धर्म

शैलपुत्री माता की आरती – Shailputri Mata Ki Aarti

शैलपुत्री माता की आरती शक्तिपुंज स्वरूप है। माँ दुर्गा अपने इस स्वरूप में वृषभ पर सवार हैं।

सती पार्वती जब शैलराज की पुत्री के रूप में जन्मीं तब उनका नाम शैलपुत्री हुआ। पिछले जन्म की ही तरह वे इस जन्म में भी भगवान शिव ने उनसे विवाह किया। वे शक्ति-स्वरूपिणी हैं और सारा संसार उसी शक्ति की प्रतीति है। योगियों द्वारा मां शैलपुत्री का निवास-स्थान मूलाधार चक्र में माना जाता है। शैलपुत्री माता की आरती का गायन भक्त के भीतर अनन्त शक्ति की जागृति का साधन बन जाता है। माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में प्रथम में प्रथम माता शैलपुत्री की आरती जो भी शुद्ध हृदय से गाता है उसे संसार में अमित शक्ति की प्राप्ति का फल मिलता है। नवरात्रि के प्रथम दिन विशेष रूप से इनकी उपासना का विधान है। शैलपुत्री माता की आरती पूजन के अन्त में पढ़ने से पूजा के दौरान हुए सभी दोषों का परिहार हो जाता है। कहते हैं कि शैलपुत्री माता की आरती का गायन हृदय के सभी दोषों को भस्म करके समाप्त कर देता है। पढ़ें मां शैलपुत्री की आरती (Shailputri Mata Ki Aarti) हिंदी में–

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शैलपुत्री माँ बैल असवार। 
करें देवता जय जय कार॥

शिव-शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने न जानी॥

पार्वती तू उमा कहलावें।
जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥

रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।
दया करें धनवान करें तू॥

सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती जिसने तेरी उतारी॥

उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥

घी का सुन्दर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के॥

श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।
प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥

जय गिरराज किशोरी अम्बे
शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥

मनोकामना पूर्ण कर दो।
चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

शैलपुत्री माता की प्रार्थना

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

शैलपुत्री देवी की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

शैलपुत्री माता का स्त्रोत

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागरः तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानन्द प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह विनाशिनीं।
मुक्ति भुक्ति दायिनीं शैलपुत्री प्रणमाम्यहम्॥

शैलपुत्री माता का क्वच

ॐकारः में शिरः पातु मूलाधार निवासिनी।
हींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥

श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।
हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

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विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर शैलपुत्री माता की आरती ( Shailputri Mata Ki Aarti ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें शैलपुत्री माता की आरती रोमन में–

Read Shailputri Mata Ki Aarti

śailaputrī mā~ baila asavāra।
kareṃ devatā jaya jaya kāra॥

śiva-śaṃkara kī priya bhavānī।
terī mahimā kisī ne na jānī॥

pārvatī tū umā kahalāveṃ।
jo tujhe sumire so sukha pāveṃ॥

riddhi siddhi paravāna kareṃ tū।
dayā kareṃ dhanavāna kareṃ tū॥

somavāra ko śiva saṃga pyārī।
āratī jisane terī utārī॥

usakī sagarī āsa pujā do।
sagare duḥkha takalīpha miṭā do॥

ghī kā sundara dīpa jalā ke।
golā garī kā bhoga lagā ke॥

śraddhā bhāva se mantra japāyeṃ।
prema sahita phira śīśa jhukāyeṃ॥

jaya girarāja kiśorī ambe।
śiva mukha candra cakorī ambe॥

manokāmanā pūrṇa kara do।
camana sadā sukha sampatti bhara do॥

śailaputrī mātā kī prārthanā

vande vāñchitalābhāya candrārdhakṛtaśekharām।
vṛṣārūḍhāṃ śūladharāṃ śailaputrīṃ yaśasvinīm॥

śailaputrī mātā kī stuti

yā devī sarvabhū‍teṣu mā~ śailaputrī rūpeṇa saṃsthitā।
namastasyai namastasyai namastasyai namo namaḥ॥

śailaputrī mātā kā strota

prathama durgā tvaṃhi bhavasāgaraḥ tāraṇīm।
dhana aiśvarya dāyinī śailaputrī praṇamāmyaham॥

trilojananī tvaṃhi paramānanda pradīyamān।
saubhāgyarogya dāyinī śailaputrī praṇamāmyaham॥

carācareśvarī tvaṃhi mahāmoha vināśinīṃ।
mukti bhukti dāyinīṃ śailaputrī praṇamāmyaham॥

śailaputrī mātā kā kvaca

oṃkāraḥ meṃ śiraḥ pātu mūlādhāra nivāsinī।
hīṃkāraḥ pātu lalāṭe bījarūpā maheśvarī॥

śrīṃkāra pātu vadane lāvaṇyā maheśvarī।
huṃkāra pātu hṛdayam tāriṇī śakti svaghṛta।
phaṭkāra pātu sarvāṅge sarva siddhi phalapradā॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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