स्वास्थ्य

शीघ्रपतन का इलाज – Shighrapatan Ka Ilaj

शीघ्रपतन का इलाज आज-कल बहुत-से लोग जानना चाहते हैं, क्योंकि यह समस्या विकराल रूप धारण करती चली जा रही है। शीघ्रपतन एक यौन समस्या है जिसमें पुरुष संभोग के दौरान या उसके तुरंत बाद अनियंत्रित रूप से स्खलित हो जाते हैं। यह एक आम समस्या है, और इसका अनुभव लगभग 30% पुरुषों ने किया है। और शीघ्रपतन का इलाज (Shighrapatan Ka Ilaj) कुछ घरेलू नुस्खो से संभव है।

प्रवृष्ट करते समय ही इस रोग में तुरन्त वीर्य निकल जाता है। प्राकृतिक स्तम्भन शक्ति 2 से 5 मिनट तक होती है। इससे अधिक देर तक संभोगरत रह पाना जोड़े का संयम-धारण तथा विशेष प्रेमालाप एवं उत्तम स्वास्थ्य के कारण सम्भव हुआ करता है, किन्तु 2 मिनट से भी कम स्तम्भन शक्ति रखने वाला पुरुष शीघ्रपतन का रोगी कहलाता है। इस रोग का कारण मैथुन इच्छा की अधिकता, हस्त मैथुन, वीर्य प्रमेह, वीर्य की अधिकता, गुदा संभोग करना, अत्यधिक मैथुन करना, वीर्य की गर्मी, अधिक आनन्द प्राप्ति की कामना से बाजारू तिलाओं की अत्यधिक मालिश करना, दिल, दिमाग और यकृत की कमजोरी, वीर्य का पतलापन, मूत्राशय में रेत, पेट में कीड़े, स्त्री के गुप्त अंग का तंग और शुष्क होना, लिंग की सुपारी पर मैल जमना, सुपारी की बबासीर, सुजाक, मूत्र मार्ग की खराश, प्रोस्टैट ग्लैन्ड की शोध इत्यादि होता है।

शीघ्र स्खलन का रामबाण इलाज – Shighrapatan Ka Ilaj In Hindi

शुद्ध भाग 24 ग्राम को 1 ढीली पोटली में बांधकर 1 कि. ग्रा. गाय के दूध में डालकर पकाकर खोया तैयार करें और फिर पोटली को निकालकर फेंक दें। तदुपरान्त शुद्ध देशी घी 100 ग्राम में इस खोये (मावा) को भून लें। फिर आधा किलो खान्ड मिला लें और मीठे बादामों की गिरी (छिलका रहित), शुष्क नारियल की गिरी छिली हुई, पिस्ता की गिरी, हरी किशमिश, चिलगोंजा की गिरी प्रत्येक 30 ग्राम को पीसकर मिलाकर पुनः भूनें अन्त में आग से उतारकर कौंच के बीजों की गिरी, इमली के बीजों की गिरी, छोटा गोखरू, सफेद मूसली, काली मूसली, असगन्ध-नागौरी, सालब मिश्री प्रत्येक 12 ग्राम, लाल बहमन, सफेद बहमन, सौंठ, छोटी इलायची के बीज प्रत्येक 3 ग्राम लें सभी का सुरमें की भांति चूर्ण बनाकर उक्त मेवा औषधि में मिलाकर सुरक्षित रखलें । इस पाक को 30 ग्राम की मात्रा में प्रातः काल निहार मुँह (बिना कुछ खाये) गाय के दूध के साथ सेवन करने से शीघ्रपतन, मर्दाना कमजोरी और वीर्य का पतलापन दूर हो जाता है और शीघ्र स्खलन का रामबाण इलाज है।

