करणी माता की आरती – Karni Mata Ki Aarti
करणी माता की आरती सभी दुखों को दूर कर अनवरत सुख व समृद्धि की वर्षा करने वाली मानी जाती है। राजस्थान में स्थित मां का मंदिर भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है जहाँ उनकी हर मुराद पूरी होती है। करणी माता मंदिर में चूहों को पवित्र माना जाता है और उन्हें मारा या परेशान नहीं किया जाता है। मन्दिर में सदियों से इस परंपरा का पालन किया जा रहा है जो आज भी यथावत जारी है। मंदिर में करणी माता को समर्पित दो मंदिर हैं–एक इंसानों के लिए और एक चूहों के लिए। मानव मंदिर में देवी की एक बड़ी मूर्ति है, जबकि पशु मंदिर में बारह इंच ऊँची चांदी की चूहे की मूर्ति है जिसे सन् 1874 में बनाया गया था। मंदिर में आने वाले आगंतुकों के बीच चूहे शांति से रहते हैं, जो उन्हें बिना किसी डर के भोजन और पानी प्रदान करते हैं। माता का स्मरण सुख-समृद्धि देने वाला है और करणी मां की आरती (Karni Mata Ki Aarti) उसका बढ़िया साधन है। पढ़ें करणी माता जी की आरती–
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जय अम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी।
भक्त जनन भय संकट, पान छिनी हरणी॥
ॐ जय अम्बे….
आदि शक्ति अविनाशी,वेदन मैं वरणी।
अगम अन्नत अगोदर,विश्वरूप धरणी॥
ॐ जय अम्बे….
काली तू किरताली, दुर्गे दुःख हरणी।
चंडी तू चिरताली, ब्राह्मणी वरणी॥
ॐ जय अम्बे….
लक्ष्मी तू ही जाला,आवड़ जग हरणी।
दत्य दलण डाटाली, अवना अवतारणी॥
ॐ जय अम्बे….
ग्राम सुआप सुहाणी, धन थलहट धरणी।
देवल माँ मेहा घर, जन्मी जग जननी॥
ॐ जय अम्बे….
राज दियो रिड़मल ने, कानो खय करणी।
धेन दुहत बणिये की, तारो कर तरणी॥
ॐ जय अम्बे….
शेखो लाय सिंध सूं, पेथड़ आचरणी।
दशरथ धान दिपायो, सांपूसुख शरणी॥
ॐ जय अम्बे….
जेतल भूप जिताड़यो, कमल दल दलणी।
प्राण बचाए बखत के , पीर कला हरणी॥
ॐ जय अम्बे….
परचा गिण नही पाऊ, माँ अशरण शरणी।
सोहण चरण शरण मैं,दास अभय करणी॥
ॐ जय अम्बे….
ॐ जय अम्बे करणी,मैया जय अम्बे करणी
भक्त जनन भय संकट, पल छिनमै हरणी।
– इति श्री करणी माता आरती –
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर करणी मां की आरती (Karni Mata Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें मां की आरती रोमन में–
jayaambe karaṇī,maiyā jaya ambe karaṇī।
bhakta janana bhaya saṃkaṭa, pāna chinī haraṇī॥
oṃ jaya ambe…
ādi śakti avināśī,vedana maiṃ varaṇī।
agama annata agodara,viśvarūpa dharaṇī॥
oṃ jaya ambe…
kālī tū kiratālī, durge duḥkha haraṇī।
caṃḍī tū ciratālī, brāhmaṇī varaṇī॥
oṃ jaya ambe…
lakṣmī tū hī jālā,āvaḍa़ jaga haraṇī।
datya dalaṇa ḍāṭālī, avanā avatāraṇī॥
oṃ jaya ambe…
grāma suāpa suhāṇī, dhana thalahaṭa dharaṇī।
devala mā~ mehā ghara, janmī jaga jananī॥
oṃ jaya ambe…
rāja diyo riḍa़mala ne, kāno khaya karaṇī।
dhena duhata baṇiye kī, tāro kara taraṇī॥
oṃ jaya ambe…
śekho lāya siṃdha sūṃ, pethaḍa़ ācaraṇī।
daśaratha dhāna dipāyo, sāṃpūsukha śaraṇī॥
oṃ jaya ambe…
jetala bhūpa jitāḍa़yo, kamala dala dalaṇī।
prāṇa bacāe bakhata ke , pīra kalā haraṇī॥
oṃ jaya ambe…
paracā giṇa nahī pāū, mā~ aśaraṇa śaraṇī।
sohaṇa caraṇa śaraṇa maiṃ,dāsa abhaya karaṇī॥
oṃ jaya ambe…
oṃ jaya ambe karaṇī,maiyā jaya ambe karaṇī
bhakta janana bhaya saṃkaṭa, pala chinamai haraṇī।
– iti śrī karaṇī mātā āratī –