स्वास्थ्य

शहद के फायदे – Shahad Khane ke Fayde

शहद के फायदे (Honey Benefits) अनेक हैं। यह एक स्वादिष्ट और पौष्टिक खाद्य पदार्थ है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह प्राकृतिक रूप से मीठा होता है और इसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। आज हम आपको बताएंगे की शहद खाने के फायदे (Honey Khane Ke Fayde) जिसमें शामिल हैं:

शहद खाने के फायदे – Shahad ke Fayde

  • ढाई तोला शहद को 10 तोला जल में मिलाकर नित्य प्रति पीने से मोटापा दूर होकर रक्त शुद्ध व साफ हो जाता है। 
  •  मधु को नित्य रात्रि को आँख में डालने से नेत्रज्योति बढ़ती है। 1 तोला शहद और 2 तोला मवखन (ताजा) को मिलाकर खाने से शरीर पुष्ट होता है और धातुक्षय नष्ट होता है।
  • असली शहद वृश्चिक दंश पर लगाकर मलना अत्यन्त उपयोगी है।
  • सर्पदंश को छोड़कर प्रत्येक प्रकार का कीटदंश की पीड़ा शहद लगाने से मिट जाती है। हैं न कमाल के शहद के फायदे!
  • घाव पर शहद का फाया लगाते रहने से घाव ही शीघ्र भर जाता है।
  • शहद को बार-बार चाटते रहने से खाँसी का वेग कम हो जाता है।
  • शहद को पानी में घोलकर कान में टपकाने से कर्णनाद बन्द हो जाता है।
  • टूटी हुई हड्डी को तत्काल जोड़कर शहद से तर किया हुआ कपड़ा हड्डी पर लपेटना का प्रथम उपचार हेतु अतिशय उपयोगी है।
  • 2-2 या 3-3 चम्मच शहद दिन भर में 3-4 बार प्रतिदिन खाते रहने से लम्बी आयु होती है। बुढ़ापों में भी जवानी का आनन्द लिया जा सकता है। 
  • 2-3 चम्मच शहद प्रतिदिन दिन में 3-4 बार सेवन करते रहने से हार्टफेल होने का भय दूर हो जाता है।
  • मधु का नियमित सेवन करने से नामर्द भी मर्द बन जाता है। शहद में दूध से 6 गुना अधिक शक्ति होती है और इसमें 1 मुर्गी के अण्डे के बराबर शक्ति होती है।
  • सर्दी की ऋतु में 1 पाव दूध में 1 मुर्गी के अण्डे की जर्दी और शहद मिलाकर कम से कम 21 या 40 दिन नियमित सेवन करने से शरीर हष्ट-पुष्ट मजबूत हो जाता है।
  • शहद को सेवन करते रहने से श्वासा-साधनाशक्ति बढ़ जाती है।
  • शहद प्रतिदिन सेवन करने से आमाशय व आन्त्र के व्रण ठीक होते हैं। 
  • शहद सेवन करने से न्यूमोक्स सैप्टिक, व्रण, एमीबा, टाइकोसस इत्यादि बीमारी उत्पन्न करने वाले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। पुराने घाव और कैन्सर भी मधु खाने और लगाने से ठीक हो जाते हैं
  • अग्न्दिग्ध स्थान पर शहद की पट्टी रखने से दर्द और जलन तुरन्त शान्त हो जाती है एवं व्रण भी ठीक हो जाता है।
  • छोटे बच्चों को शहद जनरल टानिक के स्थान पर सेवन करवाकर उन्हें हष्ट-पुष्ट और निरोग रखा जा सकता है।
  • 12 वर्ष तक आयु के बच्चों को सोते समय 1-2 चम्मच शहद निरन्तर सेवन करवाते रहने से उनका बिस्तर पर मूतना बन्द हो जाता है।
  • खिलाड़ियों को नित्य शहद सेवन करने से थकावट नहीं आती है।
  • जब-जब सुरापान की इच्छा हो, तब-तब (2-4 चम्मच शहद) पीने से शराब पीने की लत छूट जाती है।
  • पक्षाघात, लकवा, ऐंठन और स्नायुरोग 2-4 चम्मच दिन में 2-4 बार सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं। शहद कैल्शियम की मात्रा की पूर्ति करता है
  • टायफाइड ज्वर की कमजोरी में मधु सेवन अंग्रेजी टॉनिक जैसा काम करता है।
  • जोड़ों के दर्द और शोथ में मधु सेवन करते रहने से पोटाशियम की पूर्ति होकर रोग शान्त हो जाता है।
