धर्म

बगलामुखी कवच – Baglamukhi Kavach

बगलामुखी कवच का पाठ माँ बगलामुखी की साधना आरम्भ करने से पहले अवश्य करें। इसे पढ़ने से सारी बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। तंत्र शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि बगलामुखी कवच का नियमित पाठ करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है।

जो श्रद्धा से बगलामुखी माता की उपासना करता है, उसे इहलोक में सभी भोग तथा परलोक में मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह कवच सर्वसिद्धिदायक है। जो व्यक्ति महानिशा में बगलामुखी कवच (Baglamukhi Kavach) को पढ़ता है, उसके असाध्य कार्य भी सात दिनों के भीतर सिद्ध हो जाते हैं। पढ़ें बगलामुखी कवच–

ध्यान
सौवर्णासनसंस्थितां त्रिनयनां पीताशुकोल्लासिनीम्‌ ।
हेमाभांगरुचिं शशांकमुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्‌॥

हस्तैर्मुदगर पाशवज्धरसनाः संबिश्रतीं भूषणैः।
व्याप्तागीं बगलामुखीं त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तयेत्‌॥

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विनियोगः
ॐ अस्य श्रीबगलामुखीब्रह्मास्रमन्त्रकवचस्य भैरव ऋषिः, विराट्‌ छन्दः श्रीबगलामुखी देवता, क्लीं बीजम्‌, ऐं शक्तिः, श्रीं कीलकं, मम परस्य च मनोभिलाषितेष्टकार्यसिद्धये विनियोगः।

ऋषि-न्यास
शिरसि भैरव ऋषये नमः।
मुखे विराट छन्दसे नमः।
हृदि बगलामुखीदेवतायै नमः।
गुह्ये क्लीं बीजाय नमः।
पादयो ऐं शक्तये नमः।
सर्वांगे श्रीं कीलकाय नमः।

करन्यास
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

हृदयादि न्यास
ॐ ह्रां हृदयाय नमः।
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा।
ॐ ह्रूं शिखायै वषट्‌।
ॐ ह्रैं कवचाय हम।
ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्‌।
ॐ ह्रः अस्त्राय फट्‌।

मन्त्रोद्धारः
ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्रीबगलानने मम् रिपून्‌ नाशय नाशय मामैश्चर्याणि देहि देहि, शीघ्रं मनोवांछितम् कार्यं साधय साधय ह्रीं स्वाहा।

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कवच
शिरो मे पातु ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं पातु ललाटकम्‌।
सम्बोधनपदं पातु नेत्रे श्री बगलानने॥ १ ॥

श्रुतौ मम्‌ रिपुं पातु नासिकां नाशयद्वयम्‌।
पातु गण्डौ सदा मामैश्वर्याण्यन्तं तु मस्तकम्‌॥ २ ॥

देहि द्वन्द्वं सदा जिहवां पातु शीघ्रं वचो मम।
कण्ठदेशं मनः पातु वाञ्छितं बाहुमूलकम्‌ ॥ ३ ॥

कार्य साधयद्वन्द्वं तु करौ पातु सदा मम।
मायायुक्ता यथा स्वाहा हृदयं पातु सर्वदा॥ ४ ॥

अष्टाधिकचत्वारिंशदण्डाढया बगलामुखी।
रक्षां करोतु सर्वत्र गृहेऽरण्ये सदा मम॥ ५ ॥

ब्रह्मास्त्राख्यो मनुः पातु सर्वांगे सर्वसन्धिषु।
मन्त्रराजः सदा रक्षां करोतु मम सर्वदा॥ ६ ॥

ॐ ह्रीं पातु नाभिदेशं कटिं मे बगलाऽवतु।
मुखिवर्णद्वयं पातु लिगं मे मुष्कयुग्मकम्‌॥ ७ ॥

जानुनी सर्वदुष्टानां पातु मे वर्णपञ्चकम्‌।
वाचं मुखं तथा पादं षड्वर्णाः परमेश्वरी॥ ८ ॥

जंघायुग्मे सदापातु बगला रिपुमोहिनी।
स्तम्भयेति पदं पृष्ठे पातु वर्णत्रय मम॥ ९ ॥

जिहवावर्णद्वयं पातु गुल्फौ मे कीलयेति च।
पादोर्ध्वं सर्वदा पातु बुद्धिं पादतले मम॥ १० ॥

