धर्म

कल्कि चालीसा – Kalki Chalisa

“कल्कि चालीसा” का पाठ करें। कल्कि पुराण के अनुसार भगवान श्री विष्णु कल्कि रूप में कलयुग में अवतार लेंगे और वह कलयुग का अंत करेंगे। श्री विष्णु भगवान इस अवतार में 64 कलाओं से युक्त होगे ।

॥दोहा

कल्कि कल्कि नाम बिनु,
मिलता नहीं कल्याण।
पूजो जपो भजो नित,
श्री कल्कि का नाम॥ (१)

युगाचार्य कहते सुनो,
इस धरती के लोग।
कल्कि भगवत कृपा बिनु,
नहीं छूटत भवरोग॥ (२)

॥चोपाई॥

कल्कि नाम है जग उजियारा ।
भक्तजनों को अतिशय प्यारा॥ (१)

जो कल्कि का नाम पुकारे।
उसको मिलते सभी सहारे॥ (२)

संकट हरे मिटे सब पीरा।
जो विश्वाश करे घरि धीरा॥ (३)

जय कल्कि जय जगत्पते।
पदमा पति जय रमापते॥ (४)

नाम जाप कलि काल विनाशा।
भक्तजनों की फलती आशा॥ (५)

नाम जाप सब दुःख हरंता।
गावहिं वेद शास्त्र अति संता॥ (६)

कल्कि सब देवन के देवा।
सभी देवता करते सेवा॥ (७)

कल्कि कल्कि जो भजते हैं।
कल्कि सर्व संकट हरते हैं॥ (८)

नाम संजीवन मूल है कल्कि।
इच्छा पूरण करता है सबकी॥ (९)

यथा समय अवतार पठाए।
कलयुग में कल्कि जी आए॥ (१०)

कलि का नाश करेंगे कल्कि।
पूर्ति करेंगे अपनेपन की॥ (११)

तन-मन-धन न्योछावर कीजे।
सदा बोलिए कल्कि की जय॥ (१२)

असुर निकन्दन भव-भय-भंजन।
कलिमल नाशन निज-जन-रंजन॥ (१३)

संत मुनि जन करते वन्दन।
ब्रह्मादिक करते अभिनन्दन॥ (१४)

अश्व चढ़े हैं खड्ग धरे हैं।
प्रकृति ब्रह्म से पूर्ण परे हैं॥ (१५)

होगा अब कलि काल समापन।
सतयुग का होगा आवाहन॥ (१६)

घिरा जगत में सघन अँधेरा।
म्लेच्छ जनों ने डाला घेरा॥ (१७)

है अधर्म का चहुँदिशी फेरा।
कलियुग का चहुँतरफा डेरा॥ (१८)

गंगा यमुना हुई अपावन।
गौ ब्राह्मन लागे दुःख पावन॥ (१९)

दुखिया भारत तुम्हें पुकारे।
प्रकटो कल्कि नाथ हमारे॥ (२०)

अब तो लेहु प्रभु अवतारा।
दुःखी हो रहा धर्म बेचारा॥ (२१)

देख रहे हो दशा आज की।
प्रगटो युग परिवर्तन कल्कि॥ (२२)

होता वेद धर्म अपमाना।
सब करते अपना मन माना (२३)

कल्कि जी का खड्ग चलेगा।
कोई अधर्मी नहीं बचेगा॥ (२४)

धर नृसिंह रूप जब आए।
भक्त प्रहलाद के प्राण बचाए॥ (२५)

वामन का लेकर अवतारा।
बलि का नाश किया छल सारा॥ (२६)

हरी अवतार लीन प्रभु जब ही।
मुक्त गजेन्द्र भयो प्रभु तब ही॥ (२७)

जब रावण अन्याय पसारा।
रामरूप तब था प्रभु धारा॥ (२८)

राक्षस मार असुर संहारे।
समी संतजन मये सुखारे॥ (२९)

कंस कौरवों का आतंका।
धरमग्लानी की भारी शंका॥ (३०)

सब मिल कीन्हि धरा अपावन।
केशव रूप घरा मन भावन॥ (३१)

निष्कलंक होगी जब धरती।
धर्म लता दिखेगी फलती॥ (३२)

कल्कि जी में ध्यान जो लावे।
बंधन मुक्त महासुख पावे॥ (३३)

कल्कि कीर्तन भजन जो गावे।
छूटे मोह परमपद पावे॥ (३४)

इष्टदेव कल्कि अवतारा।
ब्रह्मादिक को पावे पारा॥ (३५)

कल्कि नाम विदित संसारा।
कर दो कल्कि जग उजियारा॥ (३६)

खलदल मारि करहु सुधारा।
भूमिभार उतारन हारा॥ (३७)

कल्कि रूप अनादि अनन्ता।
जाके गुण गावहि श्रुति संता॥ (३८)

जो यह गावे कल्कि चालीसा।
होए सिद्धि पूरन सब इच्छा॥ (३९)

जय कल्कि जय जगत बिहारी।
मंगल भवन अमंगल हारी॥ (४०)

॥दोहा॥

विधन हरण मंगल करन,
श्री कल्कि जी भगवान।
निज सेवा भक्ति दीयो
चरणों में रहने का वरदान॥