  • 1-2 चम्मच शहद प्रतिदिन 1-2 बार निरन्तर 1-2 सप्ताह तक सेवन करते रहने से ही आँखें बार-बार झपकाने का रोग ठीक हो जाता 1-2 चम्मच शहद दिन में 3-4 बार खाने से आधासीसी का दर्द ठीक हो जाता है।
  • 2-3 चम्मच शहद दिन में 1-2 बार तथा रात्रि को सोते समय सेवन करने से अनिद्रा रोग दूर होकर गाढ़ा (गहरी) निद्रा आने लगती है।
  • एक पक नीबू को 10 मिनट पानी में उबालकर तदुपरान्त इसका रस निकालकर इसमें दो चम्मच ग्लैसरीन और 4 औंस शहद मिलाकर रखलें। इसे 1-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 3-4 बार चाटने से प्रत्येक प्रकार की खांसी नष्ट हो जाती है।
  • शरीर में झटके लगना, दांतों और अस्थियों के रोग, निर्बलता, सुस्ती, थकावट, चिन्ता, वजन गिर जाना (कमज़ोरी होना), गले के रोग, साहस की कमी, कुरूपता, कैन्सर, जल्द बुढ़ापा आ जाना, क्षय रोग और मधुमेह इत्यादि में मधु सेवन अमृत की भांति लाभ प्रदान करता है।
  • जिस प्रकार अंग्रेजी (ऐलोपैथी) चिकित्सा में विटामिन बी काम्पलैक्स और विटामिन सी की गोलियाँ पेयो या इन्जेक्शनों को महत्वपूर्ण माना जाता है, उसी प्रकार आयुर्वेद मनीषियों ने सदियों पूर्व से ही शहद को महत्व प्रदान किया है।
  • मधु में सर्वाधिक मात्रा में ग्लूकोज है जो तुरन्त ही शक्ति प्रदान करता है।
  • मोटापे में 1 गिलास ताजा पानी में आधा नीबू निचोड़कर चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
  • 1 गिलास पानी में 6 रत्ती (पान में खाने वाला) चूना और तीन चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम हो जाता है। चर्बी, रक्त व अन्य धातुऐं शुद्ध हो जाती हैंतीन मास तक निरन्तर सेवन करें।
  • पित्त तथा रक्त विकार में शहद को दूध में मिलाकर सेवन करें।
  • आधासीसी के दर्द में सिर दर्द के विपरीत ओर की नासिका में शहद 1- 2 बूँद डालने से आराम मिलता है।
  • प्रतिश्याय में आधा नीबू का रस और 2-3 चम्मच शहद दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता है अथवा 1 चम्मच अदरक को शहद के साथ सेवन करना भी लाभकारी है।
  • मुखपाक में मधु को मुख में धारण करने पर मुखपाक में लाभ होता है अथवा मधु को शुद्ध सुहागे में मिलाकर मुख के अन्दर घावों पर लगाना अत्यन्त गुणकारी है। इससे घाव शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
  • कृमिदन्त में दाँत में दर्द होने पर दर्द वाले स्थान में रुई के फाहे में मधु को रखने से दाँत का दर्द मिट जाता है।
  • मधु को प्रतिदिन मंजन की भाँति मलने से दाँत साफ हो जाते हैं। मसूढ़े • मजबूत हो जाते हैं। मुख के अन्दर के घाव में भी आराम हो जाता है।
  • बच्चों के दाँत निकलने के समय मधु और शुद्ध फिटकरी को मिलाकर मसूढ़ों पर मलने से दाँत बगैर कष्ट के सरलता से निकल आते हैं।
  • दाँतों के हिलने पर शुद्ध फिटकरी, शहद और सिरका को सम मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम दाँतों पर मलने से दाँतों का हिलना बन्द हो जाता है।
  • सोने के वर्क मधु के साथ सेवन करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
  • प्याज का रस और शहद सममात्रा में लेकर प्रतिदिन 2-3 बार आँखों में डालने से मोतिया बिन्दु में आराम पहुँचता है।
  • 2-2 बूंद शहद दुखती आँखों में डालने से आँखें ठीक हो जाती हैं।
  • कलमी शोरा 1 भाग एवं शुद्ध मधु 3 भाग लेकर गरम जल में घोलकर कान में टपकाने से कर्णनाद (कान का बजना) दूर हो जाता है।
  • कान को साफ करके शहद डालने से कर्ण स्राव (मवाद बहना) और दर्द ठीक हो जाता है।
