लक्ष्मी स्तुति – Lakshmi Stuti
लक्ष्मी स्तुति पढ़ें
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥1॥
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥2॥
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥3॥
धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥4॥
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥5॥
मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥6॥
गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥7॥
धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥8॥
जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥9॥
भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥10॥
कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥11॥
आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥12॥
सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥13॥
सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥14॥
साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे॥15॥
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा॥16॥
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते॥17॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर लक्ष्मी स्तुति को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें लक्ष्मी स्तुति रोमन में–
Read Lakshmi Stuti
ādi lakṣmi namaste’stu parabrahma svarūpiṇi।
yaśo dehi dhanaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥1॥
santāna lakṣmi namaste’stu putra-pautra pradāyini।
putrāṃ dehi dhanaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥2॥
vidyā lakṣmi namaste’stu brahma vidyā svarūpiṇi।
vidyāṃ dehi kalāṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥3॥
dhana lakṣmi namaste’stu sarva dāridrya nāśini।
dhanaṃ dehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥4॥
dhānya lakṣmi namaste’stu sarvābharaṇa bhūṣite।
dhānyaṃ dehi dhanaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥5॥
medhā lakṣmi namaste’stu kali kalmaṣa nāśini।
prajñāṃ dehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥6॥
gaja lakṣmi namaste’stu sarvadeva svarūpiṇi।
aśvāṃśa gokulaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥7॥
dhīra lakṣmi namaste’stu parāśakti svarūpiṇi।
vīryaṃ dehi balaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥8॥
jaya lakṣmi namaste’stu sarva kārya jayaprade।
jayaṃ dehi śubhaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥9॥
bhāgya lakṣmi namaste’stu saumāṅgalya vivardhini।
bhāgyaṃ dehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥10॥
kīrti lakṣmi namaste’stu viṣṇuvakṣa sthala sthite।
kīrtiṃ dehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥11॥
ārogya lakṣmi namaste’stu sarva roga nivāraṇi।
āyurdehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥12॥
siddha lakṣmi namaste’stu sarva siddhi pradāyini।
siddhiṃ dehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥13॥
saundarya lakṣmi namaste’stu sarvālaṅkāra śobhite।
rūpaṃ dehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥14॥
sāmrājya lakṣmi namaste’stu bhukti mukti pradāyini।
mokṣaṃ dehi śriyaṃ dehi sarva kāmāṃśca dehi me॥15॥
maṅgale maṅgalādhāre māṅgalye maṅgala prade।
maṅgalārthaṃ maṅgaleśi māṅgalyaṃ dehi me sadā॥16॥
sarva maṅgala māṅgalye śive sarvārtha sādhike।
śaraṇye trayambake devi nārāyaṇi namo’stute॥17॥