विनाशयपदं पातु पादांगुर्ल्योनखानि मे।
ह्रीं बीज॑ सर्वदा पातु बुद्धिन्द्रियवचांसि मे॥ ११ ॥

सर्वागं प्रणवः पातु स्वाहा रोमाणि मेऽवतु।
ब्राह्मी पूर्वदले पातु चाग्नेय्यां विष्णुवल्लभा॥ १२ ॥

माहेशी दक्षिणे पातु चामुण्डा राक्षसेऽवतु।
कौमारी पश्चिमे पातु वायव्ये चापराजिता॥ १३ ॥

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वाराही च उत्तरे पातु नारसिंही शिवेऽवतु।
ऊर्ध्वं पातु महालक्ष्मीः पाताले शारदाऽवतु॥ १४ ॥

इत्यष्टौ शक्तयः पान्तु सायुधाश्च सवाहनाः।
राजद्वारे महादुर्गे पातु मां गणनायकः॥ १५ ॥

श्मशाने जलमध्ये च भैरवश्च सदाऽवतु।
द्विभुजा रक्तवसनाः सर्वाभरणभूषिताः॥ १६ ॥

योगिन्यः सर्वदा पान्तु महारण्ये सदा मम।
इति ते कथितं देवि कवच परमाद्भुतम्‌॥ १७ ॥

फलश्रुति
यद्यपि बगलामुखी कवच के साथ इसकी फलश्रुति का पाठ अनिवार्य नहीं है, फिर भी इसे पढ़ने का विशेष महत्व है–

श्रीविश्वविजयं नाम कीर्तिश्रीविजयप्रदाम्‌।
अपुत्रो लभते पुत्रं धीरं शूरं शतायुषम्‌॥ १८ ॥

निर्धनो धनमाप्नोति कवचास्यास्य पाठतः।
जपित्वा मन्त्रराजं तु ध्यात्वा श्री बगलामुखीम्‌॥ १९ ॥

पठेदिदं हि कवचं निशायां नियमात्‌ तु यः।
यद्‌ यत्‌ कामयते कामं साध्यासाध्ये महीतले॥ २० ॥

तत्‌ तत्‌ काममवाप्नोति सप्तरात्रेण शंकरि।
गुरुं ध्यात्वा सुरां पीत्वा रात्रो शक्तिसमन्वितः॥ २१ ॥

कवचं यः पठेद्‌ देवि तस्यासाध्यं न किञ्चन।
यं ध्यात्वा प्रजपेन्मन्त्रं सहस्त्रं कवचं पठेत्‌॥ २२ ॥

त्रिरात्रेण वशं याति मृत्योः तन्नात्र संशयः।
लिखित्वा प्रतिमां शत्रोः सतालेन हरिद्रया॥ २३ ॥

लिखित्वा हृदि तन्नाम तं ध्यात्वा प्रजपेन्‌ मनुम्‌।
एकविंशददिनं यावत्‌ प्रत्यहं च सहस्त्रकम्‌॥ २४ ॥

जपत्वा पठेत्‌ तु कवचं चतुर्विंशतिवारकम्‌।
संस्तम्भं जायते शत्रोर्नात्र कार्या विचारणा॥ २५ ॥

विवादे विजयं तस्य संग्रामे जयमाप्नुयात्‌।
श्मशाने च भयं नास्ति कवचस्य प्रभावतः॥ २६ ॥

नवनीतं चाभिमन्त्रय स्त्रीणां दद्यान्महेश्वरि।
वन्ध्यायां जायते पुत्रो विद्याबलसमन्वितः॥ २७ ॥

श्मशानांगारमादाय भौमे रात्रौ शनावथ।
पादोदकेन स्पृष्ट्वा च लिखेत्‌ लोहशलाकया॥ २८ ॥

भूमौ शत्रोः स्वरुपं च हृदि नाम समालिखेत्‌।
हस्तं तद्धृदये दत्वा कवचं तिथिवारकम्‌॥ २९ ॥

ध्यात्वा जपेन्‌ मन्त्रराजं नवरात्रं प्रयत्नतः।
म्रियते ज्वरदाहेन दशमेंऽहनि न संशयः॥ ३० ॥

भूर्जपत्रेष्विदं स्तोत्रमष्टगन्धेन संलिखेत्‌।
धारयेद्‌ दक्षिणे बाहौ नारी वामभुजे तथा॥ ३१ ॥

