महालक्ष्मी अष्टकम – Mahalaxmi Ashtakam Lyrics
“महालक्ष्मी अष्टकम” का प्रतिदिन जो व्यक्ति तीन बार पाठ करता है, उससे महालक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है। उसके सारे वरदानों को पूर्ण करती है। दीपावली के दिन इस अष्टकम का पाठ करनें से घर में सुख-समृद्धि बरकरार रहती है। पढ़ें यह शक्तिशाली महालक्ष्मी अष्टकम
“शक्तिशाली महालक्ष्मी अष्टकम”
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥१॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥३॥
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥४॥
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥५॥
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥६॥
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥७॥
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तुते ॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ॥१०॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥
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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह श्री महालक्ष्मी अष्टकम को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह महालक्ष्मी अष्टकम रोमन में–
Read Namastestu Mahamaye Lyrics
namaste’stu mahāmāye śrīpīṭhe surapūjite।
śaṅkhacakragadāhaste mahālakṣmi namo’stute ॥1॥
namaste garuḍārūḍhe kolāsurabhayaṃkari।
sarvapāpahare devi mahālakṣmi namo’stute ॥2॥
sarvajñe sarvavarade sarvaduṣṭabhayaṃkari।
sarvaduḥkhahare devi mahālakṣmi namo’stute ॥3॥
siddhibuddhiprade devi bhuktimuktipradāyini।
mantramūrte sadā devi mahālakṣmi namo’stute ॥4॥
ādyantarahite devi ādyaśaktimaheśvari।
yogaje yogasambhūte mahālakṣmi namo’stute ॥5॥
sthūlasūkṣmamahāraudre mahāśaktimahodare।
mahāpāpahare devi mahālakṣmi namo’stute ॥6॥
padmāsanasthite devi parabrahmasvarūpiṇi।
parameśi jaganmātarmahālakṣmi namo’stute ॥7॥
śvetāmbaradhare devi nānālaṅkārabhūṣite।
jagatsthite jaganmātarmahālakṣmi namo’stute ॥8॥
mahālakṣmyaṣṭakaṃ stotraṃ yaḥ paṭhedbhaktimānnaraḥ।
sarvasiddhimavāpnoti rājyaṃ prāpnoti sarvadā ॥9॥
ekakāle paṭhennityaṃ mahāpāpavināśanam।
dvikālaṃ yaḥ paṭhennityaṃ dhanadhānyasamanvitaḥ ॥10॥
trikālaṃ yaḥ paṭhennityaṃ mahāśatruvināśanam।
mahālakṣmirbhavennityaṃ prasannā varadā śubhā ॥11॥
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