धर्म

मुनि सुव्रतनाथ चालीसा – Bhagwan Muni Suvratnath Chalisa

मुनि सुव्रतनाथ चालीसा का बहुत महात्म्य माना गया है। जो भी व्यक्ति चालीस दिन तक चालीस बार इसका पाठ करता है, वह श्री मुनि की राह का पथिक बन जाता है और इस भवसागर से उसका बेड़ा पार हो जाता है। मुनि सुव्रतनाथ चालीसा का अक्षर-अक्षर ऊर्जा से परिपूर्ण है। इस ऊर्जा को अपने जीवन में धारण करने का तरीक़ा है इस चालीसा का प्रतिदिन पाठ। पढ़ें मुनि सुव्रतनाथ चालीसा–

यह भी पढ़ें – भगवान मुनि सुव्रतनाथ की आरती 

श्री मुनि सुव्रतनाथ का चिह्न – कछुआ

दोहा

अरिहंत सिद्ध आचार्य को,
शत्-शत करूँ प्रणाम।
उपाध्याय सर्वसाधु,
करते स्वपर कल्याण॥

जिनधर्म, जिनागम,
जिन मन्दिर पवित्र धाम।
वीतराग की प्रतिमा को,
कोटि-कोटि प्रणाम॥

चौपाई

जय मुनिसुव्रत दया के सागर,
नाम प्रभु का लोक उजागर स्मित्र॥

राजा के तुम नन्दा,
माँ शामा की आंखों के चन्दा॥

श्यामवर्ण मरत प्रभु की प्यारी,
गुणगान करे निशदिन नर नारी॥

मुनिसुव्रत जिन हो अन्तरयामी,
श्रद्धा भाव सहित तुम्हें प्रणामी॥

भक्ति आपकी जो निशदिन करता,
पाप ताप भय संकट हरता।

प्रभू संकटमोचन नाम तुम्हारा,
दीन दुखी जीवों का सहारा।

कोई दरिद्री या तन का रोगी,
प्रभु दर्शन से होते हैं निरोगी।

मिथ्या तिमिर भयो अति भारी,
भव भव की बाधा हरो हमारी॥

यह संसार महा दुखाई,
सुख नहीं यहां दुख की खाई॥

मोह जाल में फंसा है बंदा,
काटो प्रभु भव भव का फंदा॥

रोग शोक भय व्याधि मिटावो,
भव सागर से पार लगाओ॥

घिरा कर्म से चौरासी भटका,
मोह माया बन्धन में अटका॥

संयोग-वियोग भव-भव का नाता,
राग द्वेष जग में भटकाता॥

हित मित प्रिय प्रभु की वाणी,
स्वपर कल्याण करे मुनि ध्यानी

भव सागर बीच नाव हमारी,
प्रभु पार करो यह विरद तिहारी॥

मन विवेक मेरा अन जागा,
प्रभु दर्शन से कर्ममल भागा॥

नाम आपका जपे जो भाई,
लोका लोक सुख सम्पदा पाई॥

कृपा दृष्टि जब आपकी होवे,
धन आरोग्य सुख समृद्धि पावे॥

प्रभू चरणन में जो जो आवे,
श्रद्ध भक्ति फल वांछित पावे॥

प्रभु आपका चमत्कार है प्यारा,
संकट मोचन प्रभु नाम तुम्हारा॥

सर्वज्ञ अनंत चतुष्टय के धारी,
मन वच तन वंदना हमारी॥

सम्मेद शिखर से मोक्ष सिधारे,
उद्धार करो मैं शरण तिहारे॥

महाराष्ट्र का पैठण तीर्थ,
सुप्रसिद्ध यह अतिशय क्षेत्र।

मनोज्ञ मन्दिर बना है भारी,
वीतराग की प्रतिमा सुखकारी॥

चतुर्थ कालीन मूर्ति है निराली,
मुनिसुव्रत प्रभु की छवि है प्यारी॥

मानस्तंभ उत्तंग की शोभा न्यारी,
देखत गलत मान कषाय भारी॥

मुनिसुव्रत शनिग्रह अधिष्टाता,
दुख संकट हरे देवे सुख साता॥

शनि अमावस की महिमा भारी,
दूर-दूर से यहां आते नर नारी॥

दोहा

सम्यक् श्रद्धा से चालीसा,
चालीस दिन पढ़िये नर-नार।

मुनि पथ के राही बन,
भक्ति से होवे भव पार॥

जाप – ॐ ह्रीं अर्हं श्री मुनिसुव्रतनाथाय नम:

