आरती ललिता जी की – Lalita Ji Ki Aarti
पढ़ें आरती ललिता जी की और जीवन में पाएँ सुख, समृद्धि और प्रगति का वरदान। माँ अपने भक्तों के कष्ट हरने वाली है। उन्हें जो भी सच्चे हृदय से पूजता है या स्मरण करता है, उसपर माता की कृपा अवश्य होती है।
आदिशक्ति माँ ललिता तीनों लोकों की स्वामिनी हैं। क्या है जो जो वे अपने भक्तों को न दे सकती हों! पाठ करें आरती ललिता जी की–
जय शरणं वरणं नमो नमः
श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि
राजेश्वरि जय नमो नमः।
करुणामयी सकल अघ हारिणी
अमृत वर्षिणी नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः
श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि।
अशुभ विनाशिनी, सब सुख
दायिनी खलदल नाशिनी नमो नमः।
भण्डासुर वधकारिणी जय
माँ करुणा कलिते नमो नमः।
जय शरणं वरणं नमो नमः
श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि।।
भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी
शरणागति दो नमो नमः।
शिव भामिनी साधक मन हारिणी
आदि शक्ति जय नमो नमः।
जय शरणं वरणं नमो नमः
जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः॥
जय राजेश्वरी जय नमो नमः
जय ललिते माता नमो नमः।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरि
राजेश्वरि जय नमो नमः।
जय शरणं वरणं नमो नमः॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर आरती ललिता जी की (Lalita Ji Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें ललिता जी की आरती रोमन में–
Read Lalita Ji Ki Aarti
jaya śaraṇaṃ varaṇaṃ namo namaḥ
śrī māteśvari jaya tripureśvari
rājeśvari jaya namo namaḥ।
karuṇāmayī sakala agha hāriṇī
amṛta varṣiṇī namo namaḥ॥
jaya śaraṇaṃ varaṇaṃ namo namaḥ
śrī māteśvari jaya tripureśvari।
aśubha vināśinī, saba sukha
dāyinī khaladala nāśinī namo namaḥ।
bhaṇḍāsura vadhakāriṇī jaya
mā~ karuṇā kalite namo namaḥ।
jaya śaraṇaṃ varaṇaṃ namo namaḥ
śrī māteśvari jaya tripureśvari।।
bhava bhaya hāriṇī kaṣṭa nivāriṇī
śaraṇāgati do namo namaḥ।
śiva bhāminī sādhaka mana hāriṇī
ādi śakti jaya namo namaḥ।
jaya śaraṇaṃ varaṇaṃ namo namaḥ
jaya tripura sundarī namo namaḥ॥
jaya rājeśvarī jaya namo namaḥ
jaya lalite mātā namo namaḥ।
śrī māteśvarī jaya tripureśvari
rājeśvari jaya namo namaḥ।
jaya śaraṇaṃ varaṇaṃ namo namaḥ॥
यह आरती ललिता जी की (Lalita Ji Ki Aarti) जो भी पूरे मन से गाता है, उसे माता त्रिपुरसुंदरी अवश्य ही मनोवांछित फल देती हैं। श्री चक्र के माध्यम से माता की जो उपासना करता है, वह इहलोक और परलोक दोनों में ही इच्छित परिणाम प्राप्त करता है।