धर्म

मदालसा उपदेश – Madalasa Upadesha

पढ़ें “मदालसा उपदेश” लिरिक्स

शुद्धोसि बुद्धोसि निरँजनोऽसि सँसारमाया परिवर्जितोऽसि
सँसारस्वप्नँ त्यज मोहनिद्राँ मँदालसोल्लपमुवाच पुत्रम्।

शुद्धोऽसि रे तात न तेऽस्ति नाम कृतँ हि तत्कल्पनयाधुनैव।
पच्चात्मकँ देहँ इदँ न तेऽस्ति नैवास्य त्वँ रोदिषि कस्य हेतो॥

न वै भवान् रोदिति विक्ष्वजन्मा शब्दोयमायाध्य महीश सूनूम्।
विकल्पयमानो विविधैर्गुणैस्ते गुणाश्च भौताः सकलेन्दियेषु॥

भूतनि भूतैः परिदुर्बलानि वृद्धिँ समायाति यथेह पुँसः।
अन्नाम्बुपानादिभिरेव तस्मात् न तेस्ति वृद्धिर् न च तेस्ति हानिः॥

त्वम् कँचुके शीर्यमाणे निजोस्मिन् तस्मिन् देहे मूढताँ मा व्रजेथाः।
शुभाशुभौः कर्मभिर्देहमेतत् मृदादिभिः कँचुकस्ते पिनद्धः॥

तातेति किँचित् तनयेति किँचित् अँबेति किँचिद्धयितेति किँचित्।
ममेति किँचित् न ममेति किँचित् त्वम् भूतसँघँ बहु म नयेथाः॥

सुखानि दुःखोपशमाय भोगान् सुखाय जानाति विमूढचेताः।
तान्येव दुःखानि पुनः सुखानि जानाति विद्धनविमूढचेताः॥

यानँ चित्तौ तत्र गतश्च देहो देहोपि चान्यः पुरुषो निविष्ठः।
ममत्वमुरोया न यथ तथास्मिन् देहेति मात्रँ बत मूढरौष।

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मदालसा उपदेश को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह मदालसा उपदेश (Madalasa Upadesha) रोमन में–

Madalasa Upadesha Lyrics

śuddhosi buddhosi nira~jano’si sa~sāramāyā parivarjito’si
sa~sārasvapna~ tyaja mohanidrā~ ma~dālasollapamuvāca putram।

śuddho’si re tāta na te’sti nāma kṛta~ hi tatkalpanayādhunaiva।
paccātmaka~ deha~ ida~ na te’sti naivāsya tva~ rodiṣi kasya heto॥

na vai bhavān roditi vikṣvajanmā śabdoyamāyādhya mahīśa sūnūm।
vikalpayamāno vividhairguṇaiste guṇāśca bhautāḥ sakalendiyeṣu॥

bhūtani bhūtaiḥ paridurbalāni vṛddhi~ samāyāti yatheha pu~saḥ।
annāmbupānādibhireva tasmāt na testi vṛddhir na ca testi hāniḥ॥

tvam ka~cuke śīryamāṇe nijosmin tasmin dehe mūḍhatā~ mā vrajethāḥ।
śubhāśubhauḥ karmabhirdehametat mṛdādibhiḥ ka~cukaste pinaddhaḥ॥

tāteti ki~cit tanayeti ki~cit a~beti ki~ciddhayiteti ki~cit।
mameti ki~cit na mameti ki~cit tvam bhūtasa~gha~ bahu ma nayethāḥ॥

sukhāni duḥkhopaśamāya bhogān sukhāya jānāti vimūḍhacetāḥ।
tānyeva duḥkhāni punaḥ sukhāni jānāti viddhanavimūḍhacetāḥ॥

yāna~ cittau tatra gataśca deho dehopi cānyaḥ puruṣo niviṣṭhaḥ।
mamatvamuroyā na yatha tathāsmin deheti mātra~ bata mūḍharauṣa।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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