मशहूर हस्ती

अब मेरी इच्छा अमिताभ बच्चन का पोर्ट्रेट बनाने की है : सैन बी

ब्रिटेन में रहते हुए भी सैन बी का दिल भारत के लिए धड़कता है। और वो भारतीय संस्कृति, प्रतीक और शख्सियतों के आकर्षण में बंधे रहते हैं। इसलिए, क्रिस्टल आर्ट की दुनिया में बड़ा नाम कमा चुके सैन बी अकसर भारतीय शख्सियतों को अपने पोर्ट्रेट के लिए चुनते हैं। इन शख्सियतों में सचिन तेंदुलकर से लेकर लता मंगेशकर और गुरु नानक देवजी से लेकर भगवान हनुमान जैसे नाम शामिल हैं। सैन बी स्वरोव्स्की नाम के एक खास क्रिस्टल से अपनी आर्ट को अंजाम देते हैं, और उनकी कला की कीमत हजारों-लाखों डॉलर में है। हिन्दी पथ के लिए सुरभि भदौरिया ने उनसे खास बात की।

सवाल-सैन बी, ये तो हमें पता है कि आप क्रिस्टल आर्ट की दुनिया के बड़े नाम हैं। लेकिन, इससे अलग आप सबसे पहले अपने बारे में कुछ बताइए।

जवाब-जी, मैं दूसरी पीढ़ी में एशियाई मूल का ब्रिटिश नागरिक हूँ। 60 के दशक के शुरुआती सालों में मेरा परिवार पंजाब से यूके आया था। अपनी कपड़ों की कंपनी शुरू करने से पहले यूनिवर्सिटी में मेरी शिक्षा ए-लेवल पर कला और डिज़ाइन के साथ ही आर्किटेक्चर से जुड़ी हुई थी। उसके बाद मैंने फ़ुल टाइम आर्टिस्ट बनकर अपने पैशन का रास्ता चुना।

सवाल-क्या आप ट्रेंड आर्टिस्ट हैं?

जवाब-आर्टिस्ट के तौर पर मैंने सारी ज़िंदगी ट्रेनिंग ली है। काफ़ी कम उम्र से ही मैं काफ़ी क्रिएटिव रहा हूँ, फिर बात चाहे स्केचिंग की हो या अलग-अलग माध्यमों के ज़रिए अपनी स्किल को विकसित करने की।

कॉलेज में ए-लेवल आर्ट की पढ़ाई करते वक़्त मुझे महसूस हुआ कि यह मेरे लिए महज़ पैशन से ज़्यादा बड़ी चीज़ है। उसके बाद मैंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई की और साथ में मेरा एंट्रप्रॉनोरिअल पहलू कुछ नया गढ़ता रहा।

मैंने अपनी डिज़ाइन को क्लोथिंग में इस्तेमाल किया, जिसे ख़ासी लोकप्रियता मिली, जिससे मेरे क़दम कस्टम क्लोथिंग की डिज़ाइन और प्रोडक्शन की ओर बढ़े। इसने ब्रूनो मार्स और वुटेंग क्लैन जैसे सेलेब्रिटी और आर्टिस्ट्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित हुआ।

मुझे हमेशा सिखाया गया है कि बड़ा सोचो और सीमाओं में मत जकड़े रहो। इसे मैं अपने काम के ज़रिए और जो चीज़ें मैं बनाता हूँ उनके माध्यम से ज़ाहिर करना पसंद करता हूँ।

सवाल-अपने आर्टवर्क के लिए आप पर्सनालिटी कैसे चुनते हैं?

जवाब-मेरी कला में पूरी दुनिया से व्यापक रेंज की हाईप्रोफ़ाइल शख़्सियत, प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और आध्यात्मिक गुरु नज़र आते हैं। हर चुने हुए शख़्स का दुनिया पर कोई प्रभाव होता है। उसमें आइकॉन्स और लेजेंड्स की थीम का आधार होता है। मेरी कला आम लोगों को ऊपर उठाने और प्रेरित करने के लिए है जहाँ हर क्रिस्टल अगले से अलग तरह से चमकता दिखाई देता है–जिनमें इन शख़्सियत की दुनिया पर ताक़त और रुतबे को दर्शाया जाता है।

मैं दूसरों के लिए भी सर्विस देता हूँ, जहाँ मैं कमीशंड आर्टवर्क बनाता हूँ।

सवाल-स्वरोव्स्की क्रिस्टल्स से आपका जुड़ाव कैसे हुआ?

