धर्म

कुबेर चालीसा – Kuber Chalisa

कुबेर चालीसा का पाठ करने से सारे विघ्न समाप्ति को प्राप्त होते हैं और धन-सम्पत्ति की प्राप्ति भी सहज ही हो जाती है। कुबेर देव का स्मरण जीवन में धन-धान्य लाता है।

कहते हैं कि कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) पढ़ने से व्यक्ति को नाम-यश मिलता है तथा उसे जीवन में कभी भी धनादि की कमी नहीं होती है। विशेषतः दिवाली से पहले धनतेरस वाले दिन लक्ष्मी माता और श्री गणेश के पूजन के अतिरिक्त कुबेर जी की पूजा-आराधना भी की जाती है। मान्यता है कि वे देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं और उनकी कृपा दरिद्रता का नाश करने वाली है। कुबेर चालीसा के पाठ के साथ ही कुबेर जी की आरती करने का भी अमित फल है। वे अपने भक्तों पर सदैव ही धन-सम्पत्ति की वर्षा करते रहते हैं। पढ़ें कुबेर चालीसा हिंदी में (Kuber Chalisa in Hindi)– 

॥ दोहा ॥
जैसे अटल हिमालय,
और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे,
अविचल खडे कुबेर॥

विघ्न हरण मंगल करण,
सुनो शरणागत की टेर ।
भक्त हेतु वितरण करो,
धन माया के ढेर॥

॥ चौपाई ॥
जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी।
धन माया के तुम अधिकारी॥

तप तेज पुंज निर्भय भय हारी।
पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥

स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी।
सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी॥

यक्ष यक्षणी की है सेना भारी।
सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं।
युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥

सदा विजयी कभी ना हारैं।
भगत जनों के संकट टारैं॥

प्रपितामह हैं स्वयं विधाता।
पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥

विश्रवा पिता इडविडा जी माता।
विभीषण भगत आपके भ्राता॥

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया।
घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥

शिव वरदान मिले देवत्य पाया।
अमृत पान करी अमर हुई काया॥

धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में।
देवी देवता सब फिरैं साथ में॥

पीताम्बर वस्त्र पहने गात में।
बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं।
त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥

शंख मृदंग नगारे बाजैं।
गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥

चौंसठ योगनी मंगल गावैं।
ऋद्धि-सिद्धि नित भोग लगावैं॥

दास दासनी सिर छत्र फिरावैं।
यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं।
देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥

पुरुषों में जैसे भीम बली हैं।
यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥

भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं।
पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥

नागों में जैसे शेष बड़े हैं।
वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥

कांधे धनुष हाथ में भाला।
गले फूलों की पहनी माला॥

स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला।
दूर-दूर तक होए उजाला॥

कुबेर देव को जो मन में धारे।
सदा विजय हो कभी न हारे॥

बिगड़े काम बन जाएं सारे।
अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥

कुबेर गरीब को आप उभारैं।
कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥

कुबेर भगत के संकट टारैं।
कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥

शीघ्र धनी जो होना चाहे।
क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥

यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं।
दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं।
अड़े काम को कुबेर बनावैं॥

रोग शोक को कुबेर नशावैं।
कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥

कुबेर चढ़े को और चढ़ादे।
कुबेर गिरे को पुन: उठा दे॥

कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे।
कुबेर भूले को राह बता दे॥

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे ।
भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥

रोगी का रोग कुबेर घटा दे।
दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे॥

बांझ की गोद कुबेर भरा दे।
कारोबार को कुबेर बढ़ा दे॥

कारागार से कुबेर छुड़ा दे।
चोर ठगों से कुबेर बचा दे॥

कोर्ट केस में कुबेर जितावै।
जो कुबेर को मन में ध्यावै॥

चुनाव में जीत कुबेर करावैं।
मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥

पाठ करे जो नित मन लाई।
उसकी कला हो सदा सवाई॥

जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई।
उसका जीवन चले सुखदाई॥

जो कुबेर का पाठ करावै।
उसका बेड़ा पार लगावै॥

उजड़े घर को पुन: बसावै।
शत्रु को भी मित्र बनावै॥

सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई।
सब सुख भोद पदार्थ पाई॥

प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई।
मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥

दोहा ॥
शिव भक्तों में अग्रणी,
श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,
कर दो दूर अंधेर॥

कर दो दूर अंधेर अब,
जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी,
दया की दृष्टि फेर॥

नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें कुबेर चालीसा रोमन में–

Read Kuber Chalisa

॥ dohā ॥
jaise aṭala himālaya, aura jaise aḍiga sumera।
aise hī svarga dvāra pe, avicala khaḍe kubera॥

vighna haraṇa maṃgala karaṇa, suno śaraṇāgata kī ṭera।
bhakta hetu vitaraṇa karo, dhana māyā ke ḍhera॥

