पितरों की आरती – Pitar Ji Ki Aarti
पितरों की आरती गाना न केवल पूर्वजों की कृपा प्राप्त करने का साधन है, बल्कि यह हमारा कर्तव्य भी है। हमारे पितृगण सदैव हमारी सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।
ऐसा होना स्वाभाविक भी है, क्योंकि उनका हमारे ऊपर स्वाभाविक स्नेह है। आवश्यकता है तो बस उन्हें सच्चे दिल से याद करने की। यही स्मरण और पितरों की आरती का गायन हमें उनकी कृपा का भाजन बना देता है। पढ़ें पितर जी की आरती (Pitar Ji Ki Aarti)–
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़यों हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा,
शरण पड़यो हूँ थारी॥
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेनवहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू,
आप ही हो रखवारे॥
जय जय पितर जी महाराज…
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आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी॥
जय जय पितर जी महाराज…
देश और परदेश सब जगह,
आप की करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको,
लगे बहुत सुखदाई॥
जय जय पितर जी महाराज…
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी,
रटू मैं बारम्बार॥
जय जय पितर जी महाराज…
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर पितर जी की आरती (Pitar Ji Ki Aarti) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें पितर जी की आरती रोमन में–
Read Pitar Ji Ki Aarti
jaya jaya pitara jī mahārāja,
maiṃ śaraṇa paḍa़yoṃ hū~ thārī।
śaraṇa paḍa़yo hū~ thārī bābā,
śaraṇa paḍa़yo hū~ thārī॥
āpa hī rakṣaka āpa hī dātā,
āpa hī khenavahāre।
maiṃ mūrakha hū~ kachu nahi jāṇū,
āpa hī ho rakhavāre ॥
jaya jaya pitara jī mahārāja…
āpa khaḍa़e haiṃ haradama hara ghaḍa़ī,
karane merī rakhavārī।
hama saba jana haiṃ śaraṇa āpakī,
hai ye araja gujārī॥
jaya jaya pitara jī mahārāja…
deśa aura paradeśa saba jagaha,
āpa kī karo sahāī।
kāma paḍa़e para nāma āpako,
lage bahuta sukhadāī॥
jaya jaya pitara jī mahārāja…
bhakta sabhī haiṃ śaraṇa āpakī,
apane sahita parivāra।
rakṣā karo āpa hī sabakī,
raṭū maiṃ bārambāra ॥
jaya jaya pitara jī mahārāja…
शास्त्रीय विधान के अनुसार पितरों की आरती प्रायः पितृ पूजन के बाद गायी जाती है। ऐसी मान्यता है कि अन्त में आरती गाने से पूजा में हुई किसी भी गलती का परिहार स्वतः हो जाता है।
हिन्दू धर्म में अपने पूर्वजों के पूजा विधान का विशेष महत्व है। ये उन्हें याद करने का और उनके प्रति अपने स्नेह को उजागर करने का एक अद्भुत तरीका है। पूर्वजों की पूजा जातक कई प्रकार से अपनी श्रद्धा और आवश्यकता के अनुसार कर सकता है। मंत्र जप, कथा एवं कई विविध विधियों से पूर्वजों को याद किया जा सकता है। परन्तु जब तक पितरों की आरती (Pitar ji ki aarti) नहीं होती, तब तक उनकी पूजा सम्पूर्ण नहीं मानी जाती है।
विशेषकर श्राद्ध (15 दिनों की पितृ पक्ष की अवधि) के समय में पितरों की पूजा करना अधिक महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है कि इस अवधि में वे किसी न किसी रूप में आपके घर में या आपके समीप अवश्य आते हैं। इसलिए महत्वपूर्ण है कि आप उनके स्वागत की तैयारी उत्तम रूप से करें और कभी भी उनका अनादर न करें। जिस घर में पूर्वज प्रसन्न रहते हैं, उस घर में खुशहाली की वर्षा होती है। जब भी किसी भी प्रकार से अपने पितरों को याद करें तो अंत में पितरों की आरती करना ना भूलें।
हिंदीपथ के माध्यम से हमने आप सभी लोगों के लिए पितरों की आरती प्रस्तुत की है। यहां से आप इसके लिरिक्स पढ़ एवं इसका गायन भी कर सकते हैं। हमारे इस ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आप पितर जी की आरती का pdf फॉर्म (Download PDF of pitar ji ki aarti) भी डाउनलोड कर सकते हैं। इसे डाउनलोड करके प्रिंट करवा कर आप अपने पूजा स्थल पर रख सकते हैं और जब भी ज़रूरत हो तो इसका पठन कर सकते हैं। आशा करते हैं की सभी के पूर्वज अपने-अपने वंशजों पर हमेशा अपनी कृपा बनाये रखें।