धर्म

पशुपति अष्टकम – Pashupati Ashtakam Lyrics

पशुपति अष्टकम, भगवान शिव को समर्पित एक प्रार्थना स्तोत्र है जिसका पाठ विशेष भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाता है। इस स्तोत्र का उच्चारण करने और सुनने से आनंद, शांति, ध्यान और मानसिक स्थिरता मिलती है। पशुपति अष्टकम के पाठ से भक्त को भगवान शिव के करुणा और आशीर्वाद का अनुभव हो सकता है और उसके मानसिक तनाव का समाधान हो सकता है। पशुपति अष्टकम के अधिक प्रभावी पाठ के लिए, रोजाना एक निश्चित स्थिर समय पर इसे पाठ करना उचित होता है।

श्रीपृथिवीपतिसूरिविरचितं श्रीपशुपत्यष्टकं

पशुपतिं द्युपतिं धरणीपतिं भुजगलोकपतिं च सतीपतिम् ।
प्रणतभक्तजनार्तिहरं परं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ १ ॥

न जनको जननी न च सोदरो न तनयो न च भूरिबलं कुलम् ।
अवति कोऽपि न कालवशं गतं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ २ ॥

मुरजडिण्डिमवाद्यविलक्षणं मधुरपञ्चमनादविशारदम् ।
प्रमथभूतगणैरपि सेवितं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ३ ॥

शरणदं सुखदं शरणान्वितं शिव शिवेति शिवेति नतं नृणाम् ।
अभयदं करुणावरुणालयं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥४॥

नरशिरोरचितं मणिकुण्डलं भुजगहारमुदं वृषभध्वजम्।
चितिरजोधवलीकृतविग्रहं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥५॥

मखविनाशकरं शशिशेखरं सततमध्वरभाजि फलप्रदम् ।
प्रलयदग्धसुरासुरमानवं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ६ ॥

मदमपास्य चिरं हृदि संस्थितं मरणजन्मजराभयपीडितम् ।
जगदुदीक्ष्य समीपभयाकुलं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥ ७॥

हरिविरञ्चिसुराधिपपूजितं यमजनेशधनेशनमस्कृतम् ।
त्रिनयनं भुवनत्रितयाधिपं भजत रे मनुजा गिरिजापतिम् ॥८॥

पशुपतेरिदमष्टकमद्भुतं विरचितं पृथिवीपतिसूरिणा ।
पठति संशृणुते मनुजः सदा शिवपुरीं वसते लभते मुदम्॥९॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर यह पशुपति अष्टकम (Pashupati Ashtakam) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह अष्टकम रोमन में–

Pashupati Ashtakam Lyrics

śrīpṛthivīpatisūriviracitaṃ śrīpaśupatyaṣṭakaṃ

paśupatiṃ dyupatiṃ dharaṇīpatiṃ bhujagalokapatiṃ ca satīpatim ।
praṇatabhaktajanārtiharaṃ paraṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥ 1 ॥

na janako jananī na ca sodaro na tanayo na ca bhūribalaṃ kulam ।
avati ko’pi na kālavaśaṃ gataṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥ 2 ॥

murajaḍiṇḍimavādyavilakṣaṇaṃ madhurapañcamanādaviśāradam ।
pramathabhūtagaṇairapi sevitaṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥ 3 ॥

śaraṇadaṃ sukhadaṃ śaraṇānvitaṃ śiva śiveti śiveti nataṃ nṛṇām ।
abhayadaṃ karuṇāvaruṇālayaṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥4॥

naraśiroracitaṃ maṇikuṇḍalaṃ bhujagahāramudaṃ vṛṣabhadhvajam।
citirajodhavalīkṛtavigrahaṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥5॥

makhavināśakaraṃ śaśiśekharaṃ satatamadhvarabhāji phalapradam ।
pralayadagdhasurāsuramānavaṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥ 6 ॥

madamapāsya ciraṃ hṛdi saṃsthitaṃ maraṇajanmajarābhayapīḍitam ।
jagadudīkṣya samīpabhayākulaṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥ 7॥

harivirañcisurādhipapūjitaṃ yamajaneśadhaneśanamaskṛtam ।
trinayanaṃ bhuvanatritayādhipaṃ bhajata re manujā girijāpatim ॥8॥

paśupateridamaṣṭakamadbhutaṃ viracitaṃ pṛthivīpatisūriṇā ।
paṭhati saṃśṛṇute manujaḥ sadā śivapurīṃ vasate labhate mudam॥9॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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