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर मुनि सुव्रतनाथ चालीसा (Muni Suvratnath Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें मुनि सुव्रतनाथ चालीसा रोमन में–

Read Muni Suvratnath Chalisa

dohā
arihaṃta siddha ācārya ko,
śat-śata karū~ praṇāma।
upādhyāya sarvasādhu,
karate svapara kalyāṇa॥

jinadharma, jināgama,
jina mandira pavitra dhāma।
vītarāga kī pratimā ko,
koṭi-koṭi praṇāma॥

caupāī
jaya munisuvrata dayā ke sāgara,
nāma prabhu kā loka ujāgara smitra॥

rājā ke tuma nandā,
mā~ śāmā kī āṃkhoṃ ke candā॥

śyāmavarṇa marata prabhu kī pyārī,
guṇagāna kare niśadina nara nārī॥

munisuvrata jina ho antarayāmī,
śraddhā bhāva sahita tumheṃ praṇāmī॥

bhakti āpakī jo niśadina karatā,
pāpa tāpa bhaya saṃkaṭa haratā।

prabhū saṃkaṭamocana nāma tumhārā,
dīna dukhī jīvoṃ kā sahārā।

koī daridrī yā tana kā rogī,
prabhu darśana se hote haiṃ nirogī।

mithyā timira bhayo ati bhārī,
bhava bhava kī bādhā haro hamārī॥

yaha saṃsāra mahā dukhāī,
sukha nahīṃ yahāṃ dukha kī khāī॥

moha jāla meṃ phaṃsā hai baṃdā,
kāṭo prabhu bhava bhava kā phaṃdā॥

roga śoka bhaya vyādhi miṭāvo,
bhava sāgara se pāra lagāo॥

ghirā karma se caurāsī bhaṭakā,
moha māyā bandhana meṃ aṭakā॥

saṃyoga-viyoga bhava-bhava kā nātā,
rāga dveṣa jaga meṃ bhaṭakātā॥

hita mita priya prabhu kī vāṇī,
svapara kalyāṇa kare muni dhyānī॥

bhava sāgara bīca nāva hamārī,
prabhu pāra karo yaha virada tihārī॥

mana viveka merā ana jāgā,
prabhu darśana se karmamala bhāgā॥

nāma āpakā jape jo bhāī,
lokā loka sukha sampadā pāī॥

kṛpā dṛṣṭi jaba āpakī hove,
dhana ārogya sukha samṛddhi pāve॥

prabhū caraṇana meṃ jo jo āve,
śraddha bhakti phala vāchita pāve॥

prabhu āpakā camatkāra hai pyārā,
saṃkaṭa mocana prabhu nāma tumhārā॥

sarvajña anaṃta catuṣṭaya ke dhārī,
mana vaca tana vaṃdanā hamārī॥

sammeda śikhara se mokṣa sidhāre,
uddhāra karo maiṃ śaraṇa tihāre॥

mahārāṣṭra kā paiṭhaṇa tīrtha,
suprasiddha yaha atiśaya kṣetra।

manojña mandira banā hai bhārī,
vītarāga kī pratimā sukhakārī॥

caturtha kālīna mūrti hai nirālī,
munisuvrata prabhu kī chavi hai pyārī॥

mānastaṃbha uttaṃga kī śobhā nyārī,
dekhata galata māna kaṣāya bhārī॥

munisuvrata śanigraha adhiṣṭātā,
dukha saṃkaṭa hare deve sukha sātā॥

śani amāvasa kī mahimā bhārī,
dūra-dūra se yahāṃ āte nara nārī॥

dohā
samyak śraddhā se cālīsā,
cālīsa dina paḍha़iye nara-nāra।

muni patha ke rāhī bana,
bhakti se hove bhava pāra॥

jāpa:- oṃ hrīṃ arha śrī munisuvratanāthāya nama:

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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