धर्म

फागण की आ गई बहार – Faagan Ki Aa Gayi Bahaar Lyrics

पढ़ें “फागण की आ गई बहार” लिरिक्स

फागण की आ गई बहार, मस्ती सी छाए।
जानो है खाटू , बाबो बुलावे।
सोच के मन हर्षाए , मस्ती सी छाए॥

सुपने में आवे बाबो श्याम जी,
सूझे ना अब कोई काम जी।
खाटू से आयो संदेश जी,
दर्शन देवैगो दातार, मस्ती सी छाए॥

पैदल चालाँगा खाटू धाम जी,
लेके सतरंगी एक निशान जी।
भजनां की होगी बरसात जी,
उड़ेंगे रंग और गुलाल, मस्ती सी छाए॥

लीलै घोड़े पे बैठयो श्याम जी,
भगतां का करै इंतज़ार जी।
साँचों है बाबै को दरबार जी,
बिगड़ी बनेगी हर बात, मस्ती सी छाए॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर फागण की आ गई बहार भजन को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में–

Read Faagan Ki Aa Gayi Bahaar Lyrics

phāgaṇa kī ā gaī bahāra, mastī sī chāe।
jāno hai khāṭū , bābo bulāve।
soca ke mana harṣāe , mastī sī chāe॥

supane meṃ āve bābo śyāma jī,
sūjhe nā aba koī kāma jī।
khāṭū se āyo saṃdeśa jī,
darśana devaigo dātāra, mastī sī chāe॥

paidala cālā~gā khāṭū dhāma jī,
leke sataraṃgī eka niśāna jī।
bhajanāṃ kī hogī barasāta jī,
uḍa़eṃge raṃga aura gulāla, mastī sī chāe॥

līlai ghoḍa़e pe baiṭhayo śyāma jī,
bhagatāṃ kā karai iṃtaja़āra jī।
sā~coṃ hai bābai ko darabāra jī,
bigaḍa़ī banegī hara bāta, mastī sī chāe॥

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सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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