निबंध

मेरा प्रिय खेल कबड्डी

“मेरा प्रिय खेल कबड्डी” निबंध विद्यार्थियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। कबड्डी पूरी तरह स्वदेशी खेल है और इसे खेलने के लिए बहुत धन की आवश्यकता भी नहीं होती। साथ ही इसे खेलने के नियम और विधि भी सरल है। इसे खेलने के अनेक लाभ हैं, जिनका उल्लेख भी इस निबन्ध में किया गया है। पढ़ें “मेरा प्रिय खेल कबड्डी”–

मेरा प्रिय खेल कबड्डी है। खेलने के लिए क्रिकेट, हॉकी, बॉलीबॉल, फुटबॉल, बास्केटबॉल, लॉन-टेनिस, टेबल-टेनिस, बैडमिंटन, गोल्फ, पोलो, शतरंज तथा बिलयर्ड आदि अनेक खेल हैं । ये सभी खेल विश्व में खेले जाते हैं और विश्व खेल-प्रतियोगिताओं में मान्यता प्राप्त हैं, परन्तु मेरी रुचि इन खेलों में न होकर भारतीय खेल ‘कबड्डी’ में है। बचपन से ही मेरा प्रिय मित्र अंकित और मैं साथ में कबड्डी खेलते रहे हैं।

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स्वदेश-प्रेम का परिचायक

विश्व-प्रसिद्ध सभी खेल चाहे वह क्रिकेट हो या हॉकी, टेबिल-टेनिस हो या बिलयर्ड बिना विशेष उपकरण, बिना खेल-सामान के व्यर्थ हैं। स्टिक के बिना हाकी कैसी? बॉल के अभाव में बॉलीबाल, फुटबॉल या बास्केटबॉल कैसे खेले जा सकते हैं? पर साहब कबड्डी के लिए कोई उपकरण नहीं चाहिए। उँगली से “पाला” खींचा जा सकता है। जूते, कपड़े, कंकड़ या कोई भी चीज रखकर पाला बनाया जा सकता है।

खेल का सामान खरीदने के लिए चाहिए पैसा। आपके पास पैसा है तो खेल खेल लीजिए, अन्यथा दर्शक बने रहिए। फिर खेल के सामान ने जरा भी नजाकत दिखाई कि खेल खत्म। बॉल की फूँक खिसकी कि बॉलीबॉल, फुटबाल, बास्केटबॉल खेल ही पंक्चर हो गए। टेबल-टेनिस या बिलयर्ड की मेज ने धोखा दिया, तो खेल चौपट। कबड्डी में न पैसा चाहिए, न उपकरण। जब चाहो, जहाँ चाहो, कबड्डी का मजा ले लो।

बॉलीबॉल आदि सभी खेल विदेशी हैं। इनका प्रारम्भ विदेशियों के मनोरंजन तथा स्वास्थ्यवर्धन के लिए हुआ था। कबड्डी शुद्ध भारतीय खेल है। गाँव की शस्यश्यामला भूमि में इसके अंकुर उपजे थे। अतः कबड्डी राष्ट्रीयता का प्रतीक है, स्वदेश प्रेम का परिचायक है।

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स्वस्थ मनोरंजन और व्यायाम

क्रिकेट और हॉकी वर्तमान युग के जनप्रिय खेल हैं। इनके मैचों का सीधा प्रसारण दिखाकर टीवी चैनल भी अपने को कृतार्थ समझता है। पर ये हैं बड़े खतरनाक खेल। क्रिकेट की बॉल जरा-सी असावधानी या प्रमाद से खेलने वाले के मुँह को पिचका देती है, नयनों की दृष्टि छीन लेती है और भाल को फोड़ देती है। हॉकी का ना ही ‘स्टिक’ है, टाँगों में लगी नहीं कि खेलने वाले की शामत आई। कबड्डी में ऐसी गंभीर चोट लगने का प्रश्न ही नहीं उठता।

