धर्म

जबसे बांके बिहारी हुमारे हुए – Jabse Banke BIhari Humare Hue Lyrics

जबसे बांके बिहारी हुमारे हुए,
जबसे बांके बिहारी हुमारे हुए,
गुम जमाने के सारे, गुम जमाने के सारे,
किनारे हुए,

वो एक नज़र सा डाल के जादू सा कर गये,
नज़ारे मिला के मुझसे ना जाने किधर गये,
दुनिया से तो मिली थी मुझे हर कदम पे चोट,
पर उनकी एक नज़र से मेरे जख्म भर गये,
पर उनकी एक नज़र से मेरे जख्म भर गये,

अब कही देखने की ना ख्वाइश रही,
अब कही देखने की ना ख्वाइश रही,
जबसे वो मेरी, जबसे वो मेरी, नॅज़ारो के तारे हुए,
गुम जमाने के सारे, गुम जमाने के सारे,
किनारे हुए,जबसे बांके बिहारी हुमारे हुए,
जबसे बांके बिहारी हुमारे हुए,

दर्द ही अब हुमारी डॉवा बन गया, यह दर्द भी दौलत है,
यह दाग भी दौलत है, जो कुच्छ भी यह दौलत है,
वो तेरी ही बडोलात है, प्यारे गुम जमाने के सारे,
गुम जमाने के सारे,किनारे हुए,

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम जबसे बांके बिहारी हुमारे हुए भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह भजन रोमन में–

Read Jabse Banke BIhari Humare Hue Lyrics

jabase bāṃke bihārī humāre hue,
jabase bāṃke bihārī humāre hue,
guma jamāne ke sāre, guma jamāne ke sāre,
kināre hue,

vo eka naja़ra sā ḍāla ke jādū sā kara gaye,
naja़āre milā ke mujhase nā jāne kidhara gaye,
duniyā se to milī thī mujhe hara kadama pe coṭa,
para unakī eka naja़ra se mere jakhma bhara gaye,
para unakī eka naja़ra se mere jakhma bhara gaye,

aba kahī dekhane kī nā khvāiśa rahī,
aba kahī dekhane kī nā khvāiśa rahī,
jabase vo merī, jabase vo merī, naॅja़āro ke tāre hue,
guma jamāne ke sāre, guma jamāne ke sāre,
kināre hue,jabase bāṃke bihārī humāre hue,
jabase bāṃke bihārī humāre hue,

darda hī aba humārī ḍaॉvā bana gayā, yaha darda bhī daulata hai,
yaha dāga bhī daulata hai, jo kuccha bhī yaha daulata hai,
vo terī hī baḍolāta hai, pyāre guma jamāne ke sāre,
guma jamāne ke sāre,kināre hue,

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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