धर्म

ललिता चालीसा – Lalitha Chalisa in Hindi

ललिता चालीसा के पाठ से योग और भोग दोनों की प्राप्ति होती है। माँ ललिता की कृपा सब प्रकार से भक्त का कल्याण करने वाली है। जिसपर माता ललिता की कृपा होती है, भाग्य उसका साथ देने लगता है। ललिता चालीसा के गायन से भक्त का जीवन सुखमय बन जाता है।

जो भी माँ की शरण में जाता है, माँ उसकी सारी विपदाएँ दूर कर देती हैं। पढ़ें ललिता चालीसा हिंदी में (Lalitha Chalisa in Hindi)–

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जयति जयति जय ललिते माता,
तब गुण महिमा है विख्याता।

तू सुन्दरि, त्रिपुरेश्वरी देवी,
सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।

तू कल्याणी कष्ट निवारिणी,
तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी।

मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी,
भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।

आदि शक्ति श्री विद्या रूपा,
चक्र स्वामिनी देह अनूपा।

हृदय निवासिनी भक्त तारिणी,
नाना कष्ट विपति दल हारिणी।

दश विद्या है रूप तुम्हारा,
श्री चन्द्रेश्वरि। नैमिष प्यारा।

धूमा, बगला, भैरवी, तारा,
भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।

षोडशी, छिन्नमस्ता, मातंगी,
ललिते शक्ति तुम्हारी संगी।

ललिते तुम हो ज्योतित भाला,
भक्त जनों को काम संभाला।

भारी संकट जब-जब आये,
उनसे तुमने भक्त बचाये ।

जिसने कृपा तुम्हारी पाई,
उसकी सब विधि से बन आई।

संकट दूर करो माँ भारी,
भक्तजनों को आस तुम्हारी।

त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी,
जय जय जय शिव की महारानी।

योग सिद्धि पावें सब योगी,
भोंगे भोग, महा सुख भोगी।

कृपा तुम्हारी पाके माता,
जीवन सुखमय है बन जाता।

दुखियों को तुमने अपनाया,
महामूढ़ जो शरण न आया।

तुमने जिसकी ओर निहारा,
मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा।

आदि शक्ति जय त्रिपुर-प्यारी,
महाशक्ति जय जय भयहारी।

कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा,
लीला ललिते करें अनूपा।

महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे,
त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।

महा महानन्दे, कल्याणी,
मूकों को देती हो वाणी।

इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी,
होता तब सेवा अनुरागी।

जो ललिते तेरा गुण गावे,
उसे न कोई कष्ट सतावे।

सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी,
तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी।

आया माँ जो शरण तुम्हारी,
विपदा हरी उसी की सारी।

नामा-कर्षिणी, चित्त-कर्षिणी,
सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।

महिमा तब सब जग विख्याता,
तुम हो दयामयी जगमाता।

सब सौभाग्य-दायिनी ललिता,
तुम हो सुखदा करुणा कलिता।

आनन्द, सुख, सम्पति देती हो,
कष्ट भयानक हर लेती हो।

मन से जो जन तुमको ध्यावे,
वह तुरन्त मनवांछित पावे।

लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली,
तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।

मुलाधार, निवासिनी जय-जय,
सहरस्त्रारबामिनी माँ जय-जय।

छ: चक्रों को भेदने वाली,
करती हो सबकी रखवाली।

योगी भोगी क्रोधी कामी,
सब हैं सेवक सब अनुगामी।

सबको पार लगाती हो माँ,
सब पर दया दिखाती हो माँ।

हेमावती, उमा, ब्रह्माणी,
भण्डासुर का, हृदय विदारिणी।

सर्व विपति हर, सर्वाधारे,
तुमने कुटिल कुपंथी तारे।

चन्द्र-धारणी, नैमिषवासिनी,
कृपा करो ललिते अघनाशिनी।

भक्तजनों को दरस दिखाओ,
संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।

जो कोई पढ़े ललिता चालीसा,
होवे सुख आनन्द अधीसा।

जिस पर कोई संकट आवे
पाठ करे संकट मिट जावे।

ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा,
पूर्ण मनोरथ होवे सारा।

पुत्र हीन सन्तति सुख पावे,
निर्धन धनी बने गुण गावे।

इस विधि पाठ करे जो कोई,
दुःख बन्धन छूटे सुख होई।

जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें,
पढ़े चालीसा तो सुख पावें।