जवाब-क्रिस्टल्स ने हमेशा से मुझे सम्मोहित किया है और जिस तरह से वे रोशनी रिफ़्लेक्ट करते हैं उनकी इस ख़ासियत ने भी।

मैं सन् 2017 में स्वरोव्स्की क्रिस्टल्स का ब्रांड पार्टनर बना, जहाँ हर आर्ट पीस को होलोग्राम सील की मदद से ऑथेंटिकेट करने का काम कर रहा हूँ। हर एक आर्ट पीस 16-डिजिट कोड से ऑथेंटिकेट किए हुए होलोग्राम सील के साथ आता है।

श्री हनुमान जी और गुरु नानक देव जी के चित्र बनाने के लिए आपको किस चीज़ ने प्रेरित किया?

पश्चिमी दुनिया में रहने की ख़ूबसूरती यह है कि श्री हनुमान जी और श्री गुरु नानन देव जी जैसी धार्मिक कलाकृतियाँ बनाकर मैं अपनी विरासत को अपनी कला के ज़रिए सिखाने और चर्चा शुरू करने के लिए इस्तेमाल कर सकता हूँ।

गुरु नानक देव जी के पीस की प्रेरणा मुझमें उनके 550वें प्रकाशोत्सव के चलते पैदा हुई। यह कलाकृति द सवॉय लंदन में प्रदर्शित हुई और वहीं इसे ख़रीदा गया।

वहीं श्री हनुमान जी की कलाकृति को मैंने कमीशंड आर्ट वर्क के तौर पर किसी और के लिए बनाया था।

कोई भारतीय व्यक्तित्व जिसे आप अपनी कला के माध्यम से दिखाना चाहते हों?

भारतीय क्रिकेट टीम और बॉलीवुड की मश्हूर शख़्सियत को अपनी कला से दिखाना बढ़िया रहेगा। ख़ास तौर पर अमिताभ बच्चन का नाम अभी मेरे जेहन में आ रहा है।

सवाल-आखिरी सवाल, आपका सबसे महंगा पोर्ट्रेट कौन सा है? और आपका पसंदीदा भी बताएं?

जवाब-हाल में मैंने लंदन फ़ेयर में रोल्स रॉयस के साथ काम किया था, जहाँ मैंने क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय पर आधारित आर्टवर्क को £100,000 से ज़्यादा में बेचा था।

प्राइवेट कमीशंस और दूसरों के लिए बनाए गए पीस की इतनी क़ीमत हो सकती है क्योंकि क्लाइंट्स मौलिक कृति चाहते हैं और ये बात पसंद करते हैं कि उसकी प्रतिकृति संभव नहीं हो। क्रिस्टल्स की क़ीमत को मेरे बढ़ते प्रभाव से जोड़कर देखने पर निश्चित तौर पर आर्टवर्क एक निवेश की तरह महसूस होता है। हर कलाकृति के साथ प्रामाणिकता का सर्टिफ़िकेट और होलोग्राम सील आते हैं। सील में कलेक्टर्स के लिए एक सोलह अंकों का कोड होता है जिससे इस्तेमाल किए हुए क्रिस्टल्स की प्रामाणिकता जाँची जा सकती है।

अपने बनाए हर आर्ट पीस से मैंने जुड़ाव महसूस किया है और उसका आनन्द लिया है, लेकिन अगर किसी एक कलाकृति को चुनना हो जो हटके हो तो मैं द बर्ना बॉय पीस को चुनूंगा जिसे ख़ुद बर्ना बॉय के लिए बनाया था। इसमें इस्तेमाल रंग वाक़ई ख़ास थे और साथ में बहुत अच्छे से ढल गए थे। साथ ही मेरे लिए ऐसा पीस बनाने का पहला मौक़ा था जब सब्जेक्ट ने चश्मा पहना हुआ था फिर भी आँखें दिखाई दे रही थीं। मुझे लगता है कि इस आर्ट वर्क में उनका व्यक्तित्व नज़र आता है और उनका रिएक्शन निश्चित तौर पर आज तक का सबसे बेहतरीन था।

सुरभि भदौरिया

सात वर्ष की छोटी आयु से ही साहित्य में रुचि रखने वालीं सुरभि भदौरिया एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी चलाती हैं। अपने स्वर्गवासी दादा से प्राप्त साहित्यिक संस्कारों को पल्लवित करते हुए उन्होंने हिंदीपथ.कॉम की नींव डाली है, जिसका उद्देश्य हिन्दी की उत्तम सामग्री को जन-जन तक पहुँचाना है। सुरभि की दिलचस्पी का व्यापक दायरा काव्य, कहानी, नाटक, इतिहास, धर्म और उपन्यास आदि को समाहित किए हुए है। वे हिंदीपथ को निरन्तर नई ऊँचाइंयों पर पहुँचाने में सतत लगी हुई हैं।

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