हल्की-फुल्की चोट लगने का भय इस खेल में भी रहता है जैसे–कोई खिलाड़ी को पकड़ने के लिए ‘कैंची’ मारे तो उससे टाँग में चोट लगने का बहुत डर रहता है। दूसरे, कभी-कभी एक खिलाड़ी को जब दूसरे दल के सभी खिलाड़ी पकड़कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करते हैं, तब शरीर पर चोट लगने का भय रहता है। यदि पकड़ते समय किसी खिलाड़ी के वस्त्र हाथ में आ जाएँ, तो उनके फटने की सम्भावना रहती है। पर कबड्डी तो कबड्डी है।

कबड्डी जब चाहे, जहाँ चाहे खेली जा सकती है। इसके लिए न क्रिकेट, हॉकी आदि की तरह विशेष मैदान चाहिए और न टेबिल टेनिस तथा बिलयर्ड के समान बड़ा हॉल।

कबड्डी स्वस्थ मनोरंजन और व्यायाम का खेल है। तीव्र उत्सुकता उत्पत्ति की क्रीड़ा है। दर्शकों को एकटक देखते रहने की विवशता का आनन्द-स्रोत है। हाथ-पैरों के पर्याप्त व्यायाम का साधन है। शरीर में स्फूर्ति और चुस्ती रखने का मार्ग है। सदा सचेत रहने का मानसिक व्यायाम है।

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कबड्डी खेलने की विधि

“मेरा प्रिय खेल कबड्डी” का यह निबंध बिना इसे खेलने की विधि के पूरा नहीं हो सकता है। कबड्डी खेलने की विधि बहुत ही सरल है। खेलने के स्थान के बीचों-बीच एक रेखा खींच दी जाती है, इसे ‘पाला’ कहते हैं। इसके दोनों ओर खिलाड़ी खड़े होते हैं। दोनों ओर के खिलाड़ी संख्या में बराबर होने चाहिए। खेल आरम्भ होने पर एक ओर का खिलाड़ी दूसरी ओर “कबड्डी-कबड्डी” कहता हुआ जाता है। वह यह प्रयत्न करता है कि जब तक उसके मुँह से “कबड्डी” शब्द निकलना बन्द नहीं होता, वह दूसरी ओर के खिलाड़ी या खिलाड़ियों को छूकर पाले तक पहुँच जाए। दूसरी ओर के खिलाड़ियों का प्रयत्न होता है कि वे उसको ऐसे पकड़ें कि वह छूटकर पाले तक न पहुँच पाए और स्वयं भी सावधान रहें कि वे उसे पकड़ न सकें, तो वह उन्हें छू भी न जाए। यदि वह छू गया तो जिन खिलाड़ियों को उसने छुआ है, वे सब खिलाड़ी ‘आउट ‘ हो जाएंगे। दूसरी ओर से भी यही प्रक्रिया होती है।

बैठा हुआ या ‘आउट’ खिलाड़ी तभी खेल में पुनः भाग ले सकता है, जबकि उसका कोई साथी दूसरी ओर के किसी खिलाड़ी को ‘बाहर’ कर दे।

इस प्रकार जिस ओर के सब खिलाड़ी ‘आउट ‘ हो जाएंगे, वह दल हारा हुआ समझा जाएगा। कई बार खिलाड़ियों को ‘आउट’ करके बैठाने के बजाए अंक (प्वाइंट) गिन लिए जाते हैं। निर्धारित समय में जिसक अंक (प्वाइंट) ज्यादा होते हैं, वह दल जीता हुआ माना जाता है।