संग्रामे जयमप्नोति नारी पुत्रवती भवेत्‌।
सम्पूज्य कवचं नित्यं पूजायाः फलमालभेत्‌॥ ३२ ॥

ब्रह्मास्त्रादीनि शस्त्राणि नैव कृन्तन्ति तं जनम्‌।
वृहस्पतिसमो वापि विभवे धनदोपमः॥ ३३ ॥

कामतुल्यश्च नारीणां शत्रूणां च यमोपमः।
कवितालहरी तस्य भवेद्‌ गंगाप्रवाहवत्‌॥ ३४ ॥

गद्यपद्यमयी वाणी भवेद्‌ देवी प्रसादतः।
एकादशशतं यावत्‌ पुरश्चरणमुच्यते॥ ३५ ॥

पुरश्चर्याविहीनं तु न चेदं फलदायकम्‌।
न देयं परशिष्येभ्यो दुष्टेभ्यश्च विशेषतः॥ ३६ ॥

देयं शिष्याय भक्ताय पञ्चत्वं चान्यथाऽऽप्नुयात्‌।
इदं कवचमज्ञात्वा भजेद्‌ यो बगलामुखीम्‌॥ ३७ ॥

शतकोटिं जपित्वा तु तस्य सिद्धिर्न जायते।
दाराढयो मनुजोऽस्य लक्षजपतः प्राप्नोतिं सिद्धिं पराम्॥ ३८ ॥

विद्यां श्रीविजयं तथा सुनियतं धीरं च वीरं वरम्‌।
ब्रह्मास्त्राख्यमनुं विलिख्य नितरां भूर्जेऽष्टगन्धेन वै॥ ३९ ॥

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इति श्रीविश्वसारोद्धारतन्त्रे पार्वतीश्वरसंवादे बगलामुखी कवचम्‌ सम्पूर्णम्‌

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बगलामुखी कवच का महत्व (Baglamukhi Kavach Importance)

जैसा कि हम जानते हैं कि कुल दस महाविद्यायें हैं, और माँ बगलामुखी उनमें से आठवें क्रम के देवी हैं। बगलामुखी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘वल्गा’ और ‘मुखा’ से हुई है। देवी बगलामुखी के और नाम, पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र रूपिणी भी है। माँ को स्तंभन की देवी माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि सारी सृष्टि की शक्ति का समावेश इनमें है। बगलामुखी कवच, देवी बगलामुखी को समर्पित है और उनको प्रसन्न करने का बेहद पवित्र और शक्तिशाली तरीका है। यह कवच विश्वसारोद्धार तंत्र से लिया गया है। जो भी भक्तगण इस कवच (Baglamukhi Kavach) का नियमित पाठ करते हैं, उसके रास्ते में आने वाली सभी अड़चनें और संकटों का विनाश होता है। देवी की उपासना से बुरी शक्तियों के नाश के साथ-साथ शत्रुओं का भी नाश होता है। आइये जानते हैं, नित्यरूप से बगलामुखी कवच का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में क्या बदलाव आते हैं।

बगलामुखी कवच पाठ के लाभ 

  • बगलामुखी कवच का पाठ करने से निसंतान दंपत्ति को शतायुष और वीर पुत्र की प्राप्ति होती है। 
  • आगर महानिशा में इस कवच का पाठ किया जाये, तो 7 दिनों में ही असाध्य कार्य भी संपन्न हो जाते हैं। 
  • व्यापार और धन संबंधी सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। 
  • इस (बगलामुखी पाठ इन हिंदी) कवच के पाठ से बुरी शक्तियों के प्रभाव को ख़त्म किया जा सकता है। 
  • इससे जातक के आसपास अच्छी शक्तियों का संचार होता है। 
  • यह कवच व्यापार और कार्यक्षेत्र में कामयाबी दिलाता है। 
  • मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए भी बगलामुखी कवच का पाठ कारगर होता है। 
  • माँ के वरदान स्वरूप पाठ करने वाले जातक की वाणी गद्य और पद्य मयी हो जाती है। 
  • मक्खन से इस कवच को अभिमंत्रित करके बंध्या स्त्री को खिलाने से, वह पुत्रवती हो जाती है। 

हिंदीपथ पर बगलामुखी कवच (बगलामुखी कवच in hindi) का संस्करण प्रस्तुत करते हुए हमें अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है। इसी प्लेटफॉर्म पर नीचे आप बगलामुखी कवच pdf (baglamukhi kavach pdf) भी डाउनलोड कर सकते है। 

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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