कविता

देश हमारौ है

देश हमारौ है स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में देश के प्रति अपने प्रेम को दर्शाती है है।

सब दुनियाँ ते न्यारौ प्यारौ देश हमारौ है,
अपने प्राननि हूते ज्यादा हमको प्यारौ है।

स्नान करावैं याकौं नित ही गंगा कौ पानी
चरननि में सागर लहरावै, वेदनि की बानी,
मेघ करें छाया तन पै, हिम मुकुट सुधारौ है।
सब दुनियाँ ते न्यारौ प्यारौ देश हमारौ है।

बहै चन्दनी हवा, दवासी रोगनि कौं मारै,
फल-फूलनि की हाट देखि कैं इन्द्रपुरी हारे ।
उत्तर में कश्मीर अनूठौ, केसरि बारौ है
सब दुनियाँ ते न्यारौ प्यारौ देश हमारौ है।

नदियाँ कल-कल करैं विहग मीठे स्वर सौं गावैं,
निम्ब, कदम्ब आम महुआ पर बैठे सुख पावैं
घनी छाँह वारौ काहू कौं बरगद प्यारौ है
सब दुनियाँ ते न्यारौ प्यारौ देश हमारौ है।

होरी, ईद-दिवारी क्रिसमस बैसाखी प्यारी
हिलिमिलि कै त्यौहार मनावैं याके नर-नारी।
ग्रन्थ कुरान सबद रामायन, बाइबिल बारौं है-
सब दुनियाँ ते न्यारौ प्यारौ देश हमारौ है।

वीर शिवा, राणाप्रताप की आँखिन कौ तारौ
शेखर, भगत, सुभाष जवाहर, ऊधम, कौ प्यारौ
याकी खातिर लक्ष्मीबाई लियौ दुधारौ है-
सब दुनियाँ ते न्यारौ प्यारौ देश हमारौ है।

लरिवौ याकौ सुभाव नाहीं, पर लरिवौ जानें,
छेड़ें ताकौं छोड़े ना जीवो मरिवौजाने।
सत्य-अहिंसा, प्रेम-दया, आचरन हमारौ है
सब दुनियाँ ते न्यारौ प्यारौ देश हमारौ है।

स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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