शारदा चालीसा – Sharda Chalisa
शारदा चालीसा को नियमित पढ़ने से बुद्धि तीव्र होती है, स्मरण-शक्ति का विकास होता है और चेहरे पर ज्ञान की प्रभा फैलने लगती है। नित्य प्रति शारदा चालीसा (Maa Sharda Chalisa) का पाठ व्यक्ति को मेधावी और रचनात्मक बनाता है।
माँ शारदा विद्या और ज्ञान की देवी हैं। आज के ‘सूचना युग’ में विद्या और सृजनात्मकता ही जीवन में सफलता का आधार है। ऐसे में शारदा चालीसा (Sharda Chalisa) का श्रद्धा से गायन और भी आवश्यक हो जाता है। पढ़ें शारदा चालीसा–
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॥ दोहा ॥
मूर्ति स्वयंभू शारदा,
मैहर आन विराज।
माला, पुस्तक, धारिणी,
वीणा कर में साज॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय शारदा महारानी,
आदि शक्ति तुम जग कल्याणी।
रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता,
तीन लोक महं तुम विख्याता।
दो सहस्त्र बर्षहि अनुमाना,
प्रगट भई शारद जग जाना।
मैहर नगर विश्व विख्याता,
जहां बैठी शारद जग माता।
त्रिकूट पर्वत शारदा वासा,
मैहर नगरी परम प्रकाशा।
शरद इन्दु सम बदन तुम्हारो,
रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो।
कोटि सूर्य सम तन द्युति पावन,
राज हंस तुम्हारो शचि वाहन।
कानन कुण्डल लोल सुहावहि,
उरमणि भाल अनूप दिखावहिं।
वीणा पुस्तक अभय धारिणी,
जगत्मातु तुम जग विहारिणी।
ब्रह्म सुता अखंड अनूपा,
शारद गुण गावत सुरभूपा।
हरिहर करहिं शारदा बन्दन,
वरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन।
शारद रूप चण्डी अवतारा,
चण्ड मुण्ड असुरन सहारा।
पहिषासुर बध कीन्हि भवानी,
दुर्गा बन शारद कल्याणी।
धरा रूप शारद भई चण्डी,
रक्तबीज काटा रण मुण्डी।
तुलसी सूर्य आदि विद्वाना,
शारद सुयश सदैव बखाना।
कालिदास भए अति विख्याता,
तुम्हारी दया शारदा माता।
वाल्मीक नारद मुनि देवा,
पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा।
चरण-शरण देवहु जग माया,
सब जग व्यापहिं शारद माया।
अणु-परमाणु शारदा वासा,
परम शक्तिमय परम प्रकाशा।
हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा,
शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा।
ब्रह्म शक्ति नहिं एकउ भेदा,
शारद के गुण गावहिं वेदा।
जय जग बन्दनि विश्व स्वरूपा,
निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा।
सुमिरहु शारद नाम अखंडा,
व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा।
सूर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे,
शारद कृपा चमकते सारे।
उद्धव स्थिति प्रलय कारिणी,
बन्दउ शारद जगत तारिणी।
दुःख दरिद्र सब जाहिं नसाई,
तुम्हारी कृपा शारदा माई।
परम पुनीति जगत अधारा,
मातु शारदा ज्ञान तुम्हारा।
विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी,
जय जय जय शारदा भवानी।
शारदे पूजन जो जन करहीं,
निश्चय ते भव सागर तरहीं।
शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना,
होई सकल विधि अति कल्याणा।
जग के विषय महा दुःख दाई,
भजहुँ शारदा अति सुख पाई।
परम प्रकाश शारदा तोरा,
दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा।
परमानन्द मगन मन होई,
मातु शारदा सुमिरई जोई।
चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना,
भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना।
रचना रचित शारदा केरी,
पाठ करहिं भव छटई फेरी।
सत् सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना,
शारद मातु करहिं कल्याणा।
शारद महिमा को जग जाना,
नेति-नेति कह वेद बखाना।
सत्-सत् नमन शारदा तोरा,
कृपा दृष्टि कीजै मम ओरा।
जो जन सेवा करहिं तुम्हारी,
तिन कहँ कतहुँ नाहि दुःखभारी।
जो यह पाठ करै चालीसा,
मातु शारदा देहुँ आशीषा।