  • तुलसी के पत्तों का स्वरस और मधु सममात्रा में मिलाकर पीने से खांसी और प्रतिश्याय में लाभ होता है।
  • काली मिर्च, सौंठ, पीपल के चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से कफ जनित मल निकलकर श्वास कष्ट (श्वास रोग) में लाभ होता है।
  • उरःक्षत — मधु का आरम्भ से ही प्रयोग करने से यह उर में होने वाले क्षत को भरता है तथा रोग के उपसर्ग, ज्वर और कास में भी लाभ होता है।
  • शहद के फायदे गिलोय के साथ और भी बढ़ जाते हैं। गिलोय के क्वाथ में सममात्रा में शहद सेवन करने से वमन रुक जाती है।
  • मोरपंख के चन्दे की भस्म बनाकर शहद के साथ चाटने से हिचकियाँ रुक जाती हैं।
  • भोजनोपरान्त 1-2 तोला शहद चाट लेने से भोजन शीघ्र पचता है तथा पाचन शक्ति में वृद्धि भी होती है
  • पिसी हुई पीपल 6 माशा 2 तोला शहद के साथ सेवन करने से पेट दर्द दूर हो जाता है।
  • मधु को जल के साथ दिन में 2-3 बार पीने से तृष्णा शान्त हो जाती है। • मधु को आधा या सममात्रा एरन्ड तैल में मिलाकर बच्चों अजीर्ण रोग व मरोड़ दूर होती है पिलाने से गरम दूध के साथ 2 चम्मच शहद को पीने से मलावरोध रोग दूर हो जाता है।
  • लम्बे समय तक निरन्तर जल और मधु का सेवन करते रहना जलोदर रोग में उपयोगी है।
  • गाय के दूध में मधु मिलाकर सेवन करने से यकृत की निर्बलता मिटती है।
  • सुहागे को मधु मधु के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार चाट लेने से मूत्र की रुकावट दूर हो जाती है और अश्मरी गलकर बाहर निकल आती है। 
  • शीतलचीनी के साथ मधु का शर्बत पीने से पेशाब की रुकावट दूर होकर मूत्र खुलकर आता है अथवा रुई की बत्ती को मधु में भिगोकर मूत्रमार्ग में रखने से मूत्र की रुकावट दूर हो जाती है।
  • शिलाजीत के साथ मधु सेवन करना मधुमेह रोग में परम लाभकारी है।
  • कुष्ठ रोग में बकरी के दूध के साथ 1 से 2 तोला तक मधु सेवन करें। नमक का सेवन बन्द करके क्रमशः दूध और मधु की मात्रा बढ़ाते जाऐं इस प्रकार के उपचार से रोग नष्ट होकर रोगी पूर्ण स्वस्थ हो जाता है।
  • दाद और झाइयों में शहद लगाना अतीव गुणकारी है। 
  • गेहूँ के आटे के साथ शहद गूंथकर सूजन पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है तथा फोड़े पर लगाने से फोड़ा पक जाता है।
  • सिरका और नमक के साथ शहद मिलाकर लगाने से शरीर के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
  • मधु को गरम पानी के साथ (प्रारम्भ में 1 तोला) सेवन करने से तदुपरान्त शहद की मात्रा बढ़ाते जाने से मोटापा दूर हो जाता है।
  • तिलों को पीसकर मधु में मिलाकर मरहम बनाकर घावों पर लगाने से घाव अति शीघ्र भर जाते हैं।
  • विष सेवन किये रोगी को मधु पिलाकर वमन द्वारा विष से मुक्त कर लिया जाता है। जब तक आमाशय में विष का प्रभाव अवशेष रहेगा तब तक निरन्तर वमन होकर विष निकलता रहेगा।
  • सफेद प्याज का रस और मधु मिलाकर सेवन करने से वीर्य की अधिक उत्पत्ति होती है और बाजीकरण शक्ति बढ़ती है अथवा भैंस के दूध में दो बड़े चम्मच मधु भली प्रकार मिलाकर पीने से शारीरिक बल और शक्ति में वृद्धि होती है।
  • मधु स्त्री के गुप्त रोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी औषधि है। इसके सेवन से गर्भाशय मूत्र और आर्तव सम्बन्धी रोग नष्ट हो जाते हैं।
  • भैंस के मक्खन में शहद मिलाकर मसूढ़ों पर मलने से बच्चों के दाँत सरलता से निकलते हैं।
  • बच्चों को मधु चटाने से उनका गला साफ रहता है और अजीर्ण और ऐंठन दूर हो जाती है।