॥इति श्री कल्कि चालीसा सम्पूर्ण॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कल्कि चालीसा (Kalki Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह चालीसा रोमन में–

Read Kalki Chalisa

॥dohā॥

kalki kalki nāma binu,
milatā nahīṃ kalyāṇa।
pūjo japo bhajo nita,
śrī kalki kā nāma॥ (1)

yugācārya kahate suno,
isa dharatī ke loga।
kalki bhagavata kṛpā binu,
nahīṃ chūṭata bhavaroga॥ (2)

॥copāī॥

kalki nāma hai jaga ujiyārā ।
bhaktajanoṃ ko atiśaya pyārā॥ (1)

jo kalki kā nāma pukāre।
usako milate sabhī sahāre॥ (2)

saṃkaṭa hare miṭe saba pīrā।
jo viśvāśa kare ghari dhīrā॥ (3)

jaya kalki jaya jagatpate।
padamā pati jaya ramāpate॥ (4)

nāma jāpa kali kāla vināśā।
bhaktajanoṃ kī phalatī āśā॥ (5)

nāma jāpa saba duḥkha haraṃtā।
gāvahiṃ veda śāstra ati saṃtā॥ (6)

kalki saba devana ke devā।
sabhī devatā karate sevā॥ (7)

kalki kalki jo bhajate haiṃ।
kalki sarva saṃkaṭa harate haiṃ॥ (8)

nāma saṃjīvana mūla hai kalki।
icchā pūraṇa karatā hai sabakī॥ (9)

yathā samaya avatāra paṭhāe।
kalayuga meṃ kalki jī āe॥ (10)

kali kā nāśa kareṃge kalki।
pūrti kareṃge apanepana kī॥ (11)

tana-mana-dhana nyochāvara kīje।
sadā bolie kalki kī jaya॥ (12)

asura nikandana bhava-bhaya-bhaṃjana।
kalimala nāśana nija-jana-raṃjana॥ (13)

saṃta muni jana karate vandana।
brahmādika karate abhinandana॥ (14)

aśva caḍha़e haiṃ khaḍga dhare haiṃ।
prakṛti brahma se pūrṇa pare haiṃ॥ (15)

hogā aba kali kāla samāpana।
satayuga kā hogā āvāhana॥ (16)

ghirā jagata meṃ saghana a~dherā।
mleccha janoṃ ne ḍālā gherā॥ (17)

hai adharma kā cahu~diśī pherā।
kaliyuga kā cahu~taraphā ḍerā॥ (18)

gaṃgā yamunā huī apāvana।
gau brāhmana lāge duḥkha pāvana॥ (19)

dukhiyā bhārata tumheṃ pukāre।
prakaṭo kalki nātha hamāre॥ (20)

aba to lehu prabhu avatārā।
duḥkhī ho rahā dharma becārā॥ (21)

dekha rahe ho daśā āja kī।
pragaṭo yuga parivartana kalki॥ (22)

hotā veda dharma apamānā।
saba karate apanā mana mānā (23)

kalki jī kā khaḍga calegā।
koī adharmī nahīṃ bacegā॥ (24)

dhara nṛsiṃha rūpa jaba āe।
bhakta prahalāda ke prāṇa bacāe॥ (25)

vāmana kā lekara avatārā।
bali kā nāśa kiyā chala sārā॥ (26)

harī avatāra līna prabhu jaba hī।
mukta gajendra bhayo prabhu taba hī॥ (27)

jaba rāvaṇa anyāya pasārā।
rāmarūpa taba thā prabhu dhārā॥ (28)

rākṣasa māra asura saṃhāre।
samī saṃtajana maye sukhāre॥ (29)

kaṃsa kauravoṃ kā ātaṃkā।
dharamaglānī kī bhārī śaṃkā॥ (30)

saba mila kīnhi dharā apāvana।
keśava rūpa gharā mana bhāvana॥ (31)

niṣkalaṃka hogī jaba dharatī।
dharma latā dikhegī phalatī॥ (32)

kalki jī meṃ dhyāna jo lāve।
baṃdhana mukta mahāsukha pāve॥ (33)

kalki kīrtana bhajana jo gāve।
chūṭe moha paramapada pāve॥ (34)

iṣṭadeva kalki avatārā।
brahmādika ko pāve pārā॥ (35)

kalki nāma vidita saṃsārā।
kara do kalki jaga ujiyārā॥ (36)

khaladala māri karahu sudhārā।
bhūmibhāra utārana hārā॥ (37)

kalki rūpa anādi anantā।
jāke guṇa gāvahi śruti saṃtā॥ (38)

jo yaha gāve kalki cālīsā।
hoe siddhi pūrana saba icchā॥ (39)

jaya kalki jaya jagata bihārī।
maṃgala bhavana amaṃgala hārī॥ (40)

॥dohā॥

vidhana haraṇa maṃgala karana,
śrī kalki jī bhagavāna।
nija sevā bhakti dīyo
caraṇoṃ meṃ rahane kā varadāna॥

॥iti śrī kalki cālīsā sampūrṇa॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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