धर्म

सूरह अन जिन्न हिंदी में – सूरह 72

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

कहो कि मुझे “वही” (प्रकाशना) की गई है कि जिन्‍नात की एक जमाअत ने कुरआन सुना तो उन्होंने कहा कि हमने एक अजीब कुरआन सुना है जो हिदायत की राह बताता है तो हम उस पर ईमान लाए और हम अपने रब के साथ किसी को शरीक न बनाएंगे। और यह कि हमारे रब की शान बहुत बुलन्द है। उसने न कोई बीवी बनाई है और न औलाद। और यह कि हमारा नादान अल्लाह के बारे में बहुत ख़िलाफ़े हक़ बातें कहता था। और हमने गुमान किया था कि इंसान और जिन्‍न ख़ुदा की शान में कभी झूठ बात न कहेंगे। और यह कि इंसानों में कुछ ऐसे थे जो जिन्‍नात में से कुछ की पनाह लेते थे, तो उन्होंने जिन्‍नों का ग़ुरूर (अभिमान) और बढ़ा दिया। और यह कि उन्होंने भी गुमान किया जैसा तुम्हारा गुमान था कि अल्लाह किसी को न उठाएगा। (1-7)

और हमने आसमान का जायज़ा लिया तो हमने पाया कि वह सख्त पहरेदारों और शोलों से भरा हुआ है। और हम उसके कुछ ठिकानों में सुनने के लिए बैठा करते थे सो अब जो कोई सुनना चाहता है तो वह अपने लिए एक तैयार शोला पाता है। और हम नहीं जानते कि यह ज़मीन वालों के लिए कोई बुराई चाही गई है या उनके रब ने उनके साथ भलाई का इरादा किया है। और यह कि हम में कुछ नेक हैं और कुछ और तरह के। हम मुख्तलिफ़ तरीक़ों पर हैं। और यह कि हमने समझ लिया कि हम ज़मीन में अल्लाह को हरा नहीं सकते। और न भाग कर उसे हरा सकते हैं। और यह कि हमने जब हिदायत की बात सुनी तो हम उस पर ईमान लाए, पस जो शख्स अपने रब पर ईमान लाएगा तो उसे न किसी कमी का अंदेशा होगा और न ज़्यादती का। और यह कि हम में कुछ फ़रमांबरदार (आज्ञाकारी) हैं और हम में कुछ बेराह हैं, पस जिसने फ़रमांबरदारी की तो उन्होंने भलाई का रास्ता ढूंढ लिया। और जो लोग बेराह हैं तो वे दोज़ख़ के ईंधन होंगे। (8-15)

और मुझे “वही” (प्रकाशना) की गई है कि ये लोग अगर रास्ते पर क़ायम हो जाते तो हम उन्हें खूब सैराब (तृप्त) करते। ताकि इसमें उन्हें आज़माएं, और जो शख्स अपने रब की याद से एराज़ (उपेक्षा) करेगा तो वह उसे सख्त अज़ाब में मुब्तिला करेगा। और यह कि मस्जिदें अल्लाह के लिए हैं पस तुम अल्लाह के साथ किसी और को न पुकारो। और यह कि जब अल्लाह का बंदा उसे पुकारने के लिए खड़ा हुआ तो लोग उस पर टूट पड़ने के लिए तैयार हो गए। कहो कि मैं सिर्फ़ अपने रब को पुकारता हूं और उसके साथ किसी को शरीक नहीं करता। कहो कि मैं तुम लोगों के लिए न किसी नुक़्सान का इख़्तियार रखता हूं और न किसी भलाई का। कहो कि मुझे अल्लाह से कोई बचा नहीं सकता। और न मैं उसके सिवा कोई पनाह पा सकता हूं। पस अल्लाह ही की तरफ़ से पहुंचा देना और उसके पैग़ामों की अदायगी है और जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल की नाफ़रमानी (अवज्ञा) करेगा तो उसके लिए जहन्नम की आग है जिसमें वे हमेशा रहेंगे। (6-23)

यहां तक कि जब वे देखेंगे उस चीज़ को जिसका उनसे वादा किया जा रहा है तो वे जान लेंगे कि किसके मददगार कमज़ोर हैं और कौन तादाद में कम है। कहो कि मैं नहीं जानता कि जिस चीज़ का तुमसे वादा किया जा रहा है वह क़रीब है या मेरे रब ने उसके लिए लम्बी मुदृदत मुक़र्रर कर रखी है। गैब का जानने वाला वही है। वह अपने ग़ैब पर किसी को मुतलअ (प्रकट) नहीं करता। सिवा उस रसूल के जिसे उसने पसंद किया हो, तो वह उसके आगे और पीछे मुहाफ़िज़ लगा देता है। ताकि अल्लाह जान ले कि उन्होंने अपने रब के पैग़ामात पहुंचा दिए हैं और वह उनके माहौल का इहाता (आच्छादन) किए हुए है और उसने हर चीज़ को गिन रखा है। (24-28)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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