सबसे लघु उपाय यह जानो,
सिद्ध होय मन में जो ठानों।

ललिता करे हृदय में बासा,
सिद्धि देत ललिता चालीसा।

॥ दोहा ॥

ललिते माँ अब कृपा करो,
सिद्ध करो सब काम।
श्रद्धा से सिर नाय कर,
करते तुम्हें प्रणाम ॥

यह भी पढ़ें – ललिता चालीसा

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर ललिता चालीसा (Lalitha Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें ललिता चालीसा रोमन में–

Read Lalitha Chalisa

jayati jayati jaya lalite mātā,
taba guṇa mahimā hai vikhyātā।

tū sundari, tripureśvarī devī,
sura nara muni tere pada sevī।

tū kalyāṇī kaṣṭa nivāriṇī,
tū sukha dāyinī, vipadā hāriṇī।

moha vināśinī daitya nāśinī,
bhakta bhāvinī jyoti prakāśinī।

ādi śakti śrī vidyā rūpā,
cakra svāminī deha anūpā।

hṛdaya nivāsinī bhakta tāriṇī,
nānā kaṣṭa vipati dala hāriṇī।

daśa vidyā hai rūpa tumhārā,
śrī candreśvari। naimiṣa pyārā।

dhūmā, bagalā, bhairavī, tārā,
bhuvaneśvarī, kamalā, vistārā।

ṣoḍaśī, chinnamastā, mātaṃgī,
lalite। śakti tumhārī saṃgī।

lalite tuma ho jyotita bhālā,
bhakta janoṃ ko kāma saṃbhālā।

bhārī saṃkaṭa jaba-jaba āye,
unase tumane bhakta bacāye ।

jisane kṛpā tumhārī pāī,
usakī saba vidhi se bana āī।

saṃkaṭa dūra karo mā~ bhārī,
bhaktajanoṃ ko āsa tumhārī।

tripureśvarī, śailajā, bhavānī,
jaya jaya jaya śiva kī mahārānī।

yoga siddhi pāveṃ saba yogī,
bhoṃge bhoga, mahā sukha bhogī।

kṛpā tumhārī pāke mātā,
jīvana sukhamaya hai bana jātā।

dukhiyoṃ ko tumane apanāyā,
mahāmūḍha़ jo śaraṇa na āyā।

tumane jisakī ora nihārā,
milī use sampatti, sukha sārā।

ādi śakti jaya tripura-pyārī,
mahāśakti jaya jaya bhayahārī।

kula yoginī, kuṇḍalinī rūpā,
līlā lalite kareṃ anūpā।

mahā-maheśvarī, mahā śakti de,
tripura-sundarī sadā bhakti de।

mahā mahānande, kalyāṇī,
mūkoṃ ko detī ho vāṇī।

icchā-jñāna-kriyā kā bhāgī,
hotā taba sevā anurāgī।

jo lalite terā guṇa gāve,
use na koī kaṣṭa satāve।

sarva maṃgale jvālā-mālinī,
tuma ho sarva śakti saṃcālinī।

āyā mā~ jo śaraṇa tumhārī,
vipadā harī usī kī sārī।

nāmā-karṣiṇī, citta-karṣiṇī,
sarva mohinī saba sukha-varṣiṇī।

mahimā taba saba jaga vikhyātā,
tuma ho dayāmayī jagamātā।

saba saubhāgya-dāyinī lalitā,
tuma ho sukhadā karuṇā kalitā।

ānanda, sukha, sampati detī ho,
kaṣṭa bhayānaka hara letī ho।

mana se jo jana tumako dhyāve,
vaha turanta manavāṃchita pāve।

lakṣmī, durgā tuma ho kālī,
tumhīṃ śāradā cakra-kapālī।

mulādhāra, nivāsinī jaya-jaya,
saharastrārabāminī mā~ jaya-jaya।

cha: cakroṃ ko bhedane vālī,
karatī ho sabakī rakhavālī।

yogī bhogī krodhī kāmī,
saba haiṃ sevaka saba anugāmī।

sabako pāra lagātī ho mā~,
saba para dayā dikhātī ho mā~।

hemāvatī, umā, brahmāṇī,
bhaṇḍāsura kā, hṛdaya vidāriṇī।

