कविता

लो आयी बरसात – Lo Aayi Barsaat Lyrics

पढ़ें “लो आयी बरसात” लिरिक्स

कोई मिले तो मुझको बताना
इश्क़ करे जो मेरी तरह
जाओ कहाँ से लाओगे ऐसा
तुझपे मरे जो मेरी तरह

जाते हो तो जाओ ना
अब ना रोकेंगे अब ना रोकेंगे
सोचा था तेरे बारे में
हम ना सोचेंगे हम ना सोचेंगे

लो आयी बरसात
फिर आयी तेरी याद
अब होंगे बर्बाद
जो आयी बरसात

लो आयी बरसात
फिर आयी तेरी याद
अब होंगे बर्बाद
जो आयी बरसात

कब से लगे हैं हम
आंसू छुपाने में
मुझसा ना कोई भी
टुटा है ज़माने में

बरसे बूँदें जो
कितना रुलाती है
दर्द सारा आशिक़ों का
बारिशें क्यों लाती है

बातों में फिरसे तेरी
हम ना आएंगे हम ना आएंगे
सोचा था मेरे हिस्से में
ग़म ना आएंगे ग़म ना आएंगे

लो आयी बरसात
फिर आयी तेरी याद
अब होंगे बर्बाद
जो आयी बरसात हाँ

लो आयी बरसात
फिर आयी तेरी याद
अब होंगे बर्बाद
जो आयी बरसात

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम लो आयी बरसात (Lo Aayi Barsaat) गीत को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस गाने को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें यह गीत रोमन में-

Read Lo Aayi Barsaat Lyrics

koī mile to mujhako batānā
iśka़ kare jo merī taraha
jāo kahā~ se lāoge aisā
tujhape mare jo merī taraha

jāte ho to jāo nā
aba nā rokeṃge aba nā rokeṃge
socā thā tere bāre meṃ
hama nā soceṃge hama nā soceṃge

lo āyī barasāta
phira āyī terī yāda
aba hoṃge barbāda
jo āyī barasāta

lo āyī barasāta
phira āyī terī yāda
aba hoṃge barbāda
jo āyī barasāta

kaba se lage haiṃ hama
āṃsū chupāne meṃ
mujhasā nā koī bhī
ṭuṭā hai ja़māne meṃ

barase bū~deṃ jo
kitanā rulātī hai
darda sārā āśika़oṃ kā
bāriśeṃ kyoṃ lātī hai

bātoṃ meṃ phirase terī
hama nā āeṃge hama nā āeṃge
socā thā mere hisse meṃ
ga़ma nā āeṃge ga़ma nā āeṃge

lo āyī barasāta
phira āyī terī yāda
aba hoṃge barbāda
jo āyī barasāta hā~

lo āyī barasāta
phira āyī terī yāda
aba hoṃge barbāda
jo āyī barasāta

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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