हिंदी कहानी

नकली बीरबल और अकबर का किस्सा

“नकली बीरबल और अकबर” कहानी उस दौर को बताती है, जब बीरबल की मौत के बाद अकबर उसके ग़म में डूब गया था। पढ़ें और जानें किस तरह उसके बाद कितने ही नकली बीरबल पैदा हो गए, लेकिन कोई भी सफल न हो सका। अन्य कहानियाँ यहाँ पढ़ें – अकबर-बीरबल की कहानियां

जब से बादशाह अकबर को बीरबल की मृत्यु का समाचार मिला था, तब से उसके विछोह के कारण बड़ा दलगीर रहता और बराबर उसका शोक मनाया करता था। अकबर की उदासी मिटाने के लिये लोगों ने बड़ी-बड़ी तरकीबें निकालीं, पर दिल की लगन बुरी होती है। जब उपायों से कार्य्य-सिद्धि न हुई, तो करबारियों ने अष्टकौशल कर एक नई युक्ति सोच निकाली और कितने नागरिकों से कानों कान कहलाया कि अभी बीरबल जीवित है। जब इस हौवा से भी बादशाह को सन्तोष नहीं हुआ, तो दूर दूर के शहरों तथा दिहातों से नकली बीरबल के जीवित रहने का समाचार आने लगा। लोग कहते थे कि वह लड़ाई से बचकर एक दूसरे शहर में छिप कर बैठा है।

एक बार ऐसी घटना घटी कि किसी मनुष्य ने अपने को बीरबल कहकर घोषित किया, परन्तु उसका अकबर से साक्षात न हो सका। वह आते-आते बीच मार्ग स्वर्गवासी हो गया। बादशाह का मनतव्य पूरा नहीं हुआ। जीवनपर्यन्त उसे अपने प्रिय मंत्री बीरबल से फिर साक्षात न हो सका।

एक गाँव सीड़ी था। उसमें इस घटना के दो तीन वर्ष वाद एक द्विजाति कुलोद्भव ने अपने को बीरबल कहकर घोषित किया और लोगों में इस बात का खूब प्रचार किया कि मैं ही बीरबल हूँ। जब पठानों का युद्ध छिड़ा था तो मैं लड़ाई में आहत होकर एक महात्मा की कृपा से जीता-जागता निकल आया। महात्मा ने मेरी बड़ी सुश्रुषा की। जब मैं एक दम चंगा हो गया तो उस साधु से आज्ञा लेकर इस गाँव में आ बसा। उस आदमी की सूरत भी बीरबल से बहुत कुछ मिलती जुलती थी। उसने बीरबल के जीवन-काल की सारी बातें भलीभाँति स्मरण कर ली थीं, जिस कारण बीरबल सम्बन्धी प्रश्न उपस्थित होने पर वह उसका उचित उत्तर देता था। इस तरह वह नकली बीरबल असली बनने का प्रयास करने लगा।

कितने ही लोगों को धोखा हो गया। वे उसे असली बीरबल समझकर अकबर के पास पहुँचाने आये। परन्तु वह नकली बीरबल रास्ते में ही स्वर्गवासी हो गया। बादशाह उसकी प्रतीक्षा करता रहा। ऐसी ही ऐसी और भी कितनी अफवाहें अकबर के कान तक पहुंचीं। परन्तु जब उनकी जाँच कराई गई तो सारी बातें झूठी निकलीं। उसके गुप्तचर सच्ची खबर नहीं देते थे, जिससे कालान्तर में उनका भेद खुल गया। अकबर दूतों के ऐसे विश्वासघात करने पर आग बबूला हो गया और उनको कठिन दण्ड दिया।

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