हमारौ भारत देश महान
“हमारौ भारत देश महान” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में रचित देश की महानता और प्रेम को समर्पित कविता है। आप भी आनंद लें–
हमारौ भारत देश महान
जगत से न्यारौ हिन्दुस्तान
हिम कौ मुकट सीस पै सोहै, गंगा-जल सौं न्हावै
हरे रंग कौ ओढ़ि दुपट्टा गीत प्यार के गावै
सूरज सोना, चन्दा चाँदी आँगन में बरसावै
काश्मीर केसरि लै आवै सावन मन सरसावै
भावै संध्या औरु विहान,
हमारौ भारत देश महान।
सीता-सी नारी, गीता-सी अमिरत धार यहीं है,
राम-भरत लछिमन भैया को पावन प्यार यहीं है।
सतवादी राजा हरिचंद की मिलती यहीं कहानी,
इतिहासनि में चमकै याकी तरवारिन कौ पानी।
दानी कर्णवीर बलबान
हमारौ भारत देश महान।
बाहर भीतर सदा एक सौ ना छल, कपट दिखायौ,
भेदनि में अभेद रहिबै कौ याने भाव सिखायौ।
स्वारथ ते परमारथ नीको कबिरा, नानक गावैं,
जाति-धर्म अरु वर्ण छाँड़ि कै मानव-धर्म निभावें।
पावें उर में मोद महान।
हमारौ भारत देश महान।
यानें धन-निर्धन ही के हित अपने पास सँवारौ,
दै डारौ तन-मन वाही कौ जाने हाथ पसारों।
करुणा में यह बुद्ध, दया में महावीर बनि आयौ,
सबसे पहलें धरती पै यह ज्ञान ज्योति लै आयौ।
भयौ सब कौ ज्योतिर्मान
हमारौ भारत देश महान।
पशुवता के समुहैं अपनों यह नेकहु नाँहि झुक्यौं है,
याकी ममता कौ रथ दुश्मन के घर जाइ रुक्यौ है
सत के श्वेत रंग में जीवन चिर सुन्दर करि डारौ,
काम-क्रोध, मद-लोभ-मोह के घर में डारौ तारौ।
मारौ योग दीठि कौ बान,
हमारौ भारत देश महान ।
यहाँ अजन्ता-एलोरा हैं कासी और अवन्ती,
यहीं हाथ में खड्ग उठाती नारी हू लजवन्ती।
चार वेद, षडशास्त्र, उपनिषद कालजयी रामायन
चारों धाम त्रिवेनी संगम् खुले मोक्ष वातायन
गायन गीता और पुरान,
हमारौ भारत देश महान।
सिक्ख, मराठे, राजपूत अरु बंगाली मदरासी,
अलग-अलग कब रहे–सबइ हैं हमतौ भारतवासीं।
देह भलैं द्वै दिखें प्रान तौ एक हमारे भैया
जाट-अहीर-बुंदेले कहि रहे भारत धरती मैया।
भैया प्यारी प्रान समान,
हमारौ भारत देश महान।
मूल एक पर हिन्दू-मुस्लिम सिख-ईसाई-डालें,
रहें संग ज्यौं एक खेत में जौ गेहूँ की बालें।
होली, बैसाखी-क्रिसमस अरु ईद मिलें हिलि मिलिकैं,
एक बाग के फूल अनेकनि सोहैं जैसें खिलिकें।
एक घरु बहु कमरा-दालान
हमारौ भारत देश महान॥
स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों। संपूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व जानने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – श्री नवल सिंह भदौरिया का जीवन-परिचय।