परशुराम जी की आरती – Parshuram Aarti
परशुराम जी की आरती गाने से जीवन में सुख, समृद्धि, संपन्नता, स्वास्थ्य और शांति का आगमन होता है। भगवान परशुराम साक्षात विष्णु जी के अवतार हैं। वे जहाँ बाहर से कठोर प्रतीत होते हैं, वहीं भीतर से वे भक्त-वत्सल हैं।
परशुराम जी चिरंजीवियों में से एक हैं अर्थात वे मृत्यु से परे हैं। उनकी कृपा सब कुछ देने में समर्थ है। परशुराम जी की आरती (Parshuram Aarti) का गायन मन की हर कामना की पूर्ति करने में सक्षम है। पढ़ें परशुराम जी की आरती–
ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।
सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥
ॐ जय परशुधारी…
जमदग्नी सुत नर-सिंह, मां रेणुका जाया।
मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया॥
ॐ जय परशुधारी…
कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला॥
ॐ जय परशुधारी…
ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।
सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी॥
ॐ जय परशुधारी…
मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।
दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना॥
ॐ जय परशुधारी…
कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।
कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता॥
ॐ जय परशुधारी…
माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।
मेरी बिरद संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे॥
ॐ जय परशुधारी…
अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।
पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे ॥
ॐ जय परशुधारी…
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर परशुराम जी की आरती (Parshuram Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें परशुराम जी की आरती रोमन में–
Read Parshuram Aarti
oṃ jaya paraśudhārī, svāmī jaya paraśudhārī।
sura nara munijana sevata, śrīpati avatārī ॥
oṃ jaya paraśudhārī…
jamadagnī suta nara-siṃha, māṃ reṇukā jāyā।
mārtaṇḍa bhṛgu vaṃśaja, tribhuvana yaśa chāyā॥
oṃ jaya paraśudhārī…
kāṃdhe sūtra janeū, gala rudrākṣa mālā।
caraṇa khaḍa़āū~ śobhe, tilaka tripuṇḍa bhālā॥
oṃ jaya paraśudhārī…
tāmra śyāma ghana keśā, śīśa jaṭā bāṃdhī।
sujana hetu ṛtu madhumaya, duṣṭa dalana āṃdhī॥
oṃ jaya paraśudhārī…
mukha ravi teja virājata, rakta varṇa nainā।
dīna-hīna go viprana, rakṣaka dina rainā॥
oṃ jaya paraśudhārī…
kara śobhita bara paraśu, nigamāgama jñātā।
kaṃdha cāra-śara vaiṣṇava, brāhmaṇa kula trātā ॥
oṃ jaya paraśudhārī…
mātā pitā tuma svāmī, mīta sakhā mere।
merī birada saṃbhāro, dvāra paḍa़ā maiṃ tere॥
oṃ jaya paraśudhārī…
ajara-amara śrī paraśurāma kī, āratī jo gāve।
pūrṇendu śiva sākhi, sukha sampati pāve ॥
oṃ jaya paraśudhārī…
शास्त्रों का मत है कि पूजन के पश्चात् आरती गायी जानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि चाहे पूजा-पाठ कितनी भी सावधानी से क्यों न किया जाए, उसमें कोई न कोई त्रुटि तो हो ही जाती है। इस दृष्टि से पूजा में हुए सभी दोषों को दूर करने के लिए आरती गाने का नियम है।