गायत्री चालीसा – Gayatri Chalisa in Hindi
गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) का पाठ गायत्री मंत्र की ही तरह शक्तिसंपन्न है। गायत्री माता को प्रसन्न करने के लिए गायत्री चालीसा का नियमित गायन किया जाता है। जैसा कि सब जानते हैं, गायत्री मंत्र वेदों का सबसे शक्तिशाली मन्त्र है।
इसे जपने से विश्व में सब कुछ संभव है। गायत्री चालीसा में भी वही अपार क्षमता निहित है। पढ़ें गायत्री चालीसा हिंदी में (Gayatri Chalisa in Hindi)–
यह भी पढ़ें – गायत्री माता के 108 नाम
॥ दोहा ॥
ह्रीं, श्रीं क्लीं मेधा, प्रभा,
जीवन ज्योति प्रचंड।
शांति क्रांति, जागृति, प्रगति,
रचना शक्ति अखंड॥
जगत जननि, मंगल करनि,
गायत्री सुख धाम।
प्रणवों सावित्री,
स्वधा स्वाहा पूरन काम॥
॥ चौपाई ॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी,
गायत्री निज कलिमल दहनी।
अक्षर चौबीस परम पुनीता,
इसमें बसे शास्त्र, श्रुति, गीता।
शाश्वत सतोगुणी सतरूपा,
सत्य सनातन सुधा अनूपा ।
हंसारूढ़ श्वेताम्बर धारी,
स्वर्ण कांति शुचि गगन बिहारी।
पुस्तक, पुष्प, कमण्डलु,
माला, शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला।
ध्यान धरत पुलकित हिय होई,
सुख उपजत दुःख-दुरमति खोई।
कामधेनु तुम सुर तरु छाया,
निराकार की अद्भुत माया।
तुम्हारी शरण गहै जो कोई,
तरै सकल संकट सों सोई।
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली,
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली।
तुम्हारी महिमा पार न पावैं,
जो शारद शतुमख गुण गावें।
चार वेद की मातु पुनीता,
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता।
महामन्त्र जितने जग माहीं,
कोऊ गायत्री सम नाहीं।
सुमिरत हिय से ज्ञान प्रकासै,
आलस पाप अविद्या नासै।
सृष्टि बीज जग जननि भवानी,
कालरात्रि वरदा कल्याणी।
ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते,
तुम सों पावें सुरता तेते।
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे,
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी,
जय जय जय त्रिपदा भयहारी।
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना,
तुम सम अधिक न जग में आना।
तुमहिं जान कछु रहै न शेषा,
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेशा।
जानत तुमहिं तुमहिं हैरी जाई,
पारस परसि कुधातु सुहाई।
तुम्हारी शक्ति दिपै सब ठाई,
माता तुम सब ठौर समाई।
ग्रह नक्षत्र ब्रह्माण्ड घनेरे,
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे।
सकल सृष्टि की प्राण विधाता,
पालक, पोषक, नाशक, त्राता।
मातेश्वरी दया व्रतधारी,
मम सन तरै पातकी भारी।
जा पर कृपा तुम्हारी होई,
तापर कृपा करे सब कोई।
मन्द बुद्धि ते बुद्धि बल पावै,
रोगी रोग सहित ह्रै जावैं।
दारिद मिटे, कटे सब पीरा,
नाशै दुःख हरै भव भीरा।
गृह क्लेश चित चिन्ता भारी,
नासै गायत्री भय हारी।
सन्तनि हीन सुसन्तति पावें,
सुख सम्पत्ति युत मोत मनावें।
भूत पिशाच सबै भय खावें,
यम के दूत निकट नहिं आवें।
जो सधवा सुमिरे चित लाई,
अछत सुहाग सदा सुखदाई।
घर पर सुखप्रद लहै कुमारी,
विधवा रहें सत्यव्रत धारी।
जयति जयति जगदंब भवानी,
तुम सम और दयालु न दानी।
जो सद्गुरु सों दीक्षा पावें,
सो साधन को सफल बनावें।
सुमिरन करें सुरूचि बड़ भागी,
लहै मनोरथ गृही विरागी।
अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता
सब समर्थ गायत्री माता।
ऋषि-मुनि, यति, तपस्वी, योगी,
आरत, अर्थी, चिन्तन, भोगी।
जो जो शरण तुम्हारी आवै,
सो सो मन वांछित फल पावै।
बल, बुद्धि, शील, विद्या, स्वभाऊ,
धन, वैभव, यश, तेज, उछाऊ।
सकल बढ़े उपजें सुख नाना,
जो यह पाठ करै धरि ध्याना।
॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्ति युत,
पाठ करें जो कोय।
तापर कृपा प्रसन्नता,
गायत्री की होय॥
एक अमेज़न एसोसिएट के रूप में उपयुक्त ख़रीद से हमारी आय होती है। यदि आप यहाँ दिए लिंक के माध्यम से ख़रीदारी करते हैं, तो आपको बिना किसी अतिरिक्त लागत के हमें उसका एक छोटा-सा कमीशन मिल सकता है। धन्यवाद!
