धर्म

मैया जग दाता दी इक – Maiya jag data di Lyrics

मैया जग दाता दी,
कह के जय माता दी,
तुरिया जावीं देखी
पैंडै तो ना घबरावीं।

पहला दिल अपना साफ बनाले,
फिर मैया नू अरज सूना लै।
मेरी शक्ति वदा, मैनू चरना ना ला,
कहंदा जावीं, देखी पैंडै तो ना घबरावीं॥

औखी घाटी ते पैंडा अवल्डा,
ओहदी श्रद्धा दा फड लै तू पलड़ा।
साथी रल जाणगे, दुखड़े टल जानगे,
भेतां गावीं, देखी पैंडै तो ना घबरावीं॥

तेरा हीरा जनम अनमोला,
मिलना मुड मुड़ ना मानुष दा चोला।
धोखा ना खा लवीं, दाग ना ला लवीं,
बचदा जावीं, देखी पैंडै तो ना घबरावीं॥

पहला दर्शन है कौल कण्डोली,
दूजी देवां ने भर ली है झोली।
आध्कवारी नू जगत महतारी नू सर झुकावीं,
देखी पैंडै तो ना घबरावीं॥

ओहदे नाम दा लै के सहारा,
लंग जावेंगा पर्वत सारा।

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर हम मैया जग दाता दी इक भजन को रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह माता का भजन रोमन में–

Read Maiya jag data di Lyrics

maiyā jaga dātā dī,
kaha ke jaya mātā dī,
turiyā jāvīṃ dekhī
paiṃḍai to nā ghabarāvīṃ।

pahalā dila apanā sāpha banāle,
phira maiyā nū araja sūnā lai।
merī śakti vadā, mainū caranā nā lā,
kahaṃdā jāvīṃ, dekhī paiṃḍai to nā ghabarāvīṃ॥

aukhī ghāṭī te paiṃḍā avalḍā,
ohadī śraddhā dā phaḍa lai tū palaḍa़ā।
sāthī rala jāṇage, dukhaḍa़e ṭala jānage,
bhetāṃ gāvīṃ, dekhī paiṃḍai to nā ghabarāvīṃ॥

terā hīrā janama anamolā,
milanā muḍa muḍa़ nā mānuṣa dā colā।
dhokhā nā khā lavīṃ, dāga nā lā lavīṃ,
bacadā jāvīṃ, dekhī paiṃḍai to nā ghabarāvīṃ॥

pahalā darśana hai kaula kaṇḍolī,
dūjī devāṃ ne bhara lī hai jholī।
ādhkavārī nū jagata mahatārī nū sara jhukāvīṃ,
dekhī paiṃḍai to nā ghabarāvīṃ॥

ohade nāma dā lai ke sahārā,
laṃga jāveṃgā parvata sārā।

https://www.youtube.com/watch?v=_PHhUkOcA5M

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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