sarva vipati hara, sarvādhāre,
tumane kuṭila kupaṃthī tāre।

candra-dhāraṇī, naimiṣavāsinī,
kṛpā karo lalite aghanāśinī।

bhaktajanoṃ ko darasa dikhāo,
saṃśaya bhaya saba śīghra miṭāo।

jo koī paḍha़e lalitā cālīsā,
hove sukha ānanda adhīsā।

jisa para koī saṃkaṭa āve
pāṭha kare saṃkaṭa miṭa jāve।

dhyāna lagā paḍha़e ikkīsa bārā,
pūrṇa manoratha hove sārā।

putra hīna santati sukha pāve,
nirdhana dhanī bane guṇa gāve।

isa vidhi pāṭha kare jo koī,
duḥkha bandhana chūṭe sukha hoī।

jitendra candra bhāratīya batāveṃ,
paḍha़e cālīsā to sukha pāveṃ।

sabase laghu upāya yaha jāno,
siddha hoya mana meṃ jo ṭhānoṃ।

lalitā kare hṛdaya meṃ bāsā,
siddhi deta lalitā cālīsā।

॥ dohā ॥
lalite mā~ aba kṛpā karo,
siddha karo saba kāma।
śraddhā se sira nāya kara,
karate tumheṃ praṇāma॥

ललिता देवी को माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। ललिता त्रिपुर सुन्दरी माता चालीसा (Lalita Tripura Sundari Mata Chalisa) उन्हें प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त करने का बेहद सरल और कारगर तरीका है। माता ललिता को खुशियों की देवी भी कहा जाता है। इनके कुछ दूसरे नाम भी हैं, जैसे राजराजेश्वरी, त्रिपुर सुन्दरी, आदि। इन्हें दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। 

ललिता चालीसा (Lalita Chalisa), देवी ललिता को समर्पित 40 पंक्तियों का स्त्रोत है। इसमें माता की महिमा एवं सुन्दर स्वरुप का बखान किया गया है। 

ललिता चालीसा का पाठ कैसे करें

सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको सुबह स्नान करके और देवी ललिता की मूर्ति या चित्र के सामने ललिता चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए आपको सबसे पहले चालीसा का मतलब हिंदी में समझना चाहिए।

ललिता चालीसा पाठ के फायदे – Lalita Chalisa Benefits

  • इस चालीसा के पाठ के फलस्वरूप देवी ललिता, सद्भाव, सौंदर्य, और मन की शांति का आशीर्वाद प्रदान करतीं हैं। 
  • बुरी आत्माओं और हानिकारक ऊर्जाओं से रक्षा के लिए भी ललिता चालीसा का पाठ किया जाता है। 
  • व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में प्रगति और स्थिरता प्राप्त होती है। 
  • ललिता देवी की दिव्य कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। 
  • सारे दुःख, तकलीफें दूर होती हैं और पाठ के फलस्वरूप व्यक्ति तेजस्वी बनता है। 
  • पाठ की शक्ति से जातक हर तरह के सुखों का भागीदार बनता है। 
  • ललिता चालीसा के पाठ से व्यक्ति तरक्की करके और बहुत धन कमाता है। 
  • ज्ञान-विवेक, धन-बल, सिद्धि-बुद्धि, और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 

हिंदीपथ पर आप Lalita Chalisa PDF भी Download कर सकते हैं। आशा है कि यह लेख किसी न किसी प्रकार से उपयोग में अवश्य आया होगा। ललिता देवी अपने सभी भक्त पर अपनी कृपा बरसाते रहें।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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