने से जनन अंगो के इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है। 

हड्डियों में सूजन व दर्द होने पर 

दालचीनी के एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण हड्डियों की बिमारी जैसे जोड़ो के दर्द व चोट लगने आदि में दालचीनी के प्रयोग से दर्द से जल्दी राहत मिलती है व सूजन भी कम होती है। दालचीनी के साथ शहद का सेवन एक चमत्कारिक उपचार है।

शहद अपने आप में एक औषधि माना जाता है। यदि शहद को दालचीनी के साथ लिया जाए तो इनके मिश्रित गुण कई तरह के रोगों को दूर करने की क्षमता रखते हैं। हम आपको यहाँ दालचीनी व शहद के कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जो आपको स्वस्थ व निरोगी रहने में सहायता करेंगे।

  • कब्जीयत दूर करने के लिए दालचीनी और शहद लें। सोने से पहले एक चम्मच शहद के साथ आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिलाकर नियमित रूप से खाएँ। ये पेट को साफ़ रखने में मदद करता है व आंतो में जमा मल बाहर निकाल देता है।
  • घाव जल्द भरे – किसी भी तरह के चोट या घाव होने पर शहद के साथ दालचीनी खाने से घाव बहुत जल्दी भर जाता है। शहद में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं और दालचीनी एंटी-इन्फ्लेमेंटरी मानी जाती है।
  • मधुमेह रोग में लाभ – दालचीनी में प्राकृतिक रूप से मिठास होती है। दालचीनी व शहद का सेवन ब्लड शुगर घटाता है। इस लिहाज़ से टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए दालचीनी को शहद के साथ लेना लाभ देता है और ये सफेद चीनी का बेहतर विकल्प भी है। 
  • त्वचा के लिए – फोड़े-फुंसी या मुंहासे होने पर दालचीनी को पीस कर शहद के साथ लगाएँ। कुछ ही दिनों में मुंहासे सूखने लगेंगे।

रुखी त्वचा को मुलायम बनाए

  • दालचीनी पाउडर एक चम्मच दो चम्मच दूध के साथ मिलाकर चेहरे व गर्दन पर लगाकर रहने दें। आधे घंटे बाद पानी से धो लें। कुछ दिनों तक ये प्रयोग करने से अत्यंत रूखी त्वचा भी मुलामय होकर निखर आती है व दाग-धब्बे भी दूर होते हैं।
  • एक्जिमा में दालचीनी और शहद का पेस्ट लगाने से लाभ होता है। 

चेहरे की रंगत निखारें दालचीनी से 

एक चम्मच दालचीनी लेकर उसमें आधा पका हुआ केला व कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाएँ। आप चाहें तो इस मिश्रण में नींबू की जगह दही का प्रयोग कर सकते हैं। इस मिश्रण को चेहरे व गर्दन पर लगाकर 20 मिनट बाद पानी से चेहरा धो लें। इस प्रयोग से कुछ ही दिनों में आपकी त्वचा बेहद चमकदार और निखरी नजर आएगी। 

बालों को स्वस्थ रखने के लिए दालचीनी के उपाय 

सुंदर, मज़बूत बालों के लिए ऑलिव ऑइल में दालचीनी पीस कर मिला लें। इस मिश्रण को बालों व सर की त्वचा पर हल्के हाथों से मालिश करते हुए लगाएँ। इस उपचार से बालों को पोषण भी मिलता है और रुसी आदि सम्स्याओ से भी छुटकारा मिलता है। 

कोलस्ट्रोल का स्तर कम करे 

क्योंकि दालचीनी के गुण ओक्सिडेटिव स्ट्रेस व ब्लड ग्लूकोज़ कम करने में सहायक हैं इसलिए हृदय रोगियों को दालचीनी के सेवन से काफी लाभ मिलता है। जो लोग रोजाना अपने भोजन में दालचीनी का किसी न किसी रूप में उपयोग करते हैं उन्हें स्ट्रोक आने का खतरा कम होता है। ये रक्त धमनियों में वसा की परत जमने से रोकता है और एंटी-ओक्सीडेंट होने के कारण शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकलने में मदद करता है।