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें गायत्री चालीसा रोमन में–
Read Gayatri Chalisa in Hindi
॥ dohā॥
hrīṃ, śrīṃ klīṃ medhā, prabhā,
jīvana jyoti pracaṃḍa।
śāṃti krāṃti, jāgṛti, pragati,
racanā śakti akhaṃḍa॥
jagata janani, maṃgala karani,
gāyatrī sukha dhāma।
praṇavoṃ sāvitrī,
svadhā svāhā pūrana kāma।।
॥ caupāī॥
bhūrbhuvaḥ svaḥ oṃ yuta jananī,
gāyatrī nija kalimala dahanī।
akṣara caubīsa parama punītā,
isameṃ base śāstra, śruti, gītā।
śāśvata satoguṇī satarūpā,
satya sanātana sudhā anūpā ।
haṃsārūḍha़ śvetāmbara dhārī,
svarṇa kāṃti śuci gagana bihārī।
pustaka, puṣpa, kamaṇḍalu,
mālā, śubhra varṇa tanu nayana viśālā।
dhyāna dharata pulakita hiya hoī,
sukha upajata duḥkha-duramati khoī।
kāmadhenu tuma sura taru chāyā,
nirākāra kī adbhuta māyā।
tumhārī śaraṇa gahai jo koī,
tarai sakala saṃkaṭa soṃ soī।
sarasvatī lakṣmī tuma kālī,
dipai tumhārī jyoti nirālī।
tumhārī mahimā pāra na pāvaiṃ,
jo śārada śatumakha guṇa gāveṃ।
cāra veda kī mātu punītā,
tuma brahmāṇī gaurī sītā।
mahāmantra jitane jaga māhīṃ,
koū gāyatrī sama nāhīṃ।
sumirata hiya se jñāna prakāsai,
ālasa pāpa avidyā nāsai।
sṛṣṭi bīja jaga janani bhavānī,
kālarātri varadā kalyāṇī।
brahmā viṣṇu rudra sura jete,
tuma soṃ pāveṃ suratā tete।
tuma bhaktana kī bhakta tumhāre,
jananihiṃ putra prāṇa te pyāre।
mahimā aparampāra tumhārī,
jaya jaya jaya tripadā bhayahārī।
pūrita sakala jñāna vijñānā,
tuma sama adhika na jaga meṃ ānā।
tumahiṃ jāna kachu rahai na śeṣā,
tumahiṃ pāya kachu rahai na kleśā।
jānata tumahiṃ tumahiṃ hairī jāī,
pārasa parasi kudhātu suhāī।
tumhārī śakti dipai saba ṭhāī,
mātā tuma saba ṭhaura samāī।
graha nakṣatra brahmāṇḍa ghanere,
saba gativāna tumhāre prere।
sakala sṛṣṭi kī prāṇa vidhātā,
pālaka, poṣaka, nāśaka, trātā।
māteśvarī dayā vratadhārī,
mama sana tarai pātakī bhārī।
jā para kṛpā tumhārī hoī,
tāpara kṛpā kare saba koī।
manda buddhi te buddhi bala pāvai,
rogī roga sahita hrai jāvaiṃ।
dārida miṭe, kaṭe saba pīrā,
nāśai duḥkha harai bhava bhīrā।
gṛha kleśa cita cintā bhārī,
nāsai gāyatrī bhaya hārī।
santani hīna susantati pāveṃ,
sukha sampatti yuta mota manāveṃ।
bhūta piśāca sabai bhaya khāveṃ,
yama ke dūta nikaṭa nahiṃ āveṃ।
jo sadhavā sumire cita lāī,
achata suhāga sadā sukhadāī।
ghara para sukhaprada lahai kumārī,
vidhavā raheṃ satyavrata dhārī।
jayati jayati jagadaṃba bhavānī,
tuma sama aura dayālu na dānī।
jo sadguru soṃ dīkṣā pāveṃ,
so sādhana ko saphala banāveṃ।
sumirana kareṃ surūci baḍa़ bhāgī,
lahai manoratha gṛhī virāgī।
aṣṭa siddhi navanidhi kī dātā
saba samartha gāyatrī mātā।
ṛṣi, muni, yati, tapasvī, yogī,
ārata, arthī, cintana, bhogī।
jo jo śaraṇa tumhārī āvai,
so so mana vāṃchita phala pāvai।
bala, buddhi, śīla, vidyā, svabhāū,
dhana, vaibhava, yaśa, teja, uchāū।
sakala baḍha़e upajeṃ sukha nānā,
jo yaha pāṭha karai dhari dhyānā।
॥ dohā ॥
yaha cālīsā bhakti yuta,
pāṭha kareṃ jo koya।
tāpara kṛpā prasannatā,
gāyatrī kī hoya॥
हिंदी और आंग्लभाषा में आपका यह त्रुटि रहित प्रयास अत्यंत सराहनीय होने के साथ – साथ अनुकरणीय भी है , आगे भी आप इसी तरह चालीसा संग्रह के पाठकों के लिए सम्पूर्ण चालीसा संग्रह उपलब्ध कराएं यह निवेदन हैं .. मां गायत्री की कृपा आप पर सदैव बानी रहें यही शुभकामना है ।
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रतीक जी। संपूर्ण चालीसा संग्रह हिंदीपथ पर उपलब्ध है। इसी तरह आप टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करते रहें। आपकी वेबसाइट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।