धर्म

सिद्धिविनायक आरती – Siddhivinayak Aarti

सिद्धिविनायक आरती के श्रवण मात्र से भक्तों को जीवन में आने वाले सभी संघर्षों और समस्याओं से लड़ने की शक्ति मिलती हैI श्री विनायक आरती हमें यह भरोसा देती है कि परेशानियाँ चाहे कितनी भी बड़ी हों बाप्पा हमेशा हमारा हाथ थामे रहेंगे और इसलिए ही सिद्धिविनायक आरती (Siddhivinayak Aarti) गणपति बाप्पा के सबसे लोकप्रिय स्वरूप की साधना का स्तोत्र हैI

मान्यता है अगर भक्त सच्चे मन से सिद्धिविनायक आरती द्वारा भगवान गणेश से कुछ भी मांगते हैं तो बाप्पा उनकी हर मनोकामना पूरी करते  हैI मायानगरी मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर भगवान गणेश का सबसे प्रचलित और लोकप्रिय मंदिर हैI गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर लोगों के बीच बाप्पा की लोकप्रियता अपने चरम पर होती हैI गणेश चतुर्थी के 10 दिनों वाले इस पर्व में भक्तों द्वारा पूरे हर्षोल्लास से बाप्पा को घर लाया जाता है और फिर ढोल नगाड़ों के साथ उनकी विधिपूर्वक विदाई की जाती हैI सिद्धिविनायक आरती का पाठ करें और जीवन में गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करें।

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सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची।
कंठी झलके माल मुकताफळांची।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति।
दर्शनमात्रे मनः, कमाना पूर्ति
जय देव जय देव॥

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति।
दर्शनमात्रे मनः, कमाना पूर्ति
जय देव जय देव॥

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना।
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना।
जय देव जय देव..

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति।
दर्शनमात्रे मनः, कमाना पूर्ति
जय देव जय देव॥

श्री गणेश जी अन्य आरती

शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुड लड्डू सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको॥
जय देव जय देव..

जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव॥

अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,

जय जय श्री गणराज।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव॥

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भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,

जय जय श्री गणराज ।
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर सिद्धिविनायक आरती ( Siddhivinayak Aarti ) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें श्री सिद्धिविनायक आरती रोमन में–

Read Siddhivinayak Aarti

sukha karatā dukhahartā, vārtā vighnācī।
nūrvī pūrvī prema kṛpā jayācī।
sarvāṃgī sundara uṭī śeṃdu rācī।
kaṃṭhī jhalake māla mukatāphaḻāṃcī।
jaya deva jaya deva..

jaya deva jaya deva, jaya maṃgala mūrti।
darśanamātre manaḥ, kamānā pūrti
jaya deva jaya deva॥

ratnakhacita pharā tujha gaurīkumarā ।
caṃdanācī uṭī kumakuma keśarā।
hīre jaḍita mukuṭa śobhato barā।
runjhunatī nūpure caranī ghāgariyā।
jaya deva jaya deva..

jaya deva jaya deva, jaya maṃgala mūrti ।
darśanamātre manaḥ, kamānā pūrti
jaya deva jaya deva ॥

lambodara pītāmbara phanivara vaṃdanā।
sarala soṃḍa vakratuṃḍā trinayanā।
dāsa rāmācā vāṭa pāhe sadanā।
saṃkaṭī pāvāve nirvāṇī, rakṣāve suravara vaṃdanā।
jaya deva jaya deva..

jaya deva jaya deva, jaya maṃgala mūrti।
darśanamātre manaḥ, kamānā pūrti
jaya deva jaya deva॥

śrī gaṇeśa jī anya āratī

śeṃdura lāla caḍha़āyo acchā gajamukhako।
doṃdila lāla birāje suta gauriharako।
hātha lie guḍa laḍḍū sāṃī suravarako।
mahimā kahe na jāya lāgata hūṃ pādako॥
jaya deva jaya deva..

jaya deva jaya deva,
jaya jaya śrī gaṇarāja।
vidyā sukhadātā
dhanya tumhārā darśana
merā mana ramatā,
jaya deva jaya deva॥

aṣṭau siddhi dāsī saṃkaṭako bairi।
vighnavināśana maṃgala mūrata adhikārī।
koṭīsūrajaprakāśa aibī chabi terī।
gaṃḍasthalamadamastaka jhūle śaśibihāri॥
jaya deva jaya deva..
jaya deva jaya deva,

jaya jaya śrī gaṇarāja।
vidyā sukhadātā
dhanya tumhārā darśana
merā mana ramatā,
jaya deva jaya deva॥

bhāvabhagata se koī śaraṇāgata āve।
saṃtata saṃpata sabahī bharapūra pāve।
aise tuma mahārāja moko ati bhāve।
gosāvīnaṃdana niśidina guna gāve॥
jaya deva jaya deva..
jaya deva jaya deva,

jaya jaya śrī gaṇarāja।
vidyā sukhadātā
dhanya tumhārā darśana
merā mana ramatā,
jaya deva jaya deva॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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