धर्म

धनदा लक्ष्मी स्तोत्र – Dhanda Lakshmi Stotram

धनदा लक्ष्मी स्तोत्र, धन प्राप्ति और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध स्तोत्र है। ऐसा माना जाता है कि इसका नियमित पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। धनदा लक्ष्मी, देवी लक्ष्मी का ही एक रूप हैं. इन्हें धन की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. धनदा लक्ष्मी स्तोत्र के अनुसार, ये देवी दयालु और दानशील हैं

धनदे धनपे देवी, दानशीले दयाकरे।
त्वम् प्रसीद महेशानी यदर्थं प्रार्थयाम्यहम ॥1॥

धरामरप्रिये पुण्ये, धन्ये धनद-पूजिते।
सुधनं धार्मिकं देहि ,यजमानाय सत्वरम ॥2॥

रम्ये रुद्रप्रियेअपर्ने, रमारूपे रतिप्रिये।
शिखासख्यमनोमूर्ते प्रसीद प्रणते मयी ॥3॥

आरक्त -चरणामभोजे, सिद्धि-सर्वार्थदायिनी।
दिव्याम्बर्धरे दिव्ये ,दिव्यमाल्यानुशोभिते ॥4॥

समस्तगुणसम्पन्ने, सर्वलक्षण -लक्षिते।
शरच्चंद्रमुखे नीले ,नीलनीरद- लोचने ॥5॥

चंचरीक -चमू -चारू- श्रीहार -कुटिलालके।
दिव्ये दिव्यवरे श्रीदे ,कलकंठरवामृते ॥6॥

हासावलोकनैर्दिव्येर्भक्तचिन्तापहारिके।
रूप -लावण्य-तारुण्य -कारुण्यगुणभाजने ॥7॥

क्वणत-कंकण-मंजीरे, रस लीलाकराम्बुजे।
रुद्रव्यक्त -महतत्वे ,धर्माधारे धरालये ॥8॥

प्रयच्छ यजमानाय, धनं धर्मैक -साधनं।
मातस्त्वं वाविलम्बेन, ददस्व जगदम्बिके ॥9॥

कृपाब्धे करूणागारे, प्रार्थये चाशु सिद्धये।
वसुधे वसुधारूपे ,वसु-वासव-वन्दिते ॥10॥

प्रार्थिने च धनं देहि, वरदे वरदा भव।
ब्रह्मणा ब्राह्मणेह पूज्या ,त्वया च शंकरो यथा ॥11॥

श्रीकरे शंकरे श्रीदे प्रसीद मयी किन्करे।
स्तोत्रं दारिद्र्य -कष्टार्त-शमनं सुधन -प्रदम ॥ 12॥

पार्वतीश -प्रसादेन सुरेश किन्करे स्थितम।
मह्यं प्रयच्छ मातस्त्वं त्वामहं शरणं गतः ॥13॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह माँ धनदा लक्ष्मी स्तोत्र (Dhanda Lakshmi Stotra) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें स्तोत्र रोमन में–

Read Dhanda Lakshmi Stotram

dhanade dhanape devī, dānaśīle dayākare।
tvam prasīda maheśānī yadarthaṃ prārthayāmyahama ॥1॥

dharāmarapriye puṇye, dhanye dhanada-pūjite।
sudhanaṃ dhārmikaṃ dehi ,yajamānāya satvarama ॥2॥

ramye rudrapriyeaparne, ramārūpe ratipriye।
śikhāsakhyamanomūrte prasīda praṇate mayī ॥3॥

ārakta -caraṇāmabhoje, siddhi-sarvārthadāyinī।
divyāmbardhare divye ,divyamālyānuśobhite ॥4॥

samastaguṇasampanne, sarvalakṣaṇa -lakṣite।
śaraccaṃdramukhe nīle ,nīlanīrada- locane ॥5॥

caṃcarīka -camū -cārū- śrīhāra -kuṭilālake।
divye divyavare śrīde ,kalakaṃṭharavāmṛte ॥6॥

hāsāvalokanairdivyerbhaktacintāpahārike।
rūpa -lāvaṇya-tāruṇya -kāruṇyaguṇabhājane ॥7॥

kvaṇata-kaṃkaṇa-maṃjīre, rasa līlākarāmbuje।
rudravyakta -mahatatve ,dharmādhāre dharālaye ॥8॥

prayaccha yajamānāya, dhanaṃ dharmaika -sādhanaṃ।
mātastvaṃ vāvilambena, dadasva jagadambike ॥9॥

kṛpābdhe karūṇāgāre, prārthaye cāśu siddhaye।
vasudhe vasudhārūpe ,vasu-vāsava-vandite ॥10॥

prārthine ca dhanaṃ dehi, varade varadā bhava।
brahmaṇā brāhmaṇeha pūjyā ,tvayā ca śaṃkaro yathā ॥11॥

śrīkare śaṃkare śrīde prasīda mayī kinkare।
stotraṃ dāridrya -kaṣṭārta-śamanaṃ sudhana -pradama ॥ 12॥

pārvatīśa -prasādena sureśa kinkare sthitama।
mahyaṃ prayaccha mātastvaṃ tvāmahaṃ śaraṇaṃ gataḥ ॥13॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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