अरोमा थेरेपी में प्रयोग 

दालचीनी का तेल–जिसे सिनेमन ऑइल भी कहते हैं–बाज़ार में आसानी से मिलता है। इस तेल को आप घर पर भी बना सकते हैं। अरोमा थेरेपी में दालचीनी के तेल को तनाव, थकान व दर्द से राहत पाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। दालचीनी का तेल आसानी से उपलब्ध हो जाता है परंतु अगर आप घर में इसे बनाना चाहते हैं तो विधि इस प्रकार है–

  1. 2 कप शुद्ध ऑलिव ऑइल 
  2. आधा कप कुटी हुई दालचीनी

विधि – ऑलिव ऑइल के साथ दालचीनी को मद्धिम आंच पर 4 से 5 मिनट तक पका लें। इस मिश्रण को ठंडा करके किसी बोतल में भर कर रख लें। आप इस तेल को एक से दो महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं। दालचीनी के कुनकुने तेल की मालिश करने से शारीरिक थकावट दूर होती है। इस तेल से छोटे बच्चों की मालिश करने से उनकी हड्डियाँ मजबूत बनती हैं। सर में दर्द होने पर दालचीनी के तेल की मालिश करें, शीघ्र आराम मिलेगा।

एंटी-फंगल व एंटी-बैक्टीरियल 

दालचीनी एक बेहद असरदार एंटी-बैक्टीरियल मानी जाती है इसलिए फंगल रोगों में आपको दालचीनी का तेल पानी में मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से कुछ ही दिनों में आराम मिलेगा। ये फंगस के यीस्ट को शरीर में फैलने से रोकता है। इस दालचीनी के फायदे को बहुत ज़्यादा लोग नहीं जानते हैं।

दालचीनी व युक्लिप्दुस के तेल में नींबू का रस मिलाकर एक स्प्रे बोतल में भरकर रख लें। लीजिए, हो गया आपका घरेलु कीटनाशक तैयार। इस मिश्रण का छिड़काव करने से घर में कीड़े-मकोड़े, मच्छर-मक्खी आदि की समस्या से छुटकारा मिलेगा। आप इसे कच्चे खाद्य पदार्थो जैसे चावल, दाल आदि को फंफूदी से बचाने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं।

दालचीनी की चाय 

चाय में दालचीनी डालने से उसका स्वाद व सुगंध दोनों बढ़ जाते हैं। ठंड के मौसम में विशेष रूप से दालचीनी और गुड़ की चाय पीने से मौसमी सर्दी-जुखाम, नाक बंद जैसी परेशानियों से राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त शरीर में रक्त संचालन की प्रकिया को संतुलित करने में दालचीनी काफी फायदेमंद है। 

दालचीनी से सांस की बदबू का उपचार 

दांतों की अगर ठीक से सफाई ना की जाए तो कैविटी, दांत-दर्द और मुंह की बदबू जैसी परेशानियां होने लगती हैं। इसलिए दांतों की उचित देखभाल के लिए ऐसे दंत मंजन का प्रयोग करना आवश्यक है जिसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण हों और दालचीनी एक उत्तम एंटी-बैक्टीरियल होने के कारण दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

  • दालचीनी के पानी का कुल्ला करने से मुंह की दुर्गंध दूर होगी।
  • दंत मंजन के साथ थोड़ी-सी पिसी दालचीनी मिलाकर ब्रश करने से दांतों में कीड़ा नहीं लगेगा।

नवप्रसूता स्त्रियों में दूध ना उतरने की समस्या में दालचीनी का प्रयोग करना चाहिए। दालचीनी रक्त को सुचारू रूप से संचालित करने में मदद करती है जिससे कि माताओं में शिशु के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध बनने लगता है। कई बार प्रसव के कुछ काल तक माहवारी अनियमित रहती है, इसके लिए भी दालचीनी का सेवन करना लाभकारी है।

हमारी यही आशा है कि इस लेख में हमने दालचीनी के बारे में जो जानकारी उपलब्ध कराई है उनके प्रयोग से आपको अवश्य लाभ होगा। दालचीनी के फायदे आपको स्वस्थ व निरोगी काया प्रदान करेंगे।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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