सूरह अल बलद हिंदी में – सूरह 90
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
नहीं, मैं क़मम खाता हूं इस शहर (मक्का) की। और तुम इसमें मुक़ीम (रह रहे) हो। और क़सम है बाप की और उसकी औलाद की। हमने इंसान को मशक़्क़त (सश्रम स्थिति) में पैदा किया है। क्या वह ख्याल करता है कि उस पर किसी का ज़ोर नहीं। कहता है कि मैंने बहुत सा माल ख़र्च कर दिया। क्या वह समझता है कि किसी ने उसे नहीं देखा। क्या हमने उसे दो आंखें नहीं दीं। और एक जबान और दो होंट। और हमने उसे दोनों रास्ते बता दिए। फिर वह घाटी पर नहीं चढ़ा। और तुम कया जानो कि क्या है वह घाटी। गर्दन को छुड़ाना। या भूख के जमाने में खिलाना, क़राबतदार यतीम को, या ख़ाकनशीं (धूल-धूसरित) मोहताज को। फिर वह उन लोगों में से हो जो ईमान लाए और एक दूसरे को सब्र की और हमदर्दी की नसीहत की। यही लोग नसीब वाले हैं। और जो हमारी आयतों के मुंकिर हुए वे बदबख्ती (दुर्भाग्य) वाले हैं। उन पर आग छाई हुई होगी। (1-20)