कविता

केला मैया (लोकगीत)

केला मैया (लोकगीत) स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में केला देवी को समर्पित कविता है। कैला देवी का मंदिर यद्यपि करौली, राजस्थान में है, फिर भी बृज क्षेत्र में इनकी बहुत मान्यता है। पढ़ें केला देवी पर यह मनोहारी कविता

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केला मैया पै तें चलौ माँगि ल्यावैं ललना,
मेरौ सूनौ ही पर्यौ है, अबलौं री पलना।

सात बरस मेरे भई ब्याह कौं सुत कौ मुख ना देखौ,
बोली जात करी ना बालम मन में यही परेखौ।
धरौ उठानौ-बा आरे में देखें, मोकों कल ना,
देवी मैया पै तें चलौ माँगि ल्यावैं ललना।

पार परौसिनि कहें उठानौ जबलौं धरौ रहैगौ,
अच्छे दिन आबेंगे तौऊ फल पूरौ न मिलैगौ।
सुत के बिना जगत् में स्वामी, सोचौं यों ही गलना,
केला मैया पै तें चलौ माँगि ल्यावैं ललना।

नव दुर्गनि में रहौं उपासी अन्न नाँय खाओंगी,
झण्डी लाल हाथ में लैकें जातिनि सँग जाओंगी।
धुजा, नारियल, पान-बतासा, भैटें लैके चलना,
देवी मैया पै तें चलौ माँगि ल्यावें ललना।

चारि पाँच मोकूँ ना चहिये एकु लला माँगोंगी,
भेंट चढ़ाय के धरौं साँतिए पूरी राति जगौंगी।
मैया खुस है के बर देयगी-मेरौ भरै पलना।
देवी मैया पै तें चलौ माँगि ल्याबैं ललना।

सर्वा सर्वांनी भय भंजिनि जगदम्बिका भवानी,
शुम्भ निशुम्भ मर्दिनी काली, चण्डी, मातु शिवानी।
अष्ट भुजी, मुँडमाली, दुर्गा मोपै औरु बलना।
देवी मैया पै तौं चलौ माँगि ल्याबैं ललना।

बड़ौ भरोसौ मातु महेशी मेरी गोद भरैगी,
देय सहारौ जाकौं मैया ताकी कब बिगरैगी।
सिंहवाहिनी के समुहैं परै कोऊ खलाना
केला मैया मै तें चलौ माँगि ल्यावें ललना।

मंशा पूरन होय हमारी, पारसाल फिरि आऊँ,
चाँदी के चिपकाय साँतिए तेरी जात जगाऊँ।
भोजन देंउ लंगुरनि कन्यनि राखौं तोसौं छलना।
देवी मैया पैं तें चलौ माँगि ल्यावैं ललना॥

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स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि हैं। ब्रज भाषा के आधुनिक रचनाकारों में आपका नाम प्रमुख है। होलीपुरा में प्रवक्ता पद पर कार्य करते हुए उन्होंने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, सवैया, कहानी, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाकार्य किया और अपने समय के जाने-माने नाटककार भी रहे। उनकी रचनाएँ देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हमारा प्रयास है कि हिंदीपथ के माध्यम से उनकी कालजयी कृतियाँ जन-जन तक पहुँच सकें और सभी उनसे लाभान्वित हों। संपूर्ण व्यक्तित्व व कृतित्व जानने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – श्री नवल सिंह भदौरिया का जीवन-परिचय

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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