-भाव प्रकाश निघन्ट में शहद आठ प्रकार का बतलाया गया है। जिसका यहाँ उल्लेख 

नोट- विस्तारमय से नहीं कर रहे हैं फिर भी शुद्ध शहद की पहचान की जानकारी हम अपने पाठकों को देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं-1. मक्खी को पकड़कर जोर से शहद में डालें प्रबुद्धतो वह डब जाती है किन्तु फिर निकलकर वह साफ उड़ जाती है शहद में लिपटती नहीं है। 2. कुत्ता शुद्ध शहद को कभी चाटता नहीं है। 3. शहद आंखों में आंजने पर चिपकता नहीं है। 4. शहद जलाने पर जलने लगता है। 5. शुद्ध शहद ठण्डक में जमता नहीं है। 

यदि गुड़ की चासनी शुद्ध शहद में मिली होगी (शहद में मिलावट होना) तो ऊपर शुद्ध शहर रहता है और नीचे चासनी रहती है। प्रायः बेईमान शहद व्यवसायी शहद में गुड़ की चासनी (बख्खर) की मिलावट कर देते हैं। नीम और जामुन के पेड़ पर लगे हुए छत्ते का शहद औषधि में गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। 

मधु की सेवन मात्रा – पुरुषों में (व्यस्कों में) 1 से 2 तोला तक तथा बच्चों को और निर्बल स्त्री-पुरुषों को दिन भर में 4-6 माशा तक का विधान है। शुद्ध जाता है 1 शहद रूई में भिगोकर आग लगाये जाने पर सम्पूर्ण जल जाता है जबकि कृत्रिम (मिलावट) मधु होने पर उसका कोयला शेष रह जाता है।

हमें आशा है कि शहद के फायदे जानकर आप इसे उपयोग में लाएंगे और स्वास्थ्यलाभ करेंगे। यदि इनके अतिरिक्त आप और भी शहद के फायदे जानते हों या इन सुझावों को लेकर कुछ विचार व्यक्त करना चाहते हों, तो कृपया टिप्पणी करके हमें ज़रूर बताएँ।

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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