॥ caupāī ॥
jai jai jai śrī kubera bhaṇḍārī।
dhana māyā ke tuma adhikārī॥

tapa teja puṃja nirbhaya bhaya hārī।
pavana vega sama sama tanu baladhārī॥

svarga dvāra kī kareṃ pahare dārī।
sevaka iṃdra deva ke ājñākārī॥

yakṣa yakṣaṇī kī hai senā bhārī।
senāpati bane yuddha meṃ dhanudhārī॥

mahā yoddhā bana śastra dhāraiṃ।
yuddha karaiṃ śatru ko māraiṃ॥

sadā vijayī kabhī nā hāraiṃ।
bhagata janoṃ ke saṃkaṭa ṭāraiṃ॥

prapitāmaha haiṃ svayaṃ vidhātā।
pulistā vaṃśa ke janma vikhyātā॥

viśravā pitā iḍaviḍā jī mātā।
vibhīṣaṇa bhagata āpake bhrātā॥

śiva caraṇoṃ meṃ jaba dhyāna lagāyā।
ghora tapasyā karī tana ko sukhāyā॥

śiva varadāna mile devatya pāyā।
amṛta pāna karī amara huī kāyā॥

dharma dhvajā sadā lie hātha meṃ।
devī devatā saba phiraiṃ sātha meṃ॥

pītāmbara vastra pahane gāta meṃ।
bala śakti pūrī yakṣa jāta meṃ॥

svarṇa siṃhāsana āpa virājaiṃ।
triśūla gadā hātha meṃ sājaiṃ॥

śaṃkha mṛdaṃga nagāre bājaiṃ।
gaṃdharva rāga madhura svara gājaiṃ॥

cauṃsaṭha yoganī maṃgala gāvaiṃ।
ṛddhi-siddhi nita bhoga lagāvaiṃ॥

dāsa dāsanī sira chatra phirāvaiṃ।
yakṣa yakṣaṇī mila caṃvara ḍhūlāvaiṃ॥

ṛṣiyoṃ meṃ jaise paraśurāma balī haiṃ।
devanha meṃ jaise hanumāna balī haiṃ॥

puruṣoṃ meṃ jaise bhīma balī haiṃ।
yakṣoṃ meṃ aise hī kubera balī haiṃ॥

bhagatoṃ meṃ jaise prahalāda baḍa़e haiṃ।
pakṣiyoṃ meṃ jaise garuḍa़ baḍa़e haiṃ॥

nāgoṃ meṃ jaise śeṣa baḍa़e haiṃ।
vaise hī bhagata kubera baḍa़e haiṃ॥

kāṃdhe dhanuṣa hātha meṃ bhālā।
gale phūloṃ kī pahanī mālā॥

svarṇa mukuṭa aru deha viśālā।
dūra-dūra taka hoe ujālā॥

kubera deva ko jo mana meṃ dhāre।
sadā vijaya ho kabhī na hāre॥

bigaḍa़e kāma bana jāeṃ sāre।
anna dhana ke raheṃ bhare bhaṇḍāre॥

kubera garība ko āpa ubhāraiṃ।
kubera karja ko śīghra utāraiṃ॥

kubera bhagata ke saṃkaṭa ṭāraiṃ।
kubera śatru ko kṣaṇa meṃ māraiṃ॥

śīghra dhanī jo honā cāhe।
kyuṃ nahīṃ yakṣa kubera manāeṃ॥

yaha pāṭha jo paḍha़e paḍha़āeṃ।
dina duganā vyāpāra baḍha़āeṃ॥

bhūta preta ko kubera bhagāvaiṃ।
aḍa़e kāma ko kubera banāvaiṃ॥

roga śoka ko kubera naśāvaiṃ।
kalaṃka koḍha़ ko kubera haṭāvaiṃ॥

kubera caḍha़e ko aura caḍha़āde।
kubera gire ko puna: uṭhā de॥

kubera bhāgya ko turaṃta jagā de।
kubera bhūle ko rāha batā de॥

pyāse kī pyāsa kubera bujhā de।
bhūkhe kī bhūkha kubera miṭā de॥

rogī kā roga kubera ghaṭā de।
dukhiyā kā dukha kubera chuṭā de॥

bāṃjha kī goda kubera bharā de।
kārobāra ko kubera baḍha़ā de॥

kārāgāra se kubera chuḍa़ā de।
cora ṭhagoṃ se kubera bacā de॥

korṭa kesa meṃ kubera jitāvai।
jo kubera ko mana meṃ dhyāvai॥

cunāva meṃ jīta kubera karāvaiṃ।
maṃtrī pada para kubera biṭhāvaiṃ॥

pāṭha kare jo nita mana lāī।
usakī kalā ho sadā savāī॥

jisape prasanna kubera kī māī।
usakā jīvana cale sukhadāī॥

jo kubera kā pāṭha karāvai।
usakā beḍa़ā pāra lagāvai॥

ujaḍa़e ghara ko puna: basāvai।
śatru ko bhī mitra banāvai॥

sahastra pustaka jo dāna karāī।
saba sukha bhoda padārtha pāī॥

prāṇa tyāga kara svarga meṃ jāī।
mānasa parivāra kubera kīrti gāī॥

॥ dohā ॥
śiva bhaktoṃ meṃ agraṇī, śrī yakṣarāja kubera।
hṛdaya meṃ jñāna prakāśa bhara, kara do dūra aṃdhera ॥

kara do dūra aṃdhera aba, jarā karo nā dera।
śaraṇa paḍa़ā hūṃ āpakī, dayā kī dṛṣṭi phera॥

nitta nema kara prātaḥ hī, pāṭha karauṃ cālīsā।
tuma merī manokāmanā, pūrṇa karo jagadīśa॥

magasara chaṭhi hemanta ṝtu, saṃvata causaṭha jāna।
astuti cālīsā śivahi, pūrṇa kīna kalyāṇa॥

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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