  • शुद्ध भाँग 12 ग्राम, जायफल, बबूल की गोंद भुनी हुई कुन्दर, चुनियां गोंद, मस्तंगी प्रत्येक 3 ग्राम, इमली के बीजों की गिरी, जामुन की गुठली की गिरी, प्रत्येक 6 ग्राम, विशुद्ध केसर डेढ़ ग्राम लें। सभी को विशुद्ध गुलाबजल में खरल करके चने के आकार की गोलियां बनाकरके सुरक्षित रखलें ये 2 से 3 गोलियाँ रात्रि को सोते समय खाते रहने से स्तम्भन शक्ति उत्पन्न होकर शीघ्रपतन रोग नष्ट हो जाता है।
  • सत्व गिलोय और वंशलोचन लेकर कूटपीसकर सुरक्षित रखलें प्रतिदिन यह 2 ग्राम औषधि शहद के साथ सेवन करने से 1 सप्ताह में वीर्य गाढ़ा हो जाता है और स्वतः स्खलित नहीं होता है अपूर्व वीर्य स्तम्भक योग है।
  • अकरकरा, सौंठ, कपूर, केसर, पीपली, लौंग प्रत्येक 1 तोला लेकर कूट पीसकर छानकर चने के आकार की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । यह 1-1 गोली प्रात:सायं दूध से खायें। ऐसे रोगी जो काफी इलाज करवाकर निराश हो गये हों, इस योग का सेवन करें।
  •  कुशतिला 3-मासा, रस सिन्दूर 6 माशा, कपूर 6 माशा, जायफल 1 तोला, पीपली 1 तोला, कस्तूरी (शुद्ध) 1 माशा लेकर पानी की सहायता से 1- 1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुरक्षित रखलें । यह 1 गोली रात को सोते समय दूध में शहद मिलाकर सेवन करें। यह योग प्रथम दिन से ही अपने शक्तिशाली होने का प्रभाव दिखलाता है।
  • कौंच के बीज और ताल मखाना समान मात्रा में लेकर कूट पीसकर छानकर सुरक्षित रखलें इसे 3 माशा की मात्रा में (सम्भोग का परहेज रखते हुए) निरन्तर 1 मास तक दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन रोग नष्ट हो जाता है तथा रोगी को स्त्री के सामने फिर कभी दुबारा जीवन में शर्मिन्दगी उठानी नहीं पड़ती है।
  •  जामुन की गुठली का चूर्ण 4 माशा की मात्रा में प्रतिदिन शाम को गुनगुने दूध से खाने से शीघ्रपतन रोग नष्ट होता है तथा वीर्य भी बढ़ता है।
  • लाजवन्ती के बीज और खान्ड सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें। इसे 6 माशा की मात्रा में प्रतिदिन दूध के साथ खाने से शीघ्रपतन दूर होकर वीर्यवृद्धि हो जाती है ।
  • ब्रह्मदण्डी का चूर्ण 6 माशा की मात्रा में प्रतिदिन खाने से शीघ्रपतन रोग दूर हो जाता है।
  • बहुफली का चूर्ण 5 माशा की मात्रा में 15 दिन खा लेने से शीघ्रपतन का रोग दूर हो जाता है।
  • स्पीमेन फोर्ट (हिमालय ड्रग) दिन में 1-2 टिकिया निरन्तर खाते रहने से भी शीघ्रपतन का रोग दूर हो जाता है।
  • जंगली बेर की गुठलियों की गिरी पीसकर उसमें उससे आधी खांड मिलाकर सुरक्षित रखलें। इसे 12 ग्राम की मात्रा में नित्य सुबह-शाम गोदुग्ध से सेवन करने से शीघ्रपतन का रोग नष्ट हो जाता है।

हमें उम्मीद है कि “शीघ्रपतन का इलाज” नामक इस लेख से आपको बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुई होगी और आप स्वस्थ्य जीवन की ओर दिशा बढ़ाएंगे। यदि इस विषय पर आपकी भी कोई राय है, तो उसे हमसे साझा करना न भूलें।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version