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कबड्डी के नियम

कबड्डी के कुछ अपने नियम हैं। एक बार में एक ही खिलाड़ी ‘कबड्डी-कबड्डी’ कहता हुआ पाले के दूसरी ओर जाएगा, दो नहीं। दूसरे, खेल के मैदान की सीमा-रेखा से शरीर या शरीर का कोई अंग बाहर होने पर खिलाड़ी “आउट” समझा जाएगा। एक बार साँस टूटने, ‘कबड्डी-कबड़ी’ का स्वर बंद होने पर दुबारा साँस भरना तथा ‘कबड्डी-कबड्डी’ स्वर का उच्चारण करना नियम विरुद्ध है। साँस बीच में टूटते ही रक्षात्मक उपाय बरतने होते हैं। खिलाड़ी अपने पाले की ओर दौड़ता है। पाला-रेखा से पूर्व यदि दूसरी पार्टी के किसी खिलाड़ी ने उसे स्पर्श कर दिया तो वह ‘आउट’ माना जाएगा।

‘कबड्डी-कबड्डी’ शब्द के उच्चारण के साथ आक्रमण करने आए खिलाड़ी का मुँह बन्द करना, हिंसात्मक व्यवहार करना, कैंची मारना, धक्का देकर खेल-सीमा से बाहर धकेलना नियम विरुद्ध हैं। इतना ही नहीं, सीमा-रेखा से बाहर धकेलने वाले खिलाड़ी को खेल से ही ‘आउट’ कर दिया जाता है।

सदा सुलभ, सरल, अमूल्य, व्यायाम से पूर्ण और मनोरंजन से भरपूर कबड्डी, खेल तथा टीम भावना उत्पन्न करने का साधन कबड्डी, भातीयता, राष्ट्रीयता का प्रतीक मेरा प्रिय खेल कबड्डी है।

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मेरा प्रिय खेल कबड्डी, निबंध के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक रहा है। बचपन से ही स्कूल में, उसके बाद कॉलेज में, हिंदी भाषा में निबंध लिखने के लिए पूछा जाता है। मेरा प्रिय खेल विषय पर निबंध लिखना भी सभी के लिए किसी समय पर आवश्यक रहा होगा। सभी ने मेरा प्रिय खेल कबड्डी (मेरा प्रिय खेल हिंदी निबंध कबड्डी) पर कभी न कभी निबंध ज़रूर लिखा होगा। हमने निबंध के रूप में इस टॉपिक का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए खेल के बारे में जानकारियां साझा की हैं। आइये सरल शब्दों में जानते हैं, कबड्डी खेल के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु। 

कबड्डी खेल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियों का सार:

  1. कबड्डी भारतवर्ष का प्राचीन एवं पारंपरिक खेल है। 
  2. कबड्डी खेलना मानव शरीर एवं मस्तिष्क के लिए स्वास्थ्यवर्धक होता है। 
  3. इस खेल में ताकत के साथ-साथ बुद्धिमत्ता की भी ज़रूरत होती है। 
  4. यह बिना किसी संसाधन के खेले जाने वाला सस्ता एवं लोकप्रिय खेल है। 
  5. इसमें बहुत ही कम मैदान की आवश्यकता होती है। 
  6. इस खेल में 2 टीमें बनाई जाती हैं। 
  7. हर एक टीम में 7-7 खिलाड़ी होते हैं। 
  8. यह खेल कुल 40 मिनट तक खेला जाता है। 
  9. इसमें बीच से लाइन खींचकर दो पाले बनाये जाते हैं। 

हिंदीपथ के माध्यम से इस टॉपिक (मेरा प्रिय खेल कबड्डी) पर निबंध प्रस्तुत करके इस खेल से जुड़ी हुई कुछ रोचक एवं महत्वपूर्ण बातें साझा की है। इसी तरह से अलग-अलग विषयों पर निबंध पढ़ने और जानकारियों से अवगत होने के लिए हमारे इस ऑनलाइन वेबसाइट, हिंदीपथ पर बने रहे। हमारा यह उद्देश्य है कि आप तक नए-नए विषयों का ज्ञान लगातार पहुंचाते रहें और इसमें कभी भी कमी न हो। 

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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