धर्म

जानकीनाथ जी की आरती – Jankinath Ji Ki Aarti

जानकीनाथ जी की आरती (Jankinath Ji Ki Aarti) की आरती सभी दुःखों और कष्टों की रामबाण दवा है। विशेषतः सीता-राम की पूजा के बाद जानकीनाथ जी की आरती गाने का विशेष विधान है। कहते हैं कि जो भी निश्छल हृदय से प्रभु श्री राम का स्मरण करता है उसे सारे पाप कट जाते हैं और यमराज के पाश में नहीं जाता है। उसे राम जी भक्ति और मुक्ति सहज ही प्रदान करते हैं। रामायण महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि तो राम का उल्टा नाम लेकर भी परम पद के अधिकारी हुए। बुधकौशिक ऋषि ने राम-भक्ति का महत्व श्री रामरक्षा स्तोत्र में बताया है। जानकीनाथ जी की आरती भी चमत्कारी प्रभाव पैदा करने वाली है। पढ़ें जानकीनाथ जी की आरती–

यह भी पढ़े – रामायण मनका 108

ॐ जय जानकीनाथा,
जय श्री रघुनाथा।
दोउ कर जोरें बिनवौं,
प्रभु! सुनिये बाता॥ ॐ जय..॥

तुम रघुनाथ हमारे,
प्राण पिता माता।
तुम ही सज्जन-संगी,
भक्ति मुक्ति दाता॥ ॐ जय..॥

लख चौरासी काटो,
मेटो यम त्रासा।
निशदिन प्रभु मोहि रखिये,
अपने ही पासा॥ ॐ जय..॥

राम भरत लछिमन,
सँग शत्रुहन भैया।
जगमग ज्योति विराजै,
शोभा अति लहिया॥ ॐ जय..॥

यह भी पढ़े – बरवै रामायण

हनुमत नाद बजावत,
नेवर झमकाता।
स्वर्णथाल कर आरती,
करत कौशल्या माता॥ ॐ जय..॥

सुभग मुकुट सिर, धनु सर,
कर शोभा भारी।
मनीराम दर्शन करि,
पल-पल बलिहारी॥ ॐ जय..॥

जय जानकिनाथा,
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा।
हो प्रभु जय सीता माता,
हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता॥ ॐ जय..॥

हो प्रभु जय चारौं भ्राता,
हो प्रभु जय हनुमत दासा
दोउ कर जोड़े विनवौं,
प्रभु मेरी सुनो बाता॥ ॐ जय..॥

यह भी पढ़े – नाम रामायण

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर जानकीनाथ जी की आरती (Jankinath Ji Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें जानकीनाथ जी की आरती रोमन में–

Jankinath Ji Ki Aarti

oṃ jaya jānakīnāthā,
jaya śrī raghunāthā।
dou kara joreṃ binavauṃ,
prabhu! suniye bātā॥ oṃ jaya..॥

tuma raghunātha hamāre,
prāṇa pitā mātā।
tuma hī sajjana-saṃgī,
bhakti mukti dātā॥ oṃ jaya..॥

lakha caurāsī kāṭo,
meṭo yama trāsā।
niśadina prabhu mohi rakhiye,
apane hī pāsā॥ oṃ jaya..॥

rāma bharata lachimana,
sa~ga śatruhana bhaiyā।
jagamaga jyoti virājai,
śobhā ati lahiyā॥ oṃ jaya..॥

hanumata nāda bajāvata,
nevara jhamakātā।
svarṇathāla kara āratī,
karata kauśalyā mātā॥ oṃ jaya..॥

subhaga mukuṭa sira, dhanu sara,
kara śobhā bhārī।
manīrāma darśana kari,
pala-pala balihārī॥ oṃ jaya..॥

jaya jānakināthā,
ho prabhu jaya śrī raghunāthā।
ho prabhu jaya sītā mātā,
ho prabhu jaya lakṣmaṇa bhrātā॥ oṃ jaya..॥

ho prabhu jaya cārauṃ bhrātā,
ho prabhu jaya hanumata dāsā।
dou kara joḍa़e vinavauṃ,
prabhu merī suno bātā॥ oṃ jaya..॥

यह भी पढ़ें

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version