॥ दोहा ॥
बन्दउँ शारद चरण रज,
भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर,
सदा बसहु उरगेहुँ॥
जय-जय माई शारदा,
मैहर तेरौ धाम।
शरण मातु मोहिं लीजिए,
तोहि भजहुँ निष्काम॥
विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर शारदा चालीसा (Sharda Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें शारदा चालीसा रोमन में–
Read Sharda Chalisa
॥ dohā ॥
mūrti svayaṃbhū śāradā,
maihara āna virāja।
mālā, pustaka, dhāriṇī,
vīṇā kara meṃ sāja ॥
॥ caupāī।॥
jaya jaya jaya śāradā mahārānī,
ādi śakti tuma jaga kalyāṇī।
rūpa caturbhuja tumharo mātā,
tīna loka mahaṃ tuma vikhyātā।
do sahastra barṣahi anumānā,
pragaṭa bhaī śārada jaga jānā।
maihara nagara viśva vikhyātā,
jahāṃ baiṭhī śārada jaga mātā।
trikūṭa parvata śāradā vāsā,
maihara nagarī parama prakāśā।
śarada indu sama badana tumhāro,
rūpa caturbhuja atiśaya pyāro।
koṭi sūrya sama tana dyuti pāvana,
rāja haṃsa tumhāro śaci vāhana।
kānana kuṇḍala lola suhāvahi,
uramaṇi bhāla anūpa dikhāvahiṃ।
vīṇā pustaka abhaya dhāriṇī,
jagatmātu tuma jaga vihāriṇī।
brahma sutā akhaṃḍa anūpā,
śārada guṇa gāvata surabhūpā।
harihara karahiṃ śāradā bandana,
varuṇa kubera karahiṃ abhinandana।
śārada rūpa caṇḍī avatārā,
caṇḍa muṇḍa asurana sahārā।
pahiṣāsura badha kīnhi bhavānī,
durgā bana śārada kalyāṇī।
dharā rūpa śārada bhaī caṇḍī,
raktabīja kāṭā raṇa muṇḍī।
tulasī sūrya ādi vidvānā,
śārada suyaśa sadaiva bakhānā।
kālidāsa bhae ati vikhyātā,
tumhārī dayā śāradā mātā।
vālmīka nārada muni devā,
puni-puni karahiṃ śāradā sevā।
caraṇa-śaraṇa devahu jaga māyā,
saba jaga vyāpahiṃ śārada māyā।
aṇu-paramāṇu śāradā vāsā,
parama śaktimaya parama prakāśā।
he śārada tuma brahma svarūpā,
śiva viraṃci pūjahiṃ nara bhūpā।
brahma śakti nahiṃ ekau bhedā,
śārada ke guṇa gāvahiṃ vedā।
jaya jaga bandani viśva svarūpā,
nirguṇa-saguṇa śāradahiṃ rūpā।
sumirahu śārada nāma akhaṃḍā,
vyāpai nahiṃ kalikāla pracaṇḍā।
sūrya candra nabha maṇḍala tāre,
śārada kṛpā camakate sāre।
uddhava sthiti pralaya kāriṇī,
bandau śārada jagata tāriṇī।
duḥkha daridra saba jāhiṃ nasāī,
tumhārī kṛpā śāradā māī।
parama punīti jagata adhārā,
mātu śāradā jñāna tumhārā।
vidyā buddhi milahiṃ sukhadānī,
jaya jaya jaya śāradā bhavānī।
śārade pūjana jo jana karahīṃ,
niścaya te bhava sāgara tarahīṃ।
śārada kṛpā milahiṃ śuci jñānā,
hoī sakala vidhi ati kalyāṇā।
jaga ke viṣaya mahā duḥkha dāī,
bhajahu~ śāradā ati sukha pāī।
parama prakāśa śāradā torā,
divya kiraṇa devahu~ mama orā।
paramānanda magana mana hoī,
mātu śāradā sumiraī joī।
citta śānta hovahiṃ japa dhyānā,
bhajahu~ śāradā hovahiṃ jñānā।
racanā racita śāradā kerī,
pāṭha karahiṃ bhava chaṭaī pherī।
sat sat namana paḍha़īhe dharidhyānā,
śārada mātu karahiṃ kalyāṇā।
śārada mahimā ko jaga jānā,
neti-neti kaha veda bakhānā।
sat-sat namana śāradā torā,
kṛpā dṛṣṭi kījai mama orā।
jo jana sevā karahiṃ tumhārī,
tina kaha~ katahu~ nāhi duḥkhabhārī।
jo yaha pāṭha karai cālīsā,
mātu śāradā dehu~ āśīṣā।
॥ dohā ॥
bandau~ śārada caraṇa raja,
bhakti jñāna mohi dehu~।
sakala avidyā dūra kara,
sadā basahu uragehu~॥
jaya-jaya māī śāradā,
maihara terau dhāma।
śaraṇa mātu mohiṃ lījie,
tohi bhajahu~ niṣkāma॥
शारदा चालीसा क्या है?
माँ शारदा देवी सरस्वती का ही रूप मानी जाती हैं। इनकी विधि विधान से पूजा करने वाले पर माता अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं। शारदा चालीसा (Sharda Chalisa) देवी शारदा अर्थात सरस्वती को समर्पित 40 पंक्तियों का स्रोत है। इन पंक्तियों में देवी की महिमा का बखान किया गया है। चालीसा की प्रत्येक पंक्ति माता के रूप और उनकी महान व्यक्तित्व को दर्शाती है। इस चालीसा को नियमित श्रद्धापूर्वक पढ़ने से व्यक्ति को मनचाहे फल प्राप्त होते हैं। आइये जानते हैं शारदा चालीसा पढ़ने के फायदे और इसे पढ़ने की उचित विधि।
शारदा चालीसा पढ़ने के फायदे – Sharda Chalisa Benefits
- इस चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
- शारदा चालीसा का पाठ विद्या के क्षेत्र में सफलता दिलाता है।
- जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और उन्नति की प्राप्ति होती है।
- पाठ करने वाले जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- घर परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है।
- शारदा चालीसा का पाठ व्यक्ति में विवेक और बुद्धि का विकास करता है।
- पारिवारिक कलह से छुटकारा मिलता और वातावरण में शांति स्थापित होती है।
- जीवन में आने वाली किसी प्रकार की भी बाधा से मुक्ति मिलती है।
- शारदा चालीसा का पाठ समाज में और आर्थिक रूप से उन्नति दिलाता है।
- चित्त में एकाग्रता और विकासशीलता का वास होता है।
इस चालीसा को पढ़ने की विधि
वैसे तो माता का पूर्ण श्रद्धा से किया हुआ कोई भी पाठ और पूजा उचित फल ही प्राप्त करवाता है। परन्तु यदि आप किसी विशेष प्रयोजन हेतु शारदा चालीसा का पाठ कर रहे हैं तो आपको कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
- जिस भी दिन आप शारदा चालीसा पठन करना सुनिश्चित करें, उस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएँ।
- फिर पीले या सफ़ेद रंग के स्वच्छ वस्त्र पहने।
- पूजा स्थल या जहाँ भी आप पाठ करना निश्चित करें, वहाँ एक पाटे में सफ़ेद या पीले रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर देवी शारदा की तस्वीर स्थापित करें।
- स्वयं बैठने के लिए भी सफ़ेद या पीले रंग के आसन का इस्तेमाल करें।
- अब देवी को सफ़ेद और पीले फूल अर्पित करें और उनके सामने गाय के घी का दीपक के साथ धूप जलाएँ।
- देवी की तस्वीर पर चन्दन का तिलक लगाएँ।
- माँ को प्रसाद आदि अर्पित करें।
- अब श्रद्धा पूर्वक एवं पूरे मन से शारदा चालीसा का पाठ करें।
- पाठ समाप्त होने पर आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
हिंदीपथ पर आप Shri Sharda Chalisa PDF भी नीचे से Download कर सकते हैं। आशा है कि यह लेख आपके काम आया होगा। देवी शारदा अपने सभी भक्त पर अपनी कृपा बरसाते रहें। बोलो